हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का हिस्सा।
वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा।
हिंसा को न बनाओ यारों जीवन का हिस्सा।।
१- आग में उसकी डाल के पांव
जल गए कितने शहर और गांव।
आंच से उसकी जहां भी लगे ताव
सूख गई धरती रहे न अब छांव।
हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का किस्सा।।
वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा।
हिंसा को न बनाओ यारों जीवन का हिस्सा।।
२- सह नहीं पाता कोई उसकी मार
छूट गए कितने घर-परिवार।
रह नहीं पाता कोई साथी-रिश्तेदार
लोग समझने लगते बेकार।
हिंसा को ना बनाओ यारों जीवन का इंशा।।
वर्ना बिखर जाओगे जैसे टूट कर शीशा।
हिंसा को न बनाओ यारों जीवन का हिस्सा।।