कान्हा खेलो तुम डटके फाग
कि रंग दो मेरी चुनरिया
मैं न रोकूंगी तुमको आज
कि रंग दो मेरी चुनरिया
होली के रंग आज रंगी है
पूरी गोकुल नगरिया
सांवरिया संग फाग खेलन
घर से निकलीं गुजरियां
सब मल रहे अबीर-गुलाल
कि रंग दो मेरी …..
कान्हा तेरी मधुर मुरलिया
सब के मन को भाये
तुम गोपिन संग रास रचाओ
हम चुपके नीर बहाए
सुन लो हमरी अरज इक बार
कि रंग दो मेरी…
घिस-घिस केसर रंग बनाओ
बा में इतर मिलाओ
अंग-अंग मेरो रंग में भीजै
ऐसो रंग घुलाओ
मैंने छोड़ी सब लोक और लाज
कि रंग दो मेरी चुनरिया…
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
कौशांबी, गाजियाबाद

