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खूबसूरत मोड़ : आम जीवन के संघर्ष एवं उपलब्धियों का कोलाज

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कहानी गद्य की सर्वाधिक पसंद की जाने वाली विधाओं में से एक लोकप्रिय विधा है क्योंकि कहानी लोक का स्पष्ट संवाद है और कल्पना का विस्तार भी। आम जीवन की दैनंदिन चहल-पहल, घटनाएं, संघर्ष, उपलब्धियां, माधुर्य, प्रेम, सामंजस्य, सहकार, सहानुभूति, संवेदना, कसक, पीर जब शब्दों का जामा पहन पृष्ठों पर उतरती है तो बरबस पाठक का ध्यान अपनी ओर खींचती है।

वर्तमान कहानी लेखन के दौर में कहानीकार राम नगीना मौर्य एक चर्चित, प्रतिष्ठित और खूब पढ़ा जाने वाला नाम है। उनका सद्य: प्रकाशित कथा संग्रह ‘खूबसूरत मोड़’  इस समय साहित्य क्षेत्र में न केवल चर्चा के केंद्र में है बल्कि पाठकों द्वारा पढ़ी सराही जाने वाली एक महत्वपूर्ण कथा कृति है। ‘खूबसूरत मोड’ में आम जीवन के संघर्ष एवं उपलब्धियों के विविध मनोहारी चित्र उपस्थित हैं। यह रोजमर्रा के जीवन के तमाम चित्रों का कोलाज है जिसमें परिवार, पड़ोस, परिवेश में घट रही घटनाओं का सहज विवरण पाठकों के सम्मुख उपस्थित होता है।

उसमें संवेदना का स्वर है तो संघर्ष का ताप भी, जीवन का मधुर राग है तो कठिन परिस्थितियों में जिजीविषा की आग भी। परिवार और परिवेश का सुंदर फलक उपस्थित है तो कल्पना का बहुरंगी वितान भी। खूबसूरत मोड़ जीवन के उस मोड़ से पाठकों को रूबरू कराता है जिसके आगे जीवन का सच देखा जा सकता है जहां संघर्ष, उत्सव एवं उपलब्धियों की एक अंतर्धारा प्रवहमान है। इस कथा कृति के पहले राम नगीना मौर्य के सात कहानी संग्रह आखिरी गेंद, आप कैमरे की निगाह में हैं, सॉफ्ट कॉर्नर, यात्रीगण कृपया ध्यान दें, मन बोहेमियन, आगे से फटा जूता तथा राम नगीना मौर्य की 23 कहानियां प्रकाशित होकर पाठकों द्वारा खूब पढ़े-सराहे गये हैं।

         आइए, अब ‘खूबसूरत मोड़’ की कहानियों की ओर चलें। पहली कहानी ‘खूबसूरत मोड़’ मानवीय व्यवहार का दर्पण है जिसमें अव्यक्त प्रेम, मिलन की उत्कंठा व्यक्त हुई है तो शर्म संकोच एवं झिझक भी खिड़कियों से झांक रही है। यह कहानी मानव मन की शुचिता, करुणा, मधुरता, परदुख कातरता और मैत्री भाव को स्थापित करती है तो तलाकशुदा महिला के जीवन संघर्ष और पारिवारिक जिम्मेदारियों के सम्यक निर्वहन को सराहती भी है।

‘शास्त्रीय संगीत’ में एकल परिवार में बच्चों की परवरिश में आ रही चुनौतियों,  बाधाओं एवं परेशानियों का वर्णन है तो साथ ही रोती बच्ची को चुप कराने के लिए पड़ोसियों द्वारा बिन मांगे मिलने वाले सुझावों एवं देशी दवाओं के नुस्खों का रोचक चित्रण हुआ है। शास्त्रीय संगीत के राग किस प्रकार एक छोटे बच्चे के मन को आकर्षित करते हैं, यह पढ़ना भी दिलचस्प है। ‘सरनेम’ के माध्यम से कथाकार उस भारतीय प्रवृत्ति पर चोट करने में सफल हुआ है जहां हर व्यक्ति अगले का सरनेम जानने को इच्छुक है और तदनुरूप व्यवहार करने का अभ्यस्त भी।

कहना न होगा कि व्यक्ति की पहचान उसके सरनेम से इस कदर चिपक गई है कि बिना सरनेम उसे अपनी पहचान में ही संकट नजर आने लगता है। ‘गुरु मंत्र’ कहानी के पात्र हमारे कार्यालयों में खुद दिखाई देते हैं जो कोई काम न करते हुए भी अधिकारियों के प्रिय होते हैं। बातचीत में कुशल ये अद्भुत प्राणी अन्य सहकर्मियों को अक्सर गुरुमंत्र देते नजर आते हैं कि नो वर्क नो रिस्क या फिर बने रहो पगला काम करे अगला।

