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लिविंग विद टाइप-1 डायबिटीज नई किताब बीएलके अस्पताल ने की लॉन्च

टाइप -1 डायबिटीज दुनियाभर में बच्चों और किशोरों में पाए जाने वाले सबसे कॉमन

अपनी पिछली 6 पुस्तकों की शानदार सफलता के बाद लेखक और मशहूर एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अशोक झिंगन ने नई बुक लिविंग विद टाइप-1 डायबिटीज के लॉन्च की घोषणा की। टाइप -1 डायबिटीज एक क्रोनिक डिसीज है, जिसमें पेंक्रियाज बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन पैदा नहीं करता है। इस बुक के सह-लेखक डॉ. कमलेश झिंगन है। इस पुस्तक का विमोचन बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में किया गया। डॉ. अशोक झिंगन एंडोक्रिनोलॉजी के क्षेत्र का एक मशहूर नाम हैं, जो भारत में डायबिटीज के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह से जुटे हुए हैं और डायबिटीज के प्रति लोगों का रवैया व आदतें बदलने के लिए मेहनत कर रहे हैं। ये किताब भी कुछ इसी तरह की है, जिसमें डायबिटीज से संबंधित अनेक पहलुओं को छुआ गया है। उस मुश्किल वक्त के बारे में भी बताया गया है जो टाइप-1 डायबिटीज होने के बाद बच्चे और उनके माता-पिता को फेस करना पड़ता है। टाइप-1 डायबिटीज होने पर पेरेंट्स और बच्चों के लिए इमोशनल डिस्ट्रेस का वक्त होता है, जिससे सामना करने की बातें भी इस किताब में लिखी गई हैं। किताब में बताया गया है कि कैसे इन माता-पिता और बच्चों ने बीमारी से जुड़ी बाधाओं और सामाजिक कलंक को नेविगेट किया।
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में इस पुस्तक विमोचन के मौके पर कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। पुस्तक विमोचन के मौके पर डॉ. अशोक झिंगन ने कहा,  टाइप -1 डायबिटीज दुनियाभर में बच्चों और किशोरों में पाए जाने वाले सबसे कॉमन क्रोनिक दीर्घकालिक एंडोक्राइन डिसऑर्डर में से है। आईडीएफ (इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन) एटलस के अनुसार, अकेले भारत में टाइप 1 डायबिटीज वाले लगभग 2,29,400 बच्चे हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। इस में टाइप 1 डायबिटीज वाले अडल्ट मरीज शामिल नहीं हैं। ये एक आजीवन समस्या है, लिहाजा टाइप 1 डायबिटीज को संभालने के लिए एक टीम की आवश्यकता होती है, जिसका नेतृत्व डॉक्टर करता है और उनके साथ एक डायबिटीज एडुकेटर, डायटिशियन, पेरेंट्स, भाई-बहन, टीचर्स और दोस्त शामिल होते हैं।
इस कार्यक्रम में डॉ. झिंगन की एक मरीज बदला हुआ नाम अंजलि ने अपने अनुभव भी साझा किए। अंजलि ने बताया, मैं जब 5 साल की थी, तब मुझे टाइप-1 डायबिटीज डायग्नोज हुआ था। ये मेरे पैरेंट्स के लिए बहुत शॉकिंग था। उन्होंने मेरे लिए जितना हो सकता था वो किया, लेकिन वो इस बात से अनजान थे कि ये बीमारी मुझे उम्र भर रहने वाली है। एक साल तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद, जहां हर बार खाने से पहले मुझे इंसुलिन शॉट्स दिए गए थे, मैंने सावधानी के साथ एक बच्चे के रूप में अपना जीवन फिर से शुरू किया और मुझे इस बात का कोई ज्ञान नहीं था कि मेरे ग्लाइसेमिक स्तर में क्या वृद्धि होगी। मैं डीडीआरसी द्वारा आयोजित डायबिटीज फेयर के जरिए डॉ. झिंगन के संपर्क में आई। उनके मार्गदर्शन और निरंतर प्रेरणा से, मैंने जीवन को जीना सीखना शुरू किया और अपने ग्लाइसेमिक स्तर और अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर नजर रखी। डॉ झिंगन ने मुझे ऐसे लोगों से कनेक्ट किया जो ऐसी ही बीमारी से पीड़ित थे। इस तरह उन्होंने मुझे एहसास कराया कि टाइप -1 डायबिटीज मेरी लाइफ को कंट्रोल नहीं करती है, में आगे बढ़ीं और अपना जीवन पूरी तरह से जीना शुरू किया और अब शादी कर चुकी
एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ हेल्दी और बैलेंस डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और पॉजिटिव सोच के जरिए टाइप-1 डायबिटीज के बावजूद भी लाइफ आसान बन जाती है। डॉ. झिंगन ने इसी तरह के अनुभवों और प्रेरणादायक कहानियों वाली अपन बुक लॉन्च करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि ये किताब उन मरीजों के लिए एक बड़ा जरिया बने जो नॉर्मल लाइफ जीने क कोशिश कर रहे हैं।

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