कुबूल दुआ हुई कि, हुई मुलाकात चाँद से,
तिरंगे ने लहरा सुनाई, मुलाकात चाँद से ।
कि जन्नत‐सा, गुलज़ार हुआ मेरा वतन,
जब इसरो के लेंडर ने, कराई बात चाँद से।
तिरंगे बेशुमार जिन पर चाँद झलकता है,
असल गुफ़्तगू भारत ने कराई रात चाँद से।
प्रज्ञान नूर से हुआ, तअज्जुब ये सारा जहां,
कहा मुफ़लिस जिसे उससे खाई लात चाँद से ।
जिगरे तवंगर हिंद का, ज़ज्बा भी है यूँ ऊँचा,
कहे मिलन नापाक मंसूबो ने खाई मात चाँद से।भावना ‘मिलन
एजुकेशनिस्ट,
लेखिका एवं मोटिवेशनल स्पीकर