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होली मिलन के अवसर पर कवि गोष्ठी सम्पन्न

प्रमोद दीक्षित मलय शिक्षक, बाँदा (उ.प्र.)

कविता में जीवन के विविध रंग हैं : बाबूलाल दीक्षित

अतर्रा (बाँदा)। रंगपर्व होली के अवसर पर शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय के आवास पर गत दिवस एक लघु कवि गोष्ठी का आयोजन सम्पन हुआ, जिसमें आमंत्रित कवियों ने अपनी विविध रचनाएं पढ़ीं। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए साहित्याचार्य बाबूलाल दीक्षित (पूर्व प्राचार्य-मन्नूलाल संस्कृत महाविद्यालय अतर्रा) ने कहा कि गोष्ठी में पढ़ी गयी कविताओं में जीवन के विविध रंग समाहित हैं। इनमें अगर प्रेम, मधुरता की अभिव्यक्ति हुई है तो संवेदना का स्वर भी शामिल हैं। कविता में आमजन का गूंजता स्वर उसे ताकता देता है। कविता समाज की रचना का एक सशक्त माध्यम है। सभी रचनाकारों के प्रति होली की बधाई देते हुए आपकी रचनात्मकता की सराहना करता हूं।

      कवि गोष्ठी के प्रारंभ में आयोजक शिक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने आमंत्रित कवियों रामावतार साहू, मूलचंद कुशवाहा और शिवदत्त त्रिपाठी सहित उपस्थित सभी सुधी श्रोताओं के भाल पर अबीर गुलाल लगा कर स्वागत किया। तत्पश्चात मूलचंद कुशवाहा ने गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। आगे गीत पढ़ते हुए कहा कि मैं फूल बोता उस गली जिसमें मुझे कांटे लगे। मैं गीत गाता हूँ मिलन के, प्रीत के रस में  पगे।। फिर जीवन की नश्वरता को रेखांकित करता गीत प्रस्तुत किया कि न इतराओ ज्यादा क्षणिक जिंदगी में। क्या पता कि मुलाकात ये आखिरी है। इसके बाद नवगीतकार और नेल्सन मंडेला पर महाकाव्य की रचना करने वाले वरिष्ठ रचनाकार रामावतार साहू ने नवगीत पढ़ा कि स्वेद से भीगी हुई ही रोटियां छिनती रहीं। फिर भी हमने आंसुओं से किए समझौते।।

इसके बाद ब्रह्म विज्ञान इंटर कालेज के प्रधानाध्यापक शिवदत्त त्रिपाठी ने महिला दिवस पर अपनी सम सामयिक रचनाओं से वाह वाही बटोरी कि नारी को नित पूजिये नारी जग आधार। नारी बिन सूनो लगे घर आंगन त्योहार।। इसके बाद प्रमोद दीक्षित मलय ने फागुनी दोहे सुनाकर वातावरण प्रेममय कर दिया। फागुन ने हर द्वार पर, सुरभित सुमन बिखेर। डलिया भरकर दे रहा, कैथा महुआ बेर।।

डेढ़ घंटे तक चली गोष्ठी में कवियों ने दो चक्रों में रचनाएं पढ़ीं। बेटी संस्कृति दीक्षित ने चाय-मठरी, लड्डू नमकीन आदि की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल बीच-बीच में सभी रचनाकारों को जलपान उपलब्ध कराती रहीं। अंत में आयोजक प्रमोद दीक्षित मलय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब प्रत्येक महीने के पहले शनिवार को मेरे आवास पर कवि गोष्ठी सम्पन्न होगी। काव्य पाठ हेतु अन्य रचनाकारों को भी आमंत्रित किया जायेगा

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