अमरकृति और बतासा: मनुष्य में परम्परागत रूप से पायी जाने वाली विसंगतियों, विडम्बनाओं एवं विकृतियों पर कटाक्ष

प्रायः कहा जाता है, ‘व्यंग्य’ समय-सापेक्ष होता है। आज जो रचना ‘जबर्दस्त कटाक्ष’ मानी जाएगी, कल…

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