केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि आईपीसीसी एआर 6 रिपोर्ट इस बात पर फिर से जोर देती है कि विकास जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध हमारा पहला बचाव है। यह रिपोर्ट इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण की फिर से पुष्टि करती है कि कार्बन डायऑक्साइड प्राथमिक जीएचजी है जिसे वैश्विक तापमान लक्ष्य अर्जित करने के लिए बेशुमार मात्रा में कम किए जाने की आवश्यकता है जैसा कि पेरिस समझौते में सहमति हुई थी। जापान के सैप्पारो में जलवायु, ऊर्जा एवं पर्यावरण पर जी 7 मंत्रियों की बैठक पर पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2050 तक शुद्ध शून्य तक पहुंचने के वैश्विक लक्ष्य के लिए विकसित देशों द्वारा उत्सर्जन में अधिक मात्रा में कमी लाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह भारत जैसे देशों को अपने लोगों के लिए आवश्यक विकास अर्जित करने के लिए स्थान उपलब्ध कराएगा, जो जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणगत गिरावट और प्रदूषण के प्रभावों के विरुद्ध आवश्यक बचाव प्रदान करेगा।
यादव ने कहा कि औद्योगिक क्रांति के उद्भव के बाद से, आर्थिक वृद्धि और विकास अर्जित करने के लिए जीएचजी का विपरीत अनुपात में बेशुमार उत्सर्जन हुआ है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन से पर्यावरण का भी व्यापक रूप से क्षरण हुआ है। यादव ने बताया कि यह प्रकृति के संतुलन में परिवर्तन की कीमत पर हुआ है जिससे पृथ्वी ग्रह के अस्तित्व पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।
यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जैवविविधता के नुकसान की चुनौतियों से हमारे ग्रह को बचाने के लिए हमें रियो संधियों के संस्थापक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमने यूएनएफसीसीसी, सीबीडी, यूएनसीसीडी की प्रक्रिया के माध्यम से सामूहिक रूप से कुछ प्रगति की है। बहरहाल, जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता के नुकसान और प्रदूषण की तीन चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक से अधिक कदम उठाने की आवश्यकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विकासशील देशों को भी कार्यान्वयन, वित्त एवं प्रौद्योगिकी के साधनों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम यह उम्मीद जरुर करते हैं कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्त पर अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी करेंगे और पर्यावरण के क्षरण और जैवविविधता के नुकसान से निपटने के लिए इसे उपलब्ध कराएंगे।
यादव ने कहा कि कार्बन तटस्थता और बढ़ी हुई महत्वाकांक्षा के लक्ष्यों तक पहुंचना तब तक संभव नहीं होगा जब तक उनका निर्माण निष्पक्षता और सीबीडीआर-आरसी विचारों को ध्यान में रख कर नहीं किया जाता तथा जब तक विकसित देश कार्यान्वयन के साधनों को उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरी नहीं करते।
यादव ने कहा कि अभी तक हमारी कार्रवाइयां जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए एक नीतिगत संरचना का सृजन करने पर केंद्रित रही है। यही उपयुक्त समय है जब विश्व भर की सरकारें व्यक्तियों के स्तर पर इसे एक भागीदारी प्रक्रिया बनाने पर ध्यान केंद्रित करें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि व्यक्तिगत कार्रवाइयों में क्रांति की क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि शर्म अल शेख में सीओपी 27 में, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए टिकाऊ जीवनशैलियों और उपभोग तथा उत्पादन के स्थिर तरीकों के महत्व को रेखांकित किया गया। यादव ने सभी संबंधित देशों से मिशन लाईफ की भावना में व्यक्तिगत व्यवहार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के द्वारा, पर्यावरण के लिए जीवनशैली ( लाईफ ) की तरफ बदलाव लाने के द्वारा जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणगत क्षरण और प्रदूषण के विरुद्ध सामूहिक लड़ाई में विश्व के लिए एक उदाहरण स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया।