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दिल की बीमारियां : शुरुआती लक्षणों को ना करें नजरअंदाज

कार्डियक से जुड़े केस में टाइम की बेहद अहम भूमिका : लोगों को जागरूक

बुलंदशहर : कोविड महामारी से आगे बढ़ते हुए, सर्दियां आने से भी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है इसके अलावा, शहरीकरण के कारण टियर-शहरों में लोगों के अधिक से अधिक जीवन प्रभावित हो रहे हैं, वहां लोगों की नियमित आदतों और खान-पान में भारी बदलाव आया है, जिससे लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है. हाल के दिनों में कार्डियक के मरीजों की संख्या में चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिली है, लिहाजा ऐसे में जरूरत है कि लोगों को उनके दिल की सेहत के बारे में समझाया जाए और इसके इलाज के लिए उपलब्ध एडवांस तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाए. अगर समय पर मरीज को इलाज मिल जाए बहुत लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसी के मद्देनजर यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, ग्रेटर नोएडा ने आज एक अवेयरनेस सत्र का आयोजन किया. बता दें कि यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ग्रेटर नोएडा अपने बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ एडवांस कार्डियक केयर सेंटर चला रहा है और अस्पताल ने हाल ही में यूपी के बुलंदशहर में अपना सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक लॉन्च किया था, जहां अलग-अलग तरह के मरीजों के लिए ओपीडी चलाई जा रही है.

अलग-अलग कार्डियोलॉजिस्ट व कार्डियक सर्जन भी रेगुलर बेसिस पर इस क्लीनिक में आते रहेंगे और बीमार लोगों को परामर्श देंगे. यथार्थ अस्पताल ने एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा भी शुरू की है, जो इमरजेंसी में कार्डियक से जुड़े मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में मददगार साबित होती है और जिस कारण मरीज को समय पर इलाज मिल पाता है. इमरजेंसी में एंबुलेंस सेवा के लिए लोग 1800-330-0000 नंबर पर कॉल कर सकते हैं. यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, ग्रेटर नोएडा में कार्डियक साइंस एंड सीटीवीएस के हेड डॉ.अखिल कुमार रुस्तागी ने कहा, दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले में टाइम बहुत ही कीमती होता है, ऐसे में हम आपको अपने हार्ट कमांड सेंटर के बारे में बता रहे हैं, जो लोगों के जीवन बचाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. हार्ट कमांड सेंटर उन एंबुलेंस से कनेक्ट रहेगा जो मरीजों को अस्पताल लेकर पहुंचती हैं. इससे मरीज के इलाज की तैयारी पहले ही शुरू कर दी जाती है. मरीज के पहुंचते ही ईसीजी, ईको जैसे टेस्ट की सुविधा होती है और पेसमेकर, बैलून पंप जैसे इलाज मरीज के पहुंचते ही दिए जाते हैं, यहां वेंटिलेटर की भी सुविधा रहती है.

इसके लिए एक डेडिकेटेड टीम रहती है जिन्हें कोड दिए गए हैं, जैसे हार्ट अटैक के मामलों के लिए स्टेमी कोड है. इस स्थिति में अलग-अलग के लोग एकसाथ आकर मरीज की जान बचाने के लिए इलाज में जुट जाते हैं. हार्ट कमांड सेंटर की मदद से हार्ट अटैक के मरीज को बैलून पंप 60 मिनट के अंदर मिल पाता है, जो वल्र्ड के स्टैंडर्ड टाइम 90 मिनट से कम है. बैलून पंप की मदद से ब्लॉक आर्टरी खोलने का काम किया जाता है.
कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी व सीनियर कंसल्टेंट डॉ.पंकज रंजन ने बताया, दिल की बीमारियों के शुरुआती लक्षणों वाले मरीज अक्सर इसे तब तक नजरअंदाज करते हैं, जब तक कि यह परेशानी का कारण न बन जाए. इस सत्र के माध्यम से, हम जनता को लक्षणों की शुरुआती पहचान के महत्व और इलाज के रिजल्ट में इसकी भूमिका के बारे में जागरूक करना चाहते हैं. भारत को कार्डियक बीमारियों के घर के रूप में जाना जाता है. खराब लाइफस्टाइल, शराब का अधिक सेवन, स्मोकिंग जैसी आदतें भी इसका कारण बन रही हैं. यहां तक कि यंग आबादी भी इसकी चपेट में आ रही हैं. इस तरह की गलत आदतें डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए और ज्यादा रिस्की हो जाती हैं. कार्डियक साइंस के क्षेत्र में हाल में काफी तरक्की हुई है. 25-45 साल की उम्र के बीच के लोगों को खासतौर पर इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है और खराब आदतों को सुधारने की जरूरत है.
कार्डियोलॉजी के डॉ. दीपांकर वत्स ने कहा, किसी भी आपात स्थिति में टाइम बहुत ही महत्वपूर्ण रोल निभाता है. यही कारण है कि हमारी कोशिश गोल्डन ऑवर विंडो के अंदर हार्ट के मरीजों को बेहतर इलाज देने की है, ताकि लोगों को जीवन बचाया जा सके. लोगों की जान की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम अपने अस्पताल में लगातार नई-नई टेक्नोलॉजी ला रहे हैं, जिनसे मरीजों को बेहतर ट्रीटमेंट मिल रहा है. यहां एडवांस कैथ लैब भी मौजूद है. इसके अलावा हमारा अस्पताल बेसिक लाइफ  सपोर्ट ट्रेनिंग सत्र भी आयोजित करता रहता है, जिनमें आरडब्ल्यूए व पुलिस के लोग शामिल होते हैं. इस ट्रेनिंग सेशन का मकसद यही रहता है कि इमरजेंसी की हालत में मरीज को कुछ शुरुआती मदद दी जा सके. 

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