जीवन के संघर्ष एवं संस्कार का राग है ‘मीत बनते ही रहेंगे’

आज दुनिया विभीषिका, विध्वंस एवं विनाश की ओर बढ़ रही। मानवता, संवेदनशीलता, ..

रिश्तों और समाज की परतें खोलती ‘स्मृतियों की धूप-छाँव’

बड़ा विचित्र होता है यादों का खजाना। हजारों रंगों को अपने अंदर समेटे रहता है। कुछ…

राम सुखद शुभ नाम

जिनके उर में राम हैं, मन में बसे न काम। दृष्टि चित्त निर्मल हुए, सब जग…

राम रमे हर श्वास में

राम जगत आधार हैं, राम सृष्टि के हेतु। राम सकल व्यवहार में, गगन फहरता केतु।। देह-गेह…

गुरु बिन होय न बोध

जो जन चाहें मुक्ति सुख, निज जीवन कल्यान। गुरुपद पंकज का करें, सदा हृदय में ध्यान।।…

धरा करे सत्कार

धरती धीरज है धरे, धरती कानन भार। पर्वत घाटी सिंधु का, धरती है आधार।।

बच्चे श्वेत कपास

कपट नहीं है हृदय में, नहीं किसी से बैर। बच्चे समता साधते, क्या अपने क्या गैर।।

बच्चे निर्मल मन सदा

बच्चे निर्मल मन सदा, बच्चे भगवत रूप। बच्चे सुख की छाँव हैं, मधुर मुलायम धूप।। माखन…

बच्चे कल हैं विश्व का

परिजन से नित सीखते, भाषा का व्यवहार। बच्चे रचने हैं लगे, शब्दों का संसार।।

सुखद मनोहर धूप

जो जन तपता धूप में, छोड़ छाँव की आस। चढ़े सफलता सीढ़ियाँ, मन में दृढ़ विश्वास।।