यह भारत भूमि देवताओं के साथ-साथ हम सभी की अति प्रिय भूमि है। और इस भारत भूमि की जब प्रतिष्ठा की बात आती है तब पंक्ति उद्धृत होती है- “ भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिः तथा । “ के अर्थात भारत की दो मात्र प्रतिष्ठा पहली संस्कृत और दूसरी संस्कृति है जो कि एक दूसरे के पूरक ही हैं – “ संस्कृतिः संस्कृताश्रिता ” अर्थात यह जो संस्कृति है यह संस्कृत आश्रित ही है । यह भाषा राष्ट्रीय एकता ,नैतिकता , अखण्डता , एवं आध्यात्मिकता के महत्व को निरूपित करती हैं । भारतीय संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन हेतु भारतीय ज्ञान परंपरा का ज्ञान परम आवश्यक है । उक्त विचार महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के 36 वें कुलपति के रूप कार्यभार ग्रहण कर व्यक्त किया।
-यहां की दुर्लभ पाण्डुलिपियों में ज्ञान की सम्पदा संरक्षित हैं-
कुलपति प्रो त्यागी ने बताया कि “यह विश्वविद्यालय संस्कृत और संस्कृति का दोआब है यहां के पाण्डुलिपियों एवं विभागों मे ज्ञान का अपार भंडार छिपा है जिसके अन्वेषण से हम दुनिया के सामने अपने ज्ञान को रखकर वैश्विक पटल पर स्थापित हो सकेंगे।भारतीय ज्ञान परम्परा के इस ज्ञान धारा को देखकर आज देश के मा प्रधानमंत्री जी, महामहिम श्री राज्यपाल महोदया एवं मा मुख्यमंत्री जी का ध्यान दृष्टि इस संस्था के ऊपर पूरी तरह से बना हुआ है जिसका परिणाम प्रदेश शासन महकमा पूरी तरह से निरीक्षण और समिक्षा कर सहयोग के लिये तैयार है।
उनकी इच्छा और ऊद्देश्य के अनुरुप हम कार्य करेंगे। संस्कृत का ज्ञान अथाह है ,कोरोना काल से पूरे विश्व की निगाह संस्कृत पर ही है। इसकी सन्वाहिका यह विश्वविद्यालय है, इसलिये यहां के लोगों की जिम्मेदारी और बढ जाती है।”
-ऑनलाइन संस्कृत माध्यमों से संस्कृत शास्त्र वैश्विक स्तर पर पर स्थापित होगा-
कुलपति प्रो त्यागी ने कहा कि “ऑनलाइन संस्कृत माध्यम से हम संस्कृत का प्रसार व्यापक स्तर पर कर सकेंगे।इसलिये प्राथमिकता के आधार पर इस प्रोजेक्ट पर कार्य किया जायेगा। विश्वविद्यालय के पुराने गौरव को वापस लाने के लिये सभी लोगों को मिलकर कार्य करने जरूरत है।तभी इस संस्था को केन्द्रीय दर्जा मिल सकेगा।”
- योगसधना केन्द्र में कार्यभार ग्रहण कर विश्वविद्यालय परिवार के साथ परिचय।
- देश के मा प्रधानमंत्री जी काशास्त्रों के अमूल्य सम्पदा की तरफ दृष्टि।
यहां के नवागत कुलपति प्रो आनन्द कुमार त्यागी ने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत यहां के योगसधना केन्द्र में विश्वविद्यालय परिवार(आचार्य गण,अधिकारियो एवं विद्यार्थियों) के साथ परिचय लेते हुये बैठक मे कहा कि “यह संस्था हमारे देश के लिये ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिये एक आस और ध्यान केन्द्र है,इसमें कौन सी अमूल्य ज्ञान सम्पदा है जिस पर हमारे देश के प्रधानमंत्री जी, महामहिम कुलाधिपति महोदया एवं मा मुख्यमंत्री जी की दृष्टि लगी हुई है हमे मिलकर सभी के साथ उसी पर कार्य करने की जरुरत है।
आज हमें सभी के साथ मिलकर समन्वय स्थापित करके अपने अपने दायित्व का निर्वहन करने की जरुरत है।यह संस्था 234 वर्षों से स्थापित है पुराने गौरव को स्थापित करने के लिये आज हमे अपने शास्त्र परम्परा को आधुनिता के साथ तकनीकि रूप से जोड़कर आगे बढेंगे तभी युवाओं का रुझान इस तरफ बढ़ेगा।”
-सम्बद्ध महविद्यालयों की मानीटरिंग की जरुरत-
