वक्त की रफ्तार इतनी तेज है कि पता ही नहीं चलता कब आया और कब चला गया। बचपन की बेफिक्री से कॉलेज के क्लास रूम तक बहुत से दोस्त से परिचय होता है और भूल जाते हैं समय के साथ किंतु उनमें से कोई एक जो समय की रफ्तार में भी गायब नहीं होता। सिर्फ एक दोस्त ही नही परिवार बन जाता है उससे मिलने की चाह और कुछ बातें छूट जाने का डर…मात्र एक कोशिश है उस दोस्त के लिए जो अब मेरे परिवार में भी शामिल हो गई है…