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ब्रेन ट्यूमर : समय पर उपचार से मरीज को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है

न्यूरो सर्जरी के क्षेत्र में हालिया प्रगति के साथ मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए सबसे बढिय़ा मेथड के तौर पर उभरा है। ब्रेन ट्यूमर हटाने के लिए एंडोस्कोपिक सर्जरी जैसे मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर के साथ जब साइबर नाइफ रेडिएशन थेरेपी की जाती है, तब न्यूरोसर्जन को ब्रेन के अंदर गहराई में स्थित उस स्थिति को खोजने, चिह्नित करने और इलाज करने उस स्थिति का पता लगाने, उसका पता लगाने और उसका इलाज करने में आसानी रहती है, जिस तक पहुंचना मुश्किल होता है। इस तरह के कई मरीज जिनमें ब्रेन ट्यूमर या मेटास्टेसिस का पता चला, हाल ही में एम 6 साइबर नाइफ सर्जरी की सहायता से सफलतापूर्वक उपचार किया गया जो हेल्दी सेल्स को प्रभावित किए बिना केवल डैमेज सेल्स को ही टारगेट करता है। आर्टेमिस हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ सेंटर के डायरेक्टर डॉ.आदित्य गुप्ता ने ब्रेन ट्यूमर से पीडि़त 15 साल के लडक़े का मामला बताते हुए कहा, ट्यूमर मस्तिष्क के अंदर गहराई में था और ट्यूमर जैसे-जैसे बढ़ता गया और खोपड़ी और ब्रेन टिश्यू पर दबाव बढ़ता गया। ऐसे मामलों में समय पर पहचान कर इससे जुड़ी अन्य कॉम्प्लिकेशंस जैसे ब्रेन डैमेज को रोकने के लिए जल्द उपचार शुरू करने की जरूरत होती है, जो समय पर काम न किया जाए तो जीवन के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

कम से कम 45 प्रतिशत ब्रेन ट्यूमर नॉन-कैंसरस होते हैं और समय पर उपचार से मरीज को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है. साइबरनाइफ एम 6 नॉन-इनवेसिव तरीके से मरीज की हायर ब्रेन सर्जरी रिकवरी टाइम के साथ किया जाता है। एम 6 की विशेषता ये है कि ब्रेन ट्यूमर के उपचार के दौरान 3-डी इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके उपचार के दौरान ट्यूमर का रियल टाइम वास्तविक लोकेशन बता देता है और बिना किसी कट के इसे खत्म कर देता है जो उपचार के पारंपरिक मेथड्स से आगे निकलने का परिणाम है। इसके उपचार में फ्लेक्सिबिलिटी है जो एक से पांच सेशंस में किया जाता है। प्रत्येक सेशन 30 मिनट का होता है जो मरीज के लिए भी आरामदायक है और ट्यूमर को और फैलने से अधिकतम स्तर पर रोकता है।
एंडोस्कोपिक ब्रेन ट्यूमर सर्जिकल प्रोसीजर न्यूरोसर्जन के लिए उन स्थितियों का पता लगाने और उनका इलाज करने को आसान बनाता है जो मस्तिष्क के भीतर गहराई में होती हैं या नाक के माध्यम से पहुंच योग्य होती हैं। क्रिस्टल-क्लियर विजुअलाइजेशन उपलब्ध कराते हुए कैमरा लगा एक पतला ट्यूब जैसा इंस्ट्रूमेंट मस्तिष्क के स्वस्थ पाट्र्स को नुकसान पहुंचाए बगैर ट्यूमर हटाने में मदद करता है। अधिकतर जटिल मामलों में बेहतर परिणाम के लिए रोबोटिक साइबर नाइफ रेडिएशन थेरेपी के साथ संयुक्त रूप से इसका उपयोग किया जाता है, खासकर ऐसे मामलों में ट्यूमर पाट्र्स को मिनटों में हटाने की जरूरत होती है। उन्होंने आगे कहा, साइबर नाइफ रेडिएशन थेरेपी का मुख्य लाभ यह है कि ये मस्तिष्क के कामकाज को प्रभावित किए बिना अंदर जमा चीजों में बदलाव करता है। होल ब्रेन रिजर्व थेरेपी भी उन दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उन मरीजों के लिए आरक्षित है जिनके दिमाग में बहुत कुछ जमा हो, जिसका उपचार साइबर नाइफ के जरिये ना किया जा सके या कई साइबर नाइफ की जरूरत हो। मेटास्टेसिस के उपचार के लिए मेलानोमा, रेडिएशन थेरेपी (साइबर नाइफ) ही एकमात्र विकल्प हो सकता है। ब्रेन में असामान्य सेल्स के कलेक्शन को आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है जो कैंसरस या नॉन कैंसरस हो सकता है।

भारत में रोग का 10 वां सबसे बड़ा कारण ब्रेन ट्यूमर है। इस घातक बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों में अलग-अलग तरह के ट्यूमर पाए जा रहे हैं। ट्यूमर को प्राइमरी और सेकंड्री के रूप में बांटा गया है। प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वे हैं जो ब्रेन में उत्पन्न होते हैं। सेकंड्री ब्रेन ट्यूमर मेटास्टैटिक हैं और ये तब होते हैं जब फेफड़े और ब्रेस्ट जैसे अंगों से कैंसर सेल्स ब्रेन में फैल जाती हैं। ब्रेन कैंसर के अधिकांश मामलों के लिए ये जिम्मेदार होते हैं।
वयस्कों में पाए जाने वाले ब्रेन ट्यूमर के सबसे आम प्रकार ग्लियोमास (जो ग्लियल सेल्स से विकसित होते हैं) और मेनिंगिओमास (जो ब्रेन के मेम्ब्रेन्स और स्पाइनल कॉर्ड पर विकसित होते हैं) हैं। ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और संकेत ट्यूमर के साइज और स्थान पर निर्भर करते हैं। कुछ ट्यूमर सीधे ब्रेन टिश्यू पर हमला कर उसे प्रभावित करते हैं जबकि कुछ ब्रेन के चारो ओर दबाव डालने का कारण बनते हैं। ब्रेन ट्यूमर का उपचार फिजिकल परीक्षण और मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देखने के साथ शुरू होता है। फिजिकल टेस्ट के बाद डॉक्टर एमआरआई, सीटी स्कैन के साथ ही अन्य टेस्ट कराने की सलाह देंगे।

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