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हम भारतीय एकलव्य हैं, कोई सिखाए न सिखाए स्वतः ही सीखते हैं: उपराष्ट्रपति ने भारत में प्रति व्यक्ति डाटा उपयोग का जिक्र किया

भारतीय एकलव्य

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि हम भारतीय एकलव्य हैं कोई सिखाए न सिखाए, हम हर नई विद्या को स्वत: ही सीख लेते हैं। ग्रामीण भारत में इंटरनेट  के बढ़ते प्रयोग की चर्चा कर रहे थे। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति इंटरनेट डाटा प्रयोग का आंकड़ा, चीन और अमेरिका के सम्मिलित आंकड़े से ज्यादा है।

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ तथा उनकी धर्मपत्नी डा. सुदेश धनखड़ आज एकदिवसीय यात्रा पर जयपुर पहुंचे जहां उन्होंने  मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शिक्षक वृंद तथा विद्यार्थियों से संवाद  किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा युवाओं से इसपर प्रकार के विचार विमर्श सदैव प्रेरणास्पद होते हैं, उज्जवल भविष्य के प्रति आशान्वित करते हैं।.भारतीय युवाओं की प्रतिभा पर विश्वास जताते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि भारतीय युवा प्रतिभाओं को खुद को नहीं बल्किभारत के प्रति दुनिया के नजरिए को बदलना है।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अधिकांश युवा आईएएस, आईपीएस या सेना के अधिकारी, इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के होते हैं।आपको इससे भी अधिक वेतन वाले अवसर मिल सकते हैं लेकिन सरकारी सेवा में समाज और राष्ट्र की सेवा का संतोष मिलता है।

उन्होंने युवा विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे प्रतिस्पर्धा और तनाव को खुद से दूर रखें।आपका मस्तिष्क नए आइडियाज का महज भंडार बन कर न रह जाए।कोई नया आइडिया आए तो उसे लागू करें और लागू करने में असफलता से डरे नहीं। असफलता का भय समाप्त होना चाहिए।उन्होंने कहा कि आपकी प्रतिस्पर्धा स्वयं आपसे है, किसी और को अपनी प्रतिभा और क्षमता को मापने का अधिकार न दें।इस संदर्भ में उन्होंने हाल के वर्षों में भारत की सफलताओं का भी जिक्र किया।.उन्होंने कहा आज के भारत में हर किसी की प्रतिभा का यथासंभव उपयोग करने के पर्याप्त अवसर हैं।

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई उज्जवला योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं तथा 11 करोड़ किसानों के खाते में सीधे, बिना बिचौलिए के DBT के माध्यम से रु 2.25 लाख करोड़ पहुंचाए जाने की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति कहा कि ऐसा नेतृत्व मिलना राष्ट्र का सौभाग्य है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत में हर किसी को समान अवसर उपलब्ध हैं, सबको समान धरातल प्राप्त है। उन्होंने कहा कि वो दिन गए जब कुछ संभ्रांत परिवारों के संतानों को भी सफलता का सौभाग्य प्राप्त होता था।आज हर नए आइडिया को प्रोत्साहित किया जाता है, उन्हें लागू करने के असीम अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारे स्टार्ट अप और यूनिकॉर्न कंपनियां युवाओं द्वारा चलाई जा रही हैं, बल्कि नए आइडियाज और उनपर आधारित नए स्टार्ट अप स्थापित उद्योग घरानों को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, कानून का शिकंजे से कोई नहीं बच सकता। उन्होंने कहा कि कानून के सामने यह समानता ही कुछ अभिजात्य लोगों को रास नहीं आती। जब उन्हें कानूनी नोटिस मिलता है तो वे सड़कों पर आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग एकत्र हो कर, अपनी अभिजात्यता बचाने की आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन कानून का शिकंजा अवश्य कसेगा।

 उन्होंने कहा वो ऐसी राजनीति पर टिप्पणी नहीं कर रहे, बल्कि वे इसके सामाजिक परिणामों को ले कर चिंतित हैं जब विरोध के नाम पर सड़कों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है। यह असंतोष और अराजकता सामाजिक समस्या है। उन्होंने कहा जो लोग पद ग्रहण करते समय संविधान की शपथ लेते हैं, वही लोग संवैधानिक संस्थाओं की सार्थकता, सक्षमता पर प्रश्न उठाते हैं, उनकी आलोचना करते हैं। प्रबुद्ध समाज को ऐसे लोगों को जवाब देना चाहिए।

इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत की उपलब्धियों का उत्सव मनाने की जगह, कुंठा से ग्रस्त हो जाते हैं। इस प्रसंग में उन्होंने कतिपय विदेशी संस्थानों में भारतीय मूल के ही कुछ लोगों द्वारा चलाए जा रहे भारत विरोधी अभियान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा जो लोग भारत के लोकतंत्र को जीवंत नहीं समझते उन्हें जानना चाहिए कि भारत ही विश्व का एकमात्र देश है जहां गांव और तहसील के स्तर पर भी संविधान द्वारा निर्देशित लोकतांत्रिक व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

ऐसी भारत विरोधी संस्थाओं को कुछ भारतीय उद्योग और कंपनियों द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने पर विरोध व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा कि  बेहतर हो यदि यही आर्थिक सहायता भारतीय संस्थानों को उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने शिक्षक समाज और विद्यार्थियों से अपेक्षा की कि वे ऐसे भारत-विरोधी अभियान का मुंहतोड़ जवाब दें।

MNIT के शिक्षकों को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ के अपने शिक्षकों को याद किया और अपने जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। खुद को शिक्षा का परिणाम बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने अपनी हाल की केरल यात्रा का जिक्र किया, जहां वे अपनी सैनिक स्कूल की शिक्षिका से मिलने उनके घर गए।

समाज में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक समाज के रूप में हमें शिक्षकों को वह सम्मान देना ही चाहिए जिसके वे अधिकारी हैं। समाज गुरु के प्रति अपना ऋण चुकाए। उन्होंने कहा कि गुरु का सम्मान किसी भी सरकारी प्रोटोकॉल से कहीं ऊपर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री R &D के प्रति प्रतिबद्ध हैं लेकिन R &D गुरु के ही मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक हो सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकल्प तो हो सकता है लेकिन अच्छे शिक्षक का कोई विकल्प नहीं होता। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने शिक्षक के रूप में डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा डा ए पी जे अब्दुल कलाम को याद किया।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति, जो कि इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर्स ICWA जैसी प्रतिष्ठित संस्था के अध्यक्ष भी हैं, ने घोषणा की कि अगले 30 दिनों में ICWA तथा MNIT, जयपुर के बीच एक MOU पर समझौता किया जाएगा तथा ICWA की महानिदेशक स्वयं MNIT आ कर इस MOU से खुलने वाली नई संभावनाओं के विषय में चर्चा करेंगी।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने MNIT के शिक्षक समुदाय तथा विद्यार्थियों को नए संसद भवन का भ्रमण करने के लिए आमंत्रित भी किया।

उपराष्ट्रपति ने शिक्षकों और छात्रों को आश्वस्त किया कि उनके साथ संवाद बना रहेगा और वे स्वयं वीडियो लिंक के माध्यम से विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर देंगे।

इस अवसर पर राजस्थान केंद्रीय विश्विद्यालय के कुलपति, MNIT के निदेशक सहित संस्थान के शिक्षक वृंद तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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