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जाड़े़ के मौसम में रखें खान-पान का ध्यान नही तो बढ़ सकती है पेट की समस्याएं

विनिता झा
कार्यकारी संपादक

एक स्वस्थ पेट समग्र स्वास्थ्य की नीव है। एक व्यक्ति की खानपान की आदतें उसके पाचन तंत्र का स्वास्थ्य निर्धारित करती हैं। जाड़े के मौसम में अक्सर लोग जरूरत से अधिक खा जाते हैं और खानपान की गलत आदतें आपके पाचन तंत्र पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं। जाड़े के मौसम को खाने पीने की लजीज किस्मों के लिए जाना जाता है जो विभिन्न रेस्तरां और ठेले पर मिलती हैं। कम तापमान बैक्टेरिया की वृद्धि की गति घटा देता है और खाने पीने की चीजों की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है। लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि स्ट्रीट हॉकरों द्वारा परोसे जाने वाली चीजें खाने के लिहाज से स्वास्थ्यप्रद होंगी। पकाने की सामग्री और तरीके, खाना स्टोर करने की व्यवस्था उस खाने की गुणवत्ता तय करती हैं। ज्यादातर स्ट्रीट हॉकर अच्छी गुणवत्ता के खाद्य तेल का उपयोग नहीं करते। इसके अलावा, वे तेल को बार बार खौलाते हैं जिससे खाने की गुणवत्ता गिरती है।

ठंड के मौसम में गर्मागर्म स्ट्रीट फूड की सुगंध से लोग खुद को रोक नहीं पाते और जरूरत से अधिक खा जाते हैं जिसकी उन्हें रात में पेट फूलना, पेट में मरोड़ आदि के रूप में कीमत चुकानी पड़ती है।खाद्य सुरक्षा को लेकर स्ट्रीट हॉकरों को शिक्षित करने के लिए हाल ही में एफएसएसएआई ने एक अभियान चलाया जिससे स्ट्रीट फूड्स की गुणवत्ता सुधारने में निश्चित तौर पर मदद मिलेगी। इसके अलावा, ईट राइट मूवमेंट के एक विस्तार के तौर पर स्वस्थ भारत यात्रा शुरू की गई जिसके जरिए कई साइकिल सवार सही खानपान और स्वस्थ खानपान का संदेश फैलाने के लिए साइकिल से देशभर की यात्रा करेंगे। इस यात्रा से देश के उन हिस्सों में संदेश फैलाने में मदद मिलेगी जहां डिजिटल पहुंच बहुत मामूली है।

जाड़े का मौसम और बीमारी

जाड़े में शरीर को खुद को गर्म रखने के लिए अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत पड़ती है। अतिरिक्त कैलोरी की मांग से पाचन तंत्र सक्रिय स्थिति में आ जाता है और लोगों को अधिक भूख महसूस होती है। हालांकि, यदि वे अपने भोजन का ख्याल नहीं रखते हैं तो अक्सर जरूरत से अधिक खा जाते हैं। अधिक मात्रा में भोजन, पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालता है और पाचन धीमा कर देता है। यही मुख्य वजह है जिससे लोगों को जाडे के मौसम में अक्सर सीने में जलन होती है।

आप जिस प्रकार की चीजें खाते हैं, आपका पाचन तंत्र उसी प्रकार से प्रतिक्रिया करता है। गलत ढंग की चीजें अक्सर या तो पेट गड़बड़ कर देती हैं या फिर कब्ज पैदा कर देती हैं। अगर आप पिछले महीने के अपने आहार की योजना के बारे में ध्यान दें तो आप आसानी से देख सकते हैं कि आपके भोजन में मुख्य रूप से तेल मसाले वाली वसा और चीनी युक्त चीजें शामिल रही होंगी। अधिक वसा और चीनी युक्त चीजें खाने से वजन बढ़ता है। एक समय के दौरान वजन बढ़ने से पेट की समस्याएं होंगी और वसा आपका पाचन सुस्त कर तत्काल आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।

जाड़े का मौसम रेशे से भरपूर कई चीजें अपने साथ लाता है, लेकिन ज्यादातर लोगों का इनके प्रति झुकाव नहीं होता और वे मांसाहारी भोजन पसंद करते हैं।  रेशे युक्त चीजों का सेवन कम करने से भी पेट की दिक्कतें आती हैं। कम फाइबर युक्त भोजन से पाचन धीमा होता है और कब्ज की समस्या पैदा होती है।

यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि गर्मी का भोजन, हमारे जाड़े के भोजन के बिल्कुल उलट होता है। गर्मियों में हम हल्का भोजन लेते हैं और पर्याप्त पानी पीते हैं। पानी एक स्वस्थ पाचन तंत्र बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके उलट जाड़ों में पानी की खपत काफी कम रहती है और तरल चीजों में चाय और कॉफी अधिक शामिल होती हैं जिससे पेट में गैस की समस्या पैदा होती है।

