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चलते दृश्य और विचार स्पंदन की सचेत करती रचनाएं

मैगबुक की दो पुस्तकों का ​इंदौर में विमोचन, लेखिका वंदना पुणतांबेकर को वामा साहित्य मंच ने सम्मानित किया

मैगबुक अपने प्रकाशन के पहले साल में एक दर्जन किताबें प्रकाशित कर चुकी है. उन्हीं में दो कृतियां इंदौर की लेखिका वंदना पुंतांबेकर की भी हैं. एक लघु कथाओं का संग्रह ‘चलते दृश्य’ है, जबकि दूसरी ​कविताओं की ‘विचार स्पंदन’. इसे लेकर प्रकाशक(मैगबुक,टीडीएमएन एलएलपी) और लेखिका (वंदना पुणतांबेकर) के लिए खुशी का मौका तब आया जब 17 दिसंबर 2022 को इंदौर में श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा उन कृतियों के लाकार्पण के दौरान  मंच से सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई. पुस्तकों की स​मीक्षात्मक टिप्पणी की गई. उसकी रचनाओं को समाज की मौजूदा हालात के संदर्भ में सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण के सटीक समझा गया. लेखिका को साधुवाद दिया गया और इस अलख को जलाए रखने की उम्मीद जताई गई. कार्यक्रम की शुरुआत शोभा दूबे की शारदे वंदना से हुई.

पुस्तकों का विमोचन समिति के वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार अष्ठाना, हरेराम वाजपेयी और ज्योति जैन के आतिथ्य में किया गया. इनके साथ लेखिका ने अपने हाथों में दोनों पुस्तकों का अनावरण कर आमं​त्रित साहित्य प्रेमियों के सामने प्रस्तुति किया. उन्होंने तालियां बजाकर अपने उद्गार व्य​क्त किए. 

इस मौके पर कृष्ण कुमार अष्ठाना ने कहा कि वर्तमान लेखक को हमारी  सभ्यता, संस्कृति और  राष्ट्रनिर्माण को ध्यान में रखकर लेखन कार्य करें, जैसा कि लेखिका की नई दोनों कृतियों में देखने को मिला है. भविष्य में लेखिका से परिवार और समाज को सेचत करने वाली रचनाओं की उम्मीद की जा सकती है. अपनी दोनों कृतियों में लेखिका ने मानवीय पहलू को एक ऊंचाई देने की सार्थक कोशिश की है. उस स्तर पर उन की कृतियां खरा उतरती हैं.

हरेराम वाजपेयी ने कहा कि लेखिका ने संग्रह की रचनाओं में विषयानुगत विविध भावों को अभिव्यक्त किया है, जिन्हें पढ़कर पाठक संस्कृति, प्रकृति प्रेम और मानवीय संवेदना के प्रति उन्मुख होंगे.

इसी तरह के भावों के साथ ज्योति जैन ने कहा कि चलते दृश्य में सकारात्मक सोच के साथ रची गई लघुकथाएं हैं, जो आशा की एक नई किरण दिखाती है. समाज में बदलाव लाने में सहायक है.लघुकथाएं छोटे—छोटे पहलुओं पर अपनी बात कहती है. काव्य संग्रह विचार स्पंदन की कुल 179 कविताओं में सायली और हाइकू बेहद रोचकता लिए हुए समसामयिक विषयों पर लिखी गई हैं.

वंदना पुणतांबेकर के लिए विशेष खुशी की बात यह भी रही कि उन्हें वामा साहित्य मंच की तरफ से 12 महिला साहित्यकारों के साथ सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम के प्रति मोहन पुणंताबेकर ने आभार व्यक्त किया. इस मौके पर प्रदीप नवीन, मुकेश तिवारी, संतोष मोहंती, विनोद गौरे, शुभी पुणतांबेकर, पद्मा राजेंद्र, इंदु पाराशर, अंजना मिश्र, नीति अग्निहोत्री, मुन्नी गर्ग, डॉ. अंजुल कंसल, वंदना अर्गल, सुरेखा भारती, शोभारानी तिवारी आदि साहित्यकारों की उपस्थिति ने महत्वपूर्ण थी. अतिथियों का परिचय भावना दामले और विनिता चौहान ने किया, जबकि अतिथि स्वागत भूषण पुणतांबेकर और आस्था पुणतांबेकर द्वारा संपन्न हुआ. कार्यक्रम का संचालन मुकेश इंदौरी द्वारा किया गया.

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