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एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के जी20 आदर्श वाक्य के तहत, भारत डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्‍टम में अधिक सहयोग और निरंतर प्रयासों की दिशा में काम कर रहा है

डिजिटल स्वास्थ्य युक्तियां केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा डिलिवरी कार्यक्रमों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि विविध स्वास्थ्य परिणामों में फैले हुए हैं, जो स्वास्थ्य और रोग से जुड़ी विस्‍तृत श्रेणियों में संचारी तथा गैर-संचारी दोनों प्रकार के रोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं”। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से डब्‍ल्‍यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र द्वारा आयोजित भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत एक सह-ब्रांडेड कार्यक्रम “डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक सम्मेलन – सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को अंतिम नागरिक तक सुलभ करना” के समापन दिवस पर अपने संबोधन के दौरान यह बात कही। मार्शल द्वीप के स्वास्थ्य और मानव सेवा मंत्री श्री जो बेजांग और डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह इस अवसर पर उपस्थित थी। अन्य गणमान्य व्यक्ति, जो उच्च-स्तरीय पूर्ण सत्र में उपस्थित थे, उनमें डेनमार्क के आंतरिक और स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा अवसंरचना और साइबर सुरक्षा कार्यालय की वरिष्ठ सलाहकार सुश्री नीना बर्गस्टेड; मोज़ाम्बिक के स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रशिक्षण की उप निदेशक श्रीमती बर्नार्डिना डी. सूसा; ओमान के सूचना प्रौद्योगिकी महानिदेशक बदर अवलदथानी और अमेरिकी स्वास्थ्य तथा मानव सेवा विभाग की हेल्‍थ अटैची और दक्षिण एशिया क्षेत्रीय प्रतिनिधि डॉ. प्रीता राजारमन शामिल थीं।

डॉ. मांडविया ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए रेखांकित किया कि ‘‘भारत ने प्रभावी स्वास्थ्य सेवा डिलिवरी के लिए डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों का लाभ उठाने की दिशा में लंबी छलांग लगाई है”। उन्‍होंने कहा, “भारत ने मातृ और बाल स्वास्थ्य क्षेत्र में, 200+ मिलियन पात्र जोड़ों, 140 मिलियन गर्भवती महिलाओं और 120 मिलियन बच्चों का नाम-आधारित डेटाबेस का निर्माण किया है, जिनकी प्रसव पूर्व, प्रसवोत्तर और टीकाकरण संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निगरानी की जा रही है। एक अन्य प्रमुख उदाहरण राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत निक्षय (NIKSHAY) युक्ति है, जिसके माध्यम से 11 मिलियन से अधिक रोगियों को टीबी उपचार के पालन के लिए ट्रैक किया जाता है’’।

डॉ. मांडविया ने ई-रक्तकोश (जो देश भर में सभी ब्लड बैंकों का प्रबंधन करता है), ओआरएस (ऑनलाइन रिजर्वेशन सिस्टम एप्लिकेशन जो देश भर में सरकारी सुविधाओं के लिए ऑनलाइन नियुक्ति प्रदान करता है), मेरा अस्पताल (अस्पतालों द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर फीडबैक देने के लिए मंच), ई-संजीवनी (दुनिया का सबसे बड़ा टेलीमेडिसिन नेटवर्क) और कोविन (वैक्सीन प्रबंधन मंच) जैसे अन्य अखिल भारतीय डिजिटल अनुप्रयोगों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “अब तक, इस मंच के माध्यम से 100 मिलियन से अधिक टेली-कंसलटेशन आयोजित किए गए हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर विख्‍यात कोविन वैक्सीन प्रबंधन मंच ने 2.2 बिलियन से अधिक कोविड-19 वैक्सीन खुराक दिए जाने में सहायता की है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के डिजिटल पहलुओं पर भी विस्तार से जानकारी दी और कहा, “इस पहल के तहत, 332 मिलियन से अधिक विशिष्ट रोगी आईडी (एबीएचए पहचान पत्र), 200,000 से अधिक स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री और 1,44,000 से अधिक स्वास्थ्य व्यावसायिक रजिस्ट्री सृजित की गई हैं।” उन्होंने कहा कि एबीडीएम एक मरीज के व्‍यापक स्वास्थ्य रिकॉर्ड के निर्माण की ओर ले जाएगा, जो प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर की देखभाल की निरंतरता पर प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने कहा कि एबीडीएम बारंबार निदान, सटीक निदान, उत्‍कृष्‍ट दवा, देखभाल की गुणवत्ता में वृद्धि, आपात स्थिति में समय पर कार्रवाई और व्‍यक्तिगत रूप से होने वाले व्‍यय में कमी के उद्देश्य से नई तकनीकों तथा उन्नत डेटा एनालिटिक्स को वर्तमान समाधानों के साथ समेकन में सक्षम बनाता है।

देश में स्वास्थ्य सेवाओं की डिलिवरी की दिशा में उन्नत प्रौद्योगिकियों को रूपांतरित करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों पर बल देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एम्स दिल्ली, एम्स ऋषिकेश और पीजीआई चंडीगढ़ जैसे प्रमुख तृतीयक देखभाल संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के रूप में नामित किया गया है; स्वास्थ्य सेवा में एआई के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडीएसी), पुणे को ईएचआर मानकों (एनआरसीईएस) के लिए राष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रूप में नामित किया गया है और एक राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य वेधशाला (एनपीएचओ) अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्तर पर स्थापित की गई है, जिसमें राज्य तथा जिला स्तर पर नोड्स के साथ अलग-थलग पड़ चुके और संबंधित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बीच तालमेल बनाया जा सकता है। जो. बेजांग ने डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि डिजिटल युक्तियां सेवाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लक्षित करने, दवाओं के प्रबंधन और आपूर्ति सूची में अक्षमताओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है तथा  टेलीमेडिसिन और टेली-कंसलटेशन के माध्यम से, चिकित्सा नि‍ष्‍क्रमण की आवश्यकता को कम कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवहन की बढ़ती लागत के साथ, डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विकास भी प्रमुख आर्थिक लाभ प्रदान करता है।

डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने डिजिटल स्वास्थ्य में भारत के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि “ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के माध्यम से 100 मिलियन से अधिक टेली-परामर्श आयोजित करना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है”। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य डेटा के प्रबंधन और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों के लिए डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए मजबूत नीति निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने विभिन्न देशों की दक्षताओं और क्षमताओं का लाभ उठाते हुए डिजिटल स्वास्थ्य एवं नवोन्‍मेषण में अधिक वैश्विक सहयोग की भी अपील की। डॉ. सिंह ने और अधिक मानव-केंद्रित डिजिटल समाधान लाने की आवश्यकता का समर्थन किया। सम्मेलन में वैश्विक नेताओं और स्वास्थ्य विकास भागीदारों, स्वास्थ्य नीति निर्माताओं, डिजिटल स्वास्थ्य नवोन्‍मेषकों तथा इन्‍फ्लुएंसरों, शिक्षाविदों और अन्य हितधारकों ने भी सहभागिता की। साभार : पीआईबी

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