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भारत और सिंगापुर का ऐतिहासिक समझौता: समुद्री डिजिटलीकरण और हरित शिपिंग की नई दिशा

भारत और सिंगापुर ने समुद्री डिजिटलीकरण और कार्बन उत्सर्जन में कमी के क्षेत्र में सहयोग को नई मजबूती देने के लिए आशय पत्र (LOI) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता समुद्री क्षेत्र को हरित और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो दोनों देशों को सतत विकास और आधुनिक तकनीकों की ओर अग्रसर करेगा।

इस महत्वपूर्ण समझौते पर सिंगापुर के समुद्री और बंदरगाह प्राधिकरण (MPA) के मुख्य कार्यकारी श्री तेओ इंग दीह और भारत के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) में संयुक्त सचिव श्री आर. लक्ष्मणन ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर भारत के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और सिंगापुर के परिवहन और पर्यावरण मंत्रालय के वरिष्ठ राज्य मंत्री डॉ. एमी खोर भी उपस्थित रहे।

समुद्री क्षेत्र के लिए हरित और डिजिटल भविष्य की ओर कदम

इस आशय पत्र (LOI) के तहत, भारत और सिंगापुर मिलकर समुद्री डिजिटलीकरण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की परियोजनाओं पर कार्य करेंगे। इस सहयोग के तहत, प्रमुख हितधारकों की पहचान की जाएगी, जो इस प्रयास में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

इसके साथ ही, सिंगापुर-भारत ग्रीन और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर (GDSC) की स्थापना की दिशा में भी कदम बढ़ाए जाएंगे। यह कॉरिडोर, हरित शिपिंग तकनीकों के विकास और डिजिटल समाधानों के तेजी से अपनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

भारत और सिंगापुर: एक आदर्श साझेदारी

भारत और सिंगापुर दोनों ही वैश्विक समुद्री उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं

हरित और डिजिटल शिपिंग के लिए भविष्य की राह

सिंगापुर-भारत ग्रीन और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर (GDSC) की स्थापना के बाद,

भारत और सिंगापुर का यह सहयोग वैश्विक समुद्री क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि विश्व स्तर पर हरित और डिजिटल शिपिंग के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेगा।

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