जाड़े के मौसम में लोगों का अल्कोहल लेने के प्रति झुकाव भी बढ़ जाता है। अल्कोहल और ठंड को लेकर सबसे बड़ी भ्रांति यह है कि यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। हालांकि अल्कोहल का सेवन आपके शरीर का तापमान घटा देता है जिससे फूड रिफ्लक्स होता है। फूड रिफ्लक्स का कारण बनने वाली अन्य चीजों में चॉकलेट, माइंड और अम्लीय भोजन शामिल हैं।

जाड़े में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है और यही वजह है कि भारतीय लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश और अदरक व तुलसी की चाय पीते हैं। कमजोर रोग प्रतिकारक क्षमता का मतलब है कि रोगाणु आपके ऊपर आसानी से हमला कर सकते हैं। दूषित भोजन या अधपका भोजन आपको पेट के ज्वर से ग्रसित कर सकता है।

इस जाड़े में अपने पेट को कैसे स्वस्थ रखें?

जाड़े के मौसम में खाने पीने की चीजें अत्यधिक लुभावनी हो सकती हैं। यह बात स्वीकारें कि आप वसा से भरपूर चीजें खाएंगे। हालांकि मात्रा को ध्यान में रखने से आपको पेट की समस्याएं रोकने में मदद मिल सकती है। जाड़े के दिनों में पार्टियां भी खूब होती हैं जो दिवाली से शुरू होकर नववर्ष तक चलती हैं। यदि आप ढेर सारी पार्टियों में शरीक हो रहे हैं तो यह पक्का करें कि दिन का भोजन हल्का और रेशे युक्त चीजों से भरपूर रहे ताकि वह पार्टी के खाने की भरपाई कर सके।

खूब चबा-चबाकर धीरे धीरे खाना और रात्रि के भोजन के बाद हल्की फुल्की चहलकदमी करना ऐसी दो सलाह हैं जो सालभर काम करती हैं। इन दोनों आदतों से पाचन में मदद मिलती है और आपका पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। अल्कोहल और चॉकलेट को मोटापा लाने वाली चीजों के तौर पर जाना जाता है और ये जाड़े के त्यौहारी सीजन में हर जगह खाने को मिल जाती हैं। स्वस्थ रहने के लिए इनका सीमित उपभोग करना बुद्धिमानी होगी।

खुद के पांचन तंत्र को जानना, पेट से जुड़ी समस्याओं को रोकने में काफी मददगार है। हर किसी का शरीर अलग होता है और अलग अलग खाने की किस्मों के मुताबिक प्रतिक्रिया करता है। आपकी उम्र बढ़ने के साथ भी आपका शरीर अलग अलग भोजन पर अलग प्रतिक्रिया करता है। जब आपको पेट की दिक्कत हो तो ऐसे में आपने जो कुछ भी खाया है, उसका रिकॉर्ड रखें। यदि आपको वहीं चीज खाने से दोबारा समस्या हो तो आपको वह चीज खाने से बचना चाहिए।

उदर ज्वर वास्तव में कोई ज्वर नहीं है क्योंकि इनफ्लुएंजा केवल श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। उदर ज्वर, आंत का संक्रमण है और अक्सर यह दूषित भोजन या दूषित पानी पीने से होता है। इसके लक्षणों में पतली दस्त होना, पेट में मरोड़, मिचली, उल्टी और बुखार आना है। चूंकि वायरल गैस्ट्रोएनटेराइटिस का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, इससे बचाव ही महत्वपूर्ण है। यह पक्का करें कि हर बार खाने से पहले अपने हाथों को धुलें और खानपान की स्वस्थ आदतें डालें। बाहर खाना खाते समय यह सुनिश्चित करें कि साफ सफाई का ख्याल रखने वाली दुकानों पर ही जाएं जहां खाद्य सुरक्षा के नियमों का पालन किया जाता हो।

यदि आप इस लेख में दी गई सलाहों को अपनाने से चूकते हैं और पेट की समस्याओं से ग्रसित होते हैं तो कुछ गैर प्रिस्क्राइब्ड दवाएं आपको बचा सकती हैं।

सीने में जलनः Antacids (Gelusil, Cal-mint) H2 blockers (Zantac, Pepsid). Antacids तुरंत काम करना शुरू करती है और H2 blockers को भोजन से आधा घंटे पहले लेने की सलाह दी जाती है।

डायरियाः Immodium, Pepto-Bismolयदि आपके भीतर वायरल गैस्ट्रोएनटराइटिस का लक्षण दिखता है तो ये दवाएं न लें। इसके बजाय, डाक्टर को दिखाएं।

गैस की समस्या से ग्रस्त मरीजों के लिए अतिरिक्त नुस्खे

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