केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा है कि स्वास्थ्य चिंतन शिविर, एक राष्ट्रीय बैठक है, जो सबसे बड़ी लाभार्थी कल्याण के लिए योजनाओं को डिजाइन करने के उद्देश्य से अपनी नीतियों को समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न राज्यों से अंतर्दृष्टि, श्रेष्ठ व्यवहारों, मूल्यवान अनुभवों और सुझावों को साझा करने में सक्षम बनाती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया आज देहरादून में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद के 15वें सम्मेलन – दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर का उद्घाटन कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, और प्रो. एसपी सिंह बघेल तथा नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल भी शामिल हुए।
स्वास्थ्य मंत्रियों में श्री धन सिंह रावत (उत्तराखंड), श्रीमती रजनी विदाला (आंध्र प्रदेश), श्री अलो लिबांग (अरुणाचल प्रदेश), श्री केशब महंत (असम), श्री रुशिकेश पटेल (गुजरात), श्री बन्ना गुप्ता (झारखंड), दिनेश गुंडू राव (कर्नाटक), श्री सपम रंजन सिंह (मणिपुर), डॉ. आर. लालथ्यांगलियाना (मिजोरम), श्री थिरु मा. सुब्रमण्यम (तमिलनाडु) विचार-मंथन सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री, और स्वास्थ्य मंत्री श्री टीएस सिंह देव, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री श्री ब्रजेश पाठक, , सिक्किम के पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री बीएस पंत, मध्य प्रदेश के राज्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, पुडुचेरी के लोक निर्माण मंत्री श्री के लक्ष्मी नारायणन भी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
अपने उद्घाटन भाषण में, डॉ. मनसुख मांडविया ने विचार-विमर्श मंच के फोकस को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यह चिंतन शिविर हमें स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर गहराई से विचार करने का अवसर प्रदान कर सकता है।” उन्होंने भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य पर बात की और कहा,
“इस अमृत काल में, आइए हम अपने ज्ञान से प्रेरणा लें और अपना स्वयं का स्वास्थ्य मॉडल विकसित करें। हमें विभिन्न राज्यों से कुष्ठ, टीबी, सिकल सेल एनीमिया आदि बीमारियों का बोझ हटाने और राज्यों को पीएम-जेएवाई कार्ड से परिपूर्ण बनाने का संकल्प लेना चाहिए।”
उन्होंने प्रतिभागियों को अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि स्वास्थ्य चिंतन शिविर से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए जा सकें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दो दिवसीय कार्यक्रम ऐसे परिणाम देगा जो राष्ट्र को स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने में काफी सहायक होगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी का उत्तराखंड में स्वागत किया और विश्वास व्यक्त किया कि विचार-विमर्श से सरकार की स्वास्थ्य नीतियों के त्वरित कार्यान्वयन पर निश्चित रूप से फोकस करने में मदद मिलेगी। उन्होंने देश के गरीब और जरूरतमंद तबके को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान कर रही अटल आयुष्मान योजना की सराहना की।
उन्होंने कहा, “ई-संजीवनी ने प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है।” “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” ढांचे की भूमिका की चर्चा की और कहा, “यह ढांचा हमें साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमारे सहयोगी प्रयास में आगे बढ़ने में मार्गदर्शन करता है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने अगले दो दिनों के सत्रों की जानकारी दी, जिसमें भारत में स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। उद्घाटन समारोह में श्रेष्ठ व्यवहारों का सार-संग्रह, आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटर-क्षेत्र से सफलता की कहानियां, अनुसंधान से कार्रवाई-अंतर्दृष्टि और नीति निहितार्थ तथा भूकंप के बाद घायल व्यक्तियों के चिकित्सा पुनर्वास के लिए सिफारिशें सहित विभिन्न पुस्तकें जारी की गईं।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के ओएसडी अधिकारी श्री सुधांश पंत, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राज्यों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।