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मोमेंटम रूटीन इम्यूनाइज़ेशन प्रोजेक्ट ने स्थानीय एनजीओ पार्टनर्स के सहयोग से ‘लर्निंग और एक्सपीरियंस शेयरिंग’ मीटिंग का सफलतापूर्वक आयोजन किया

झारखंड: मोमेंटम रूटीन इम्यूनाइज़ेशन प्रोजेक्ट ने स्थानीय एनजीओ पार्टनर्स आईएसएपी और प्लान इंडिया के सहयोग से ‘लर्निंग और एक्सपीरियंस शेयरिंग’ मीटिंग का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस मीटिंग में प्रोजेक्ट द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के सबसे कठिन और दूरस्थ क्षेत्रों तक सफलतापूर्वक पहुँचने के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। इस मीटिंग में झारखंड के सभी एनजीओ पार्टनर्स के महत्वपूर्ण योगदान का सम्बोधन किया गया, जिसमें आईएसएपी, प्लान इंडिया, टीसीआई फाउंडेशन, एसएमआरसी और हेल्पएज शामिल रहे।

इस एक्सपीरियंस शेयरिंग में विशिष्ट मेहमानों और अन्य विकास साझेदारों की उपस्थिति दर्ज की गई। इस इवेंट में कम्युनिटी की वार्ता, विशेष फोटो गैलरी और कोविड-19 वैक्सीनेशन से मिलने वाली सीखों पर पैनल चर्चा शामिल रही।

वैक्सीनेशन ड्राइव की सफलता पर बोलते हुए, डॉ. गोपाल के. सोनी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, मोमेंटम रूटीन इम्यूनाइज़ेशन ट्रांसफॉर्मेशन एंड इक्विटी प्रोजेक्ट, ने कहा, “यह हमारे संयुक्त प्रयासों का ही परिणाम है कि हम झारखंड में कमजोर आबादी के वैक्सीनेशन को प्राथमिकता देते हुए कोविड-19 वैक्सीनेशन में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल करने में सक्षम रहे हैं। इसमें एमवीईएक्स वाहनों के माध्यम से घर-घर वैक्सीनेशन और कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से जागरूकता सत्रों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा। इसके साथ ही, बर्न यूनिट के परिसर में एक मॉडल कोविड-19 वैक्सीनेशन सेंटर स्थापित किया गया।

कम्युनिटी इंगेजमेंट गतिविधियों में वैक्सीन चैंपियंस के रूप में कम्युनिटी लीडर्स और पीआरआई मेंबर्स की भूमिका अहम् रही। यह प्रोजेक्ट एक स्थायी, सुदृढ़ और समावेशी इम्यूनाइज़ेशन प्रोग्राम की नींव रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह उन समुदायों को निरंतर रूप से लाभ पहुँचाएगा, जिनकी हम सेवा करते हैं। हम झारखंड राज्य सरकार और यूएसएआईडी के विशेष आभारी हैं कि उन्होंने हमें कोविड-19 वैक्सीनेशन में राज्य सरकार के प्रयासों को समर्थन देने और इन्हें गति प्रदान करने का अवसर दिया है।”

डॉ. अनुराधा खैरनार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आईएसएपी इंडिया फाउंडेशन, ने कहा, “वैश्विक महामारी के प्रकोप ने दुनिया भर के लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है, लेकिन हाशिए पर रहने वाली आबादी इससे सबसे अधिक प्रभावित हुई है। कोयला खनन उद्योग के श्रमिकों के बीच वैक्सीन को लेकर काफी हिचकिचाहट थी, जो कि एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इस हिचकिचाहट का कारण कहीं न कहीं वैक्सीन के संभावित परिणामों के बारे में अस्पष्ट जानकारी को माना जा सकता है।

इस चुनौती का समाधान करने के लिए, प्रोजेक्ट के प्रतिनिधियों और स्थानीय लीडर्स ने घर-घर का दौरा किया, ताकि स्थानीय लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके और इसके प्रति संकोच, भय और आशंकाओं को दूर करने में मदद की जा सके। कोयला खदान श्रमिकों के लिए उनके कार्यस्थलों पर वैक्सीनेशन कैम्प्स भी लगाए गए, ताकि उन्हें दैनिक वेतन का नुकसान भी न हो और वैक्सीनेशन भी संपन्न हो सके।”

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