इस संस्था से जुड़े या सम्बद्ध अन्य संस्कृत महाविद्यालयों के साथ भी अनवरत मानिटरिंग करने की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षक,प्रबंधन एवं विद्यार्थियो की वास्तविकता को समझना होगा। हमे यहां से बाहर निकलकर बाहरी लोगो से जुडकर अपने को पहचानने की जरुरत है तभी हम वस्तुस्थिति तक पंहुच सकेंगे।
विद्यार्थियो मे शास्त्रों के महत्व को बताने के लिये विश्वास पैदा करने की जरुरत है साथ ही आभिवावकों मे भी विश्वास हो की हमारा बच्चा इस ज्ञान क्षेत्र मे भविष्य के लिये सुरक्षित है। हमे अपनी धारणा को ध्यान देने की जरूरत है,बच्चों को मजबूत करें उन्ही से हमारी क्षवि बनेगी।
-कार्यभार ग्रहण करते समय-
वैदिक परम्परा के अनुसार मंगलाचरण के साथ कार्यवाहक कुलसचिव केशलाल एवं यहां के वरिष्ठ आचार्य प्रो रामकिशोर त्रिपाठी ने कुलपति का कार्यभार ग्रहण कराया।
-स्वागत और अभिनंदन-
विश्वविद्यालय परिवार ने वैदिक मंत्रो के साथ अँगवस्त्रम और माल्यार्पण कर कुलपति प्रो आनन्द कुमार त्यागी एवं उनकी धर्म पत्नी श्रीमती देवसुता त्यागी का स्वागत और अभिनंदन किया गया।
- कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व दर्शन-पूजन:
कुलपति प्रो त्यागी ने कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व आज पूर्वान्ह काशी विश्वनाथ मन्दिर, काल भैरव एवं संकट मोचन मन्दिर का दर्शन- पूजन कर परम्परागत तरिके से कार्यभार ग्रहण किये।
-नियुक्ति-
उत्तर प्रदेश की महामहिम श्री राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी को कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय,नागपुर मे कुलपति नियुक्त होने पर इस विश्वविद्यालय से कार्यमुक्त कर नियमित कुलपति आने तक उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 की धारा 12(10)के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के कुलपति प्रो आनन्द कुमार त्यागी को यहां का कुलपति नियुक्त किया।
इस आशय का पत्र राजभवन के अपर मुख्य सचिव डॉ सुधीर एम बोबड़े के द्वारा प्रेषित पत्र से ज्ञात हुआ,यह दायित्व स्थाई/नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक अपने पद के दायित्व के साथ निर्वहन करेंगे।
-संक्षिप्त परिचय-
बागपत के मूल निवासी प्रो त्यागी की प्रारंभिक शिक्ष मुकारी गांव में हुई। एमएम डिग्री कालेज से बीएससी व आइआइटी-कानपुर से एमटेक किया । इसके बाद वर्ष 1990 में गुरुनानक देव विश्वविद्यालय में बतौर लेक्चरर नियुक्त हो गए । गुरुनानक देव से वर्ष 1995 शहीद भगत सिंह राज्य विश्वविद्यालय चले गए।
विज्ञान के क्षेत्र में महारत हासिल करके फिजिक्स विभाग में प्रोफेसर, हेड, डीन, निदेशक,कुशल प्रशासक के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुये वर्तमान मे लगभग दो वर्षो से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी मे कुलपति के पद को सुशोभित कर रहे हैं।
- उपस्थित जन:- विश्वविद्यालय परिवार के उपकुलसचिव केशलाल,उपकुलसचिव हरीशचंद्र, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. जितेन्द्र कुमार शाही, प्रो. पितम्बर, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. महेंद्र पान्डेय, प्रो. राजनाथ, प्रो. हीरककान्त, प्रो. विधु द्विवेदी, प्रो. विजय कुमार पान्डेय, प्रो. अमित कुमार शुक्ल, डॉ पद्माकर मिश्र, डॉ रविशंकर पान्डेय, डॉ विद्याचन्द्रा, डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ कमलेश झाँ, डॉ विजय शर्मा, ई रा मविजय सिंह, मोहित मिश्र तथा काशी विद्यापीठ के अध्यापक एवं अधिकारी आदि उपस्थित थे।