केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि स्टार्टअप्स को बनाए रखने के लिए प्रबंधन रणनीतियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और बताया कि अरोमा मिशन (लैवेंडर की खेती) का जन्मस्थान होने के नाते जम्मू और कश्मीर को भारत में कृषि-तकनीकी स्टार्ट-अप आंदोलन के मशाल वाहक के रूप में माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में मूल्य वर्धन उत्तर में हिमालयी और दक्षिण में उन समुद्री संसाधनों द्वारा किया जाएगा जिनका अभी तक दोहन नहीं हुआ है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह नवोन्मेषणों का युग है, विचारों का युग है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में सरकार विचारों और नवोन्मेषणों को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए हर तरह की तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
उन्होंने कहा कि भारत आज एक लाख से अधिक स्टार्ट-अप्स और 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ विश्व में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की अगुवाई कर रहा है। वर्तमान में सरकारी रोजगार की मानसिकता में तुरंत बदलाव की आवश्यकता है और माता-पिता इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
-स्टार्ट-अप का सबसे बड़ा स्थायित्व प्रबंधन के छात्रों का साथ है, जो आज स्नातक कर रहे हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह-
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप्स की सबसे अधिक निर्वहनीयता आईआईएम जम्मू जैसे संस्थानों से आज स्नातक करने वाले प्रबंधन विद्वानों के साथ निहित है, जो भारत में स्टार्टअप क्रांति में योगदान दे सकते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारत में शिक्षा की आधारशिला बताते हुए डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आज के छात्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लाभार्थी हैं, जो स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करती है और इसे बहुत पहले ही कर लिया जाना चाहिए था।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह भी कहा कि पुरानी शिक्षा नीति ने देश में शिक्षित बेरोजगार युवाओं का निर्माण किया, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनईपी-2020 अतीत की कई विसंगतियों को दूर करेगी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि संवादहीनता की स्थिति (साइलो) में काम करने का युग समाप्त हो गया है और संस्थानों के बीच अधिक एकीकरण की आवश्यकता है। 2023 के युवा इंडिया@ 2047 को परिभाषित करेंगे जिनके पास चुनौतियां और अवसर दोनों ही उपलब्ध है और जो विश्व की सर्वश्रेष्ठ अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए इंडिया@ 2047 के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।