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दो दिवसीय कृषि महोत्सव.प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण का कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालयए भारत सरकार द्वारा कल से आयोजन

कोटा, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालयए भारत सरकार द्वारा राजस्थान के कोटा संभाग को कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उन्नत और अग्रणी बनाने के लिये दो दिवसीय कृषि महोत्सव.प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 24,25 जनवरी 2023 को दशहरा मैदान, कोटा, राजस्थान में किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार, कैलाश चौधरी, पशुपालन, मत्स्य पालन, राज्य मंत्री, भारत सरकारए डॉण्संजीव बलियान, कृषि एवं पशुपालन मंत्री, राजस्थान सरकार, लालचंद कटारिया और राज्य मंत्री, सहकारिता विभाग, राजस्थान सरकार, उदयलाल आंजना उपस्थित रहेंगे। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय सरकारए राज्य सरकार एवं भारतीय कृषि अनुसंधान के वरिष्ठ अधिकारी एवं लगभग 35 हजार किसान, कृषि स्टार्टअप, कॉर्पोरेट बैंकर्स, विस्तार कर्मी एवं निजी कृषि संस्थाओ के कर्मी भी उपस्थित रहेंगे।
इस कृषि महोत्सव में आयोजित प्रदर्शनी के माध्यम से केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी स्टॉलों के द्वारा दी जाएगी। साथ ही निजी क्षेत्र की कृषि के विभिन्न आदानों की आपूर्ति से सम्बंधित कंपनियोंध्संस्थाओं भी अपने उत्पादों को स्टॉलों के माध्यम से प्रदर्शित करेंगे। इस प्रदर्शनी में 150 स्टॉल किसानों को कृषि सम्बन्धी जानकारी प्रदान करने के लिए लगाये जाएंगे। कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप की आवश्यकता को देखते हुए 75 स्टॉल स्टार्टअप के लगाये जाएंगे जो इस प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताओं में से एक है।
इस महोत्सव के दौरान लगभग 5000 किसानों को कृषिए बागवानी एवं पशुपालन सम्बन्धी विषयों पर प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम भी दो सत्रों में आयोजित किया जा रहा है। किसानों के लाभ के लिए कृषि अवसंरचना निधि पर एक विशेष कार्यशाला का भी आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय आयोजन में कृषि अनुसंधान संस्थानोंए कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि आंचलिक केन्द्रों के वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ.साथ क्षेत्र के लगभग 35000 किसान प्रतिभाग कर रहे हैं। इस प्रकार के आयोजन समय.समय पर किया जाना प्रासंगिक है और क्षेत्र के किसानों को सही दिशा देना महत्वपूर्ण है ताकि किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सके और खेती को टिकाऊ बनाया जा सके। साभार : पीआईबी

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