परिजन से नित सीखते, भाषा का व्यवहार।
बच्चे रचने हैं लगे, शब्दों का संसार।।
कच्ची मिट्टी हैं नहीं, खाली घड़ा न जान।
कोरे कागज भी नहीं, बच्चे बहुत महान।।
कला गणित अरु नीति का, रखें सहज शुभ ज्ञान।
महत्व कभी न दें बड़े, कोरा मानस मान।।
नदी ताल खग कूप तरु, फसल खेत खलिहान।
घर पड़ोस सामान की, बच्चों को पहचान।।
बच्चे कल हैं विश्व का, सुंदर धरती रूप।
मान प्यार सह दीजिए, पोषण छाया धूप।।
प्रमोद दीक्षित मलय
शिक्षक, बाँदा (उ.प्र.)