हमारा वेद अपने आप में विज्ञान है और हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए
वाराणसी : संत अतुलानंद काॅन्वेंट स्कूल कोइराजुपर हरहुआ, वाराणसी का ज्ञानपीठ सभागार आज गुजरात की निडर शेरनी और हिंदुत्व की पोस्टर गर्ल के रूप में विख्यात काजल हिंदुस्तानी की वाणी की अनुगूँज से गौरवान्वित हुआ। वीरांगना विचार व्योम के अंतर्गत उन्होंने महिला सुरक्षा एवं सम्मान से जुडे ऐसे गंभीर तथ्यों को सामने रखा जिससे विद्यालय की छात्राओं एवं अध्यापिकाओं में एक नवीन योद्धास्वरूपा स्त्री शक्ति का बोध एवं चेतना जागृत हुई। उन्होंने कहा कि महिलाएँ पुरुष से आगे बढ़ने की सोच के दायरे से आगे बढे़। वर्तमान फिल्म, सोशल मीडिया और टीवी की संस्कृति हमारे शैक्षणिक व्यवस्था को खत्म करने पर तुली है। हमारा वेद अपने आप में विज्ञान है और हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। आज गुरुकुल की शिक्षा पद्धति जैसे सर्वांग निपुण होने की आवश्यकता है। उन्होंने अनेक वीरांगनाओं का उल्लेख किया और उनकी गाथा को जिस जोश के साथ छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत किया उससे सभागार में एक अपूर्व ऊर्जा एवं शक्ति का वातावरण सृजित होता परिलक्षित हुआ। प्राचीन काल की वीरांगना स्त्रियों के माध्यम से उन्होंने स्त्रीवाद की वास्तविक परिभाषा समझायी तथा शस्त्र-शास्त्र में पारंगत माताओं को ही देश का वास्तविक निर्माता बताया, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी तथा महाराणा प्रताप जैसे वीर पुत्रों को जन्म दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही संस्था निदेशिका डाॅ. वंदना सिंह जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि महिला प्राचीन काल से ही सशक्त है। नवरात्र, दीपावली, वसंत पंचमी में देवी पूजन की महत्ता ज्ञान, बल, बुद्धि, समृद्धि के रूप में महिला सशक्तिकरण के अंदर ही समझी जा सकती है उन्होंने गंभीरता से इस बात की अपील की कि स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता के भीतर की महीन रेखा का अंतर हमें समझना होगा। शिक्षा का अभिप्राय गंभीर होना है उत्श्रृंखल होना नहीं, इसलिए जरूरी है कि हम साक्षर और शिक्षित होने के अंतर को गंभीरता से समझंे।
प्रधानाचार्या डाॅ. नीलम सिंह जी ने नारी शक्ति की प्रधानता को विज्ञान के मदरसेल और डॅाटरसेल से जोड़कर समझाया उन्होंने कहा कि यदि हम जड़ों से नहीं जुड़ेंगे तो निश्चित रूप से उखड़ जाएंगे इसलिए हमें अपने इतिहास और संस्कृति की पहचान को बनाए और बचाए रखना बहुत जरूरी है। विद्यालय की छात्राओं ने मनमोहक गीत ले चले हम राष्ट्र नौका, के माध्यम से इस कार्यशाला के संकल्प को पुनर्जीवित कर दिया। इस कार्यशाला की समन्वयक सुश्री गुंजननन्दा एवं डाॅ. मिथिलेश के माध्यम से विद्यालय की छात्राओं को अत्यन्त ज्ञानवर्धक जानकारी, एतिहासिक चेतना एवं जागरूकता को बोध हुआ। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शेफाली श्रीवास्तव द्वारा किया गया।