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मॉनसून में होने वाली पाचन तंत्र की गड़बडियों से बचें

बरसात के मौसम ने दस्तक दे दी है। बदलते मौसम से हमारा शरीर प्रभावित न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है। मौसम में बदलाव के साथ इम्यून सिस्टम और पाचन तंत्र में बदलाव होने लगते हैं। बरसात में पाचन तंत्र से संबंधित कईं समस्याएं हो जाती हैं। इस दौरान लोगों को अपच से लेकर फूड पॉइजनिंग, डायरिया जैसी कईं स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बरसात में स्वस्थ रहने के लिए विशेष सावधानियां बरतना आवश्यक होता है। इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस मौसम में पाचन तंत्र से संबंधित कौन-कौन सी समस्याएं अधिक होती है और इनसे कैसे निपटा जाए।

पाचन प्रणाली के तीन गुण:

एक अच्छी पाचन प्रणाली के तीन गुण होते हैं- पाचन, अवशोषण, निरसन। यानी स्वस्थ पाचन प्रणाली वही है जो भोजन को पचाए, सेहतमंद पदार्थों को स्वस्थ शरीर के लिए इस्तेमाल करे और बेकार और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर कर दे। इन्हीं चीजों से हमारा शरीर स्वस्थ होता है और रोगों को रोकने की क्षमता मजबूत होती है।
हमारे पेट में मौजूद पाचक एंजाइम और एसिड खाए गए भोजन को तोड़ते हैं। जिससे कि पोषक पदार्थ शरीर में अवशोषित हो पाते हैं। जो भी भोजन हमारे पेट में पूरी तरह नहीं पच पाता है, वह शरीर के लिए बेकार होता है। 

भोजन को अच्छे से चबाना जरूरी

भोजन के अच्छी तरह पचने की शुरुआत हमारे मुंह से होती है। जी हां, जब हम भजन को अच्छे से चबाते हैं तो वह उतनी ही अच्छी तरह से पचता भी है, क्योंकि इससे भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटकर लार में मिल जाता है। लार से सने हुए ये छोटे-छोटे टुकड़े पेट में अच्छी तरह से टूट जाते हैं और शरीर को पोषण देने के लिए छोटी आंत में पहुंचते हैं।

अगर आप अपने पाचन तंत्र को मजबूत रखना चाहते हैं तो इसके लिए न केवल सही भोजन का चुनाव जरूरी है बल्कि भोजन को अच्छे से चबा कर खाना भी जरूरी है। अगर हम जल्दी जल्दी में खाना निगलते हैं और खाने के साथ हम सादा पानी भी पीते हैं तो इस तरह भोजन पेट में ठीक से टूट नहीं पाएगा जिससे उसके पचने की प्रक्रिया बिगड़ जाएगी। तो बेहतर यही है कि खाना खाने से कम से कम तीस मिनट पहले व तीस मिनट बाद में ही पानी पिएं।

मॉनसून में होने वाली परेशानियां:

मानसून में जठराग्नि मंद पड़ जाती है, जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है।  पेट के अंदर का शारीरिक ताप जो भोजन पचाने का काम करता है उसे जठराग्नि कहते हैं। बरसात के पानी और कीचड़ से बचने के लिए लोग अपने-अपने घरों से बाहन निकलने से कतराते हैं, जिससे शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है। इस तरह हमारा पाचन तंत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। इससे बचने के लिए हल्के, संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, बारिश के कारण अगर आप टहलने नहीं जा पा रहे हैं या जिम जाने में परेशानी हो रही है तो घर पर ही वर्क आउट करें।

बरसात में पाचक एंजाइमों की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती है, इससे भी खाना ठीक प्रकार से नहीं पच पाता है। बरसात में लोगों को तरह-तरह की चीजें खाने का मन करता है जिससे तैलीय, मसालेदार भोजन और कैफीन का सेवन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, इससे भी अपच की समस्या हो जाती है। नम मौसम में कीड़े और सूक्ष्म जीव अधिक मात्रा में पनपते हैं, इनसे होने वाले संक्रमण से भी अपच की समस्या बढ़ी जाती है।

डायरिया एक खाद्य और जलजनित रोग है। ये दूषित खाद्य पदार्थों और जल के सेवन से होता है। वैसे तो ये किसी को कभी भी हो सकता है, लेकिन बरसात में इसके मामले काफी देखने को मिलते हैं। दस्त लगना इसका सबसे प्रमुख लक्षण है। पेट में दर्द और मरोड़ होना, बुखार, मल में खून आना, पेट फूलना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। फूड पॉइजनिंग के कारण भी डायरिया हो जाता है।

फूड पॉइजनिंग तब होती है जब हम ऐसे भोजन का सेवन करते हैं जो बेक्टीरिया, वाइरस, दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्वों से संक्रमित होता है। बरसात के मौसम में नमी और कम तापमान के कारण रोगाणुओं को पनपने के लिए एक उपयुक्त वातावरण मिल जाता है। इसके अलावा बरसात में कीचड़ और कचरे के कारण जगह-जगह गंदगी फैल जाती है, इससे भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि बरसात में फूड पॉइजनिंग के मामले भी काफी बढ़ जाते हैं। इस मौसम में बाहर का बना हुआ खाना खाने या फिर अधिक ठंडे पदार्थों के सेवन से भी फूड पॉइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है। बरसात के मौसम में खानपान का खास ध्यान रखें।

बरसात में पाचन तंत्र को दुरूस्त रखने और बीमारियों से बचने के लिए इन बातों का खास ख्याल रखें:-

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