असम पाइप कंपोस्टिंग को बढ़ावा दे रहा है: दो महीने में बायोडिग्रेडेबल कचरे को गोबर खाद में बदलने की एक अनोखी विधि

घरेलू स्तर पर बायोडिग्रेडेबल कचरे के निपटान के लिए सरल और प्रभावकारी प्रौद्योगिकी का समर्थन करते हुए, असम चल रहे स्वच्छता ही सेवा अभियान के दौरान अपने ग्रामीण समुदायों के बीच पाइप कंपोस्टिंग को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। असम में बिस्वनाथ जिले की जिला जल और स्वच्छता समिति लंबे समय से स्कूलों में मध्याह्न भोजन से उत्पन्न कचरे के लिए बायोडिग्रेडेबल कचरे के प्रबंधन के एक तरीके के रूप में पाइप कंपोस्टिंग को बढ़ावा दे रही है। इस जिले के अधिकारियों ने स्वच्छता ही सेवा 2023 कार्यक्रम के तहत चरियाली माजलिया एमई स्कूल में दो पाइप लगाए।

पाइप कम्पोस्टिंग प्रौद्योगिकी 8-10 इंच व्यास और 1.25 मीटर लंबाई वाले पीवीसी पाइपों का उपयोग करके जैविक कचरे को वानस्पतिक खाद में परिवर्तित करने की एक विधि है। पाइपों को जमीन से 25-30 सेमी अंदर रखते हुए लंबवत रखा जाता है। बचे हुए भोजन, फल और सब्जियों के छिलके, फूल, गोबर, कृषि अपशिष्ट आदि सहित केवल सड़ने योग्य कचरे को पाइपों में डाला जा सकता है। कीड़ों की वृद्धि में तेजी लाने के लिए दो हफ्ते में एक बार थोड़ा सा गाय का गोबर और सूखी पत्तियां पानी में मिलाकर डाली जाती हैं। इस समय दोनों पाइपों को बंद रखा जाना चाहिए, ताकि बारिश का पानी पाइपों में प्रवेश न कर सके। दो महीने के बाद पाइप उठाकर कम्पोस्ट खाद निकाली जा सकती है।

पाइप कंपोस्टिंग के कुछ लाभ इस तरह हैं- यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना थोड़े समय में बायोडिग्रेडेबल कचरे को गोबर खाद में बदल देता है; यह विद्यालय परिसर में स्वच्छ और स्वास्थ्यकर वातावरण बनाए रखने में मदद करता है; यह गंधहीन और मक्खीरोधी है और इसके लिए बहुत जगह की जरूरत भी नहीं होती है। इसके अलावा, यह प्रणाली टिकाऊ भी है, क्योंकि एक ही पाइप का बार-बार उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह विद्यार्थियों को अपघटन के विज्ञान तथा पारिस्थितिकी के बारे में सीखने का अवसर प्रदान करता है, उनको सूक्ष्मजीवों और अकशेरुकी जीवों की भूमिका और साथ ही उनको अपशिष्ट प्रबंधन और वहनीयता के महत्व के बारे में भी सिखाता है।