‘आदर्श शहरी’ उस मानसिकता पर प्रहार करती है जो सेफ जोन की तलाश में रहती है। व्यक्ति जहां है वहां बेहतर सामाजिक परिवेश का निर्माण में योगदान करने की बजाय वह ऐसी जगह रहने को उत्सुक एवं आकांक्षी होता है जो उसकी दृष्टि में आदर्श होती है।

यह कहानी बताती है कि आदर्श मुहल्ले में रहने आया एक व्यक्ति कैसे चोरी का शिकार हो जाता है और तब वह अपने गांव लौट जाता है। कहानी ‘छुट्टी का एक दिन’  कामकाजी व्यक्ति के अधूरे पड़े कार्यो को पूरा करने में जुट जाने से अधिक व्यस्तता वाला दिन बन जाता है। ‘हस्बेमामूल’ रेल यात्रा के दौरान घटित रोचक घटनाओं से पाठकों परिचित कराती है। इसमें जीवन के विविध रंग एवं दृश्य शामिल हैं। ‘फैशन के इस नाजुक दौर में’ न कोई वस्तु टिकाऊ है और न ही विश्वसनीय। खिड़की के उस पार’ दैनंदिन जीवन में घट रही घटनाओं के छोटे-छोटे चित्र हैं। इनमें व्यंग्य की छाया भी पड़ रही है। 

इन सभी कहानियों में जीवन की सुखद संगति है तो विसंगतियां भी, जो सिर उठाए नर्तन कर रही है, रोजमर्रा जीवन की कहानियां सांसे ले रही हैं। दुख, कसक एवं पीड़ा के बीच उग आये रोशनी के पौधे हैं जिनसे फूटे प्रकाश में लोक अपने हिस्से की खुशियां बीन-बटोर रहा है।  इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक के सामने सैकड़ों जुगनू अपना कोमल नीला आलोक बिखेर रहे हैं।

कहानियों के पात्र हमारे अपने परिवेश के हैं जो हमें रोज मिलते हैं, पर हम उनको इतनी गहराई से नहीं समझ पाते जितना कि एक कथाकार के रूप में राम नगीना मौर्य अपनी बारीक नजर से पकड़ पाने में समर्थ हुए हैं। भाषा सहज सम्प्रेषणीय आम बोलचाल की है जो पाठक को कहानी से जोड़ स्नेहिल रिश्ते को आत्मीयता के पराग से सुवासित कर देती है, उसके चित्त को बांध लेती है। राम नगीना मौर्य की कथा कहन की खासियत है कि वह बहुत महत्वपूर्ण कथ्य को सहजता से कह जाते हैं। उनके लेखन में मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग भी खूब दृष्टव्य है जो संवादों को प्रभावपूर्ण बनाते हैं।

ये कहानियां जीवन के संघर्ष एवं उत्सव का कोलाज है, इसमें मानव व्यवहार की जटिल उलझन एवं गांठों का खुलाव है तो समस्याओं से समाधान के रास्ते भी निकलते दिखाई देते हैं। सामाजिक सरोकारों एवं जीवन मूल्यों को उद्घाटित करती इन कहानियों में यथार्थ का अंकन है। सच के कैनवास पर जीवन अपनी वास्तविक छवि के साथ प्रकट हुआ है, इसीलिए न भाषा में कृत्रिता है न सम्बन्धों में।

बनावटीपन से दूर ये कहानियां समाज की वास्तविकता की कठोर भूमि पर अंकुरित हो पल्लवित एवं पुष्पित हुई हैं। कथाकार की दृष्टि व्यापक है, उसके सूक्ष्म अवलोकन से परिवेश का कोई कोना-कोतरा नहीं बचा है। इन कहानियों में पंक्ति के अंतिम छोर पर खड़ा संघर्षरत आम आदमी अपनी भाषा, व्यवहार एवं संवेग के साथ नायक हो उभरा है। मध्यमवर्गीय चेतना से लैस ये कहानियां हर पल की साक्षी है जो जिजीविषा के लिए वेदना की नदी तैर कर पार जाने को उत्सुक एवं लालायित है। कथा कृति ‘खूबसूरत मोड़’ कथा साहित्य में नवल आयाम स्थापित करते हुए पाठकों एवं समीक्षकों के मध्य समादृत होगी, ऐसा विश्वास है।

प्रमोद दीक्षित मलय शिक्षक, बाँदा (उ.प्र.)

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