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बच्चे श्वेत कपास

 कपट नहीं है हृदय में, नहीं किसी से बैर।
बच्चे समता साधते, क्या अपने क्या गैर।।

गिरि कानन में ज्यों खिले, मोहक मृदुल पलाश।
जग उपवन में हैं उगे, बच्चे श्वेत कपास।।

बच्चे कलरव जब करें, उपजे जग संगीत।
अम्बर से नित ज्यों झरे, बारिश बूँदें गीत।।

पल-पल में हैं रूठते, पल में करते मेल।
बच्चे गागर मधु भरी, देते प्रेम उड़ेल।।

बच्चे शीतल चाँदनी, बच्चे कच्ची धूप।
बच्चे नेह गुलाब जल, बच्चे मोहक रूप।।



प्रमोद दीक्षित मलय
शिक्षक, बाँदा (उ.प्र.)

 

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