जेबा खान
राजेन्द्र मोहन शर्मा साहित्य की दुनिया में एक ऐसा नाम है जिसको हर कोई बखूबी से जनता है। साहित्य के क्षेत्र में लम्बे समय से कार्यरत हैं। जिन्हें अनेकों सम्मान जैसे “नरपतसिंह सांखल पुरस्कार”, “प्रेमचंद शिखर सम्मान” आदि से नवाजा जा चुका है। अनगिनत पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके राजेंद्र जी की रचनाओं में ‘आखिर क्यों’ काव्य-संग्रह, ‘टेढ़ी बत्तीसी’ व्यंग्य, ‘दीन दयाल’ कहानी-संग्रह, ‘रंजना की व्यंजना’ व्यंग्य-संग्रह, ‘सामयिक सरोकार’ (आलेख) प्रकाशित हो चुकी हैं। चार कृतियाँ प्रकाशनाधीन हैं। प्रयोगवादी, भाषा संसार के नए प्रयोगों के वाहक। संप्रति स्वतंत्र लेखन। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। सुप्रसिद्ध रचना ‘विनायक त्रयी’ के रचनाकार के रूप में आपको देश भर में विशेष आदर और सम्मान भी प्राप्त किया है। डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित बुक्स “रजवाड़ों के जांबाज” नाम की पुस्तक प्रकाशित हुई है। इसके लेखक है राजेन्द्र मोहन शर्मा।
रजवाड़ों के जांबाज में ऐसी सामग्री पाठकों के बिच प्रस्तुत किये जिससे पढ़़ने के बाद उस समय के जाबाजों ने कितने जातन करने के बाद आजादी का जाम हासिल किया है। राजस्थान के कण-कण में अमर बलिदानी की शौर्य गाथा गुंथी होई है, वहाँ के किसी भी मट्टी के ढेले को उठाकर देख लीजिये उसी जगह से आपको उत्सर्ग देने वाला कोई न कोई जांबाज परचम लहराता देखने को मिल जायेगा, जिन्होंने अपनी जान की बजी लगाकर माँ भारती की रक्षा की साथ ही उसकी आन बाण शान को भी बढ़ाया। यहाँ के योद्वाओं ने आक्रांताओं को मुंह तोड़ जवाब दिया। इनमें शूरवीर शासक महाराणा प्रताप माला के शिखर हैं, शिरोमणि हैं। हल्दीघाटी वीरों की तीर्थ स्थली है तो माँ पन्नाधाय बलिदान की मूर्त है।