शायद यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारा जीवन हमारे पिता का हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार है। हमारे जन्म से लेकर हमारे जीवन के हर पड़ाव में उनका महत्व शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मां-बाप का कर्ज कोई सात जन्म लेकर भी नहीं चुका सकता। मां-बाप अपने बच्चों की खुशी केलिए हर वह प्रयास करते हैं जो उनके वश में होता है।
अगर मां बच्चे को नौ महीने अपनी कोख में रखकर पालती है और न कितने कष्ट झेलकर पैदा करती है, तब अपने बच्चें को अपनी गोद में उठाकर अपनी छाती से लगाना एक पिता के लिए कितना गौरवपूर्ण होता है, ये तो कोई पिता ही बता सकता है। अपनी कमाई का अधिकत भाग अपने बच्चें के पालन पोषण, पढ़ाई लिखाई और उनके बेहतर भविष्य में खर्च करना हर पिता अपना कर्तव्य समझता है। ऐसे में, हम अपने मां बाप के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाते हैं और शायद उनके प्रति अपने कर्मों को भी निभाने असमर्थ होते हैं।
दरअसल, अपने पिता को धन्यवाद करने और जीवन में उनके महत्व को समझाने के लिए ही फादर्स डे यानी पिता दिवस मनाया जाता है। यह उन सबके लिए एक खास दिन होता है जो कि अपने पिता को सम्मान की नजरों से देखते हैं। उनके ऋण को चुकाने का यह एक बहुत ही छोटा सा प्रयास मात्र है। यह दिवस प्रत्येक वर्ष में जून माह के तीसरे रविवार को मनाया जाता है. इस वर्ष यह दिवस 18 जून को मनाया जा रहा है। यह दिवस सर्वप्रथम मनाने की शुरुआत अमेरिका स्थित वाशिंगटन में 19 जून, 1910 में की गई थी।
पिता दिवस मनाने का यह आइडिया सोनारा स्मार्ट डोड के द्वारा सुझाया गया था। सोनारा स्मार्ट डोड मदर्स डे की तरह ही अपने पिता के जन्मदिन पर फादर्स डे की श्ुाुरआत कर अपने पिता का शुक्रिया अदा करना चाहती थीं। लेकिन शुरुआत में इसे अधिक सराहना नहीं मिली. लेकिन कई प्रयासों के बाद 1966 में राष्ट्रपमि लिंडन बी जोनसन ने जून माह के तीसरे रविवार को फादर्स डे के रूप में घोषित कर दिया। छ: वर्ष के बाद राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस दिवस नेशनल हालिडे घोषित कर दिया।
विश्व में तो फादर्स डे मनाते हुए लगभग एक शतक हो चुका है लेकिन भारत में यह सोच और चलन एक दशक की ही पैदावार है। वैसे भी पिता दिवस की यह छाप बड़े शहरों में ही अधिक दिखाई देती है क्योंकि यहां पर पश्चिमी सभ्यता का चलन देखा जा सकता है। हालांकि लोग इस दिवस की सराहना करते हैं और इस दिवस के प्रति बड़े शहर के लोगों में बेहद उत्सुकता दिखाई देती है। पापा के लिए बधाइयां, गिफ्ट आदि भेजे जाते हैं।
बहुत से लोग अपने पिता की स्वास्थ्य जांच कराते हैं। कई परिवार अपने पिता और दादाजी के लिए शहर के बाहर का कोई टूर या फिर पिकनिक प्लान करते हैं। कई बेटियां अपने पिता को कहीं डिनर या लंच के लिए ले जाते हैं। कुल मिलाकर सबका उद्देश्य यही होता है कि इस दिन अपने जीवनदाता को किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ न पहुंचाई जाए और उन्हें खुश कर दिया जाए।
इस दिवस के उपलक्ष्य में स्कूल, कालेजों और कुछ संगठनों के द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में इस दिवस के प्रति जागरुकता पैदा की जा सके। लेकिन छोटे शहर और गांव अभी भी पिता दिवस से अनजान हैं। हालांकि गांवों में रहने वाले और शहरों में रहने वाले लगभग सभी लोग अपने पिता को वह प्यार और स्नेह देने की चाहत रखते हैं जो उन्हें चाहिए इसलिए उनके लिए अपना आभार प्रकट करने के लिए कोई भी क्षण या पल काफी है किसी खास दिन का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है।