हरे अँधेरा राह का, भरे उजाला रेख।
सुगम बनाती पथ सदा, देख सको तो देख।।
पुस्तक आँचल मातु का, पुस्तक सिर पर छाँव।
पुस्तक दुख में है दवा, भरे हृदय के घाव।।
पुस्तक सत्पथ पर बढ़ा, हर पल देती सीख।
पुस्तक जिनकी हैं सखा, कभी न माँगे भीख।।
विविध विधा के लेख अरु, नवरस सुख-दु:ख भाव।
पुस्तक पृष्ठों में दिखे, धूप चाँदनी छाँव।।
पुस्तक महकाती सदा, मानव जीवन बाग।
साबुन पानी के बिना, धुलती मन के दाग।।
प्रमोद दीक्षित मलय
शिक्षक, बाँदा (उ.प्र.)