दिल्ली,: देश के अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘हिंदी की गूंज’ के तत्वाधान में आयोजित “कविता के रंग, हिंदी की गूँज के संग” कार्यक्रम का आयोजन आभासी माध्यम को संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में अध्यक्षीय भूमिका निभाई देश के जाने-माने साहित्यकार एवं पत्रकार दीनदयाल शर्मा जी ने। कार्यक्रम का कुशल संचालन दिल्ली के सुप्रसिद्ध संचालक खेमेन्द्र सिंह चंद्रावत तथा तरुणा पुंडीर तरुनिल ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ खेमेन्द्र सिंह ने अपनी मखमली आवाज में मां शारदे का आह्वान करते हुए किया तत्पश्चात मंजू शर्मा ने अपनी सुरीली आवाज में गीत- “हर नारी का सम्मान करो अपनी संस्कृति यह कहती है” सुना कर सभी का मन मोह लिया।
उड़ीसा से जुड़ी ज्योति शर्मा ने- “मां कैसे करूं मैं तेरी बातें मेरे लिए न जाने कितनी जाग कर तूने काटी रातें” सुना कर सभी को मां की यादों से जोड़ दिया तो बंगाल से जुड़ी अलका सोनी ने अपनी कविता में नारी शक्ति का आह्वान किया। गीतों के ऋषि कहे जाने वाले श्याम सुंदर श्रीवास्तव कोमल ने -“बैठो कभी पास मेरे भी दे दो पल दो पल” गीत सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
डॉ ममता श्रीवास्तवा (हिंदी की गूंज की मीडिया प्रभारी) ने अपने मुक्तक “आओ हम उपवास करें मां दुर्गा का आह्वान करें” के माध्यम से सभी को नवरात्रि के उपवास से जोड़ा तो वहीं चेन्नई की सुप्रसिद्ध साहित्यकार रोचिका अरुण शर्मा ने – “कहते हैं सब मेरी छाया बिटिया है प्रतिबिंब मेरी” सुना कर बेटियों के महत्व को सभी के सामने रखा तो वहीं तरुणा पुंडीर तरुनिल ने “नारी नारायणी नारी ही शक्ति है”के माध्यम से नारी की शक्ति का गुणगान किया। हिंदी की गूंज के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार ने “क्या पता कब कहां क्या कुछ मिल जाए, दुर्भाग्य का अंत हो भाग्य कमल खिल जाए” कविता के माध्यम से सभी को आशावादी बने रहने का मार्ग दिखाया तो वहीं वरिष्ठ साहित्यकार गिरिराज शरण अग्रवाल ने- ऑक्सीजन का महत्व बताती हुई बाल कविता “धरती से आकाश तलक है मेरा ही राज मैं ऑक्सीजन मत करो मुझको तुम नाराज” सुनाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दीनदयाल शर्मा जी ने सभी की प्रस्तुति का बखान करते हुए कहा की हिंदी की गूंज एक सशक्त मंच है जहां सभी सदस्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए वचनबद्ध हैं और उन्होंने अपनी क्षणिका-” वो गए रफ्तार में और आए कल के अखबार में” सुना कर युवा पीढ़ी को सुरक्षित ड्राइविंग का संदेश दिया। लगभग 2 घंटे चले इस कार्यक्रम में श्रोता के रूप में देश के विभिन्न कोनों से जुड़े विद्वतजनों में विमला रस्तोगी, शकुंतला मित्तल, रानी गुप्ता, गुरुनाम भटनागर, रेखा चौहान, रामकुमार पांडेय आदि ने अपने संदेशों के माध्यम से सभी का उत्साहवर्धन किया।