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वक्त

यूं बदलना वक्त का जिंदगी के दरमियां
बचपने के नन्हे पांव का
झुर्रियों तक पहुंचना है तब्दीलियां।।

सुना था दुनिया बनी है
2 शब्दों के साथ मिलने से
अपना पराया सुख-दुख उतार-चढ़ाव
फिर सुकून से मौत गले लगाना है तब्दीलियां।।

दर्द का अश्कों में प्यार होना
आदतन दिल टूटने पर भी नजर से जेहेन तक उतरना है तब्दीलियां।।

हैं तब्दीलियां फिर भी मैं वही इंसान रहा
दर्द अशक शाम रात दिल ना बदले अब बेअसर तब्दीलियां।।

वक्त बेवक्त तुझे याद करते हैं लगता है अकेले में जैसे तुझसे बात करते हैं 
वक्त बेवक्त तुझे याद करते हैं 
लगता है जैसे ख्वाबों में ही मुलाकात करते हैं।।


चंद्रिका (रूपा )सिंह
अधिवक्ता

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