भाषा-विज्ञान का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ पाणिनि-अष्टाध्यायी है- डॉ.कान्ता भाटिया

गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति विश्व की सबसे प्राचीन शिक्षा प्रणाली है:- डॉ.जीतराम भट्ट

नई दिल्ली: ‘‘महर्षि पाणिनि द्वारा विरचित सूत्राष्टाध्यायी भाषा-विज्ञान और व्याकरण का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है। इसे देख कर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं कि वर्ण, शब्द, वाक्य और भाषा का जो विन्यास पाणिनि ने किया है, वैसा कहीं नहीं है।’ ये विचार गोस्वामी गिरिधारी लाल शास्त्री प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, दिल्ली सरकार द्वारा इब्राहिम पुर, बुराड़ी, नई दिल्ली में आयोजित राज्य स्तरीय व्याकरण सूत्र अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता की अध्यक्षता करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कान्ता भाटिया ने व्यक्त किये। उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार के प्रतिष्ठान द्वारा श्रीनिवास संस्कृत गुरुकुल, इब्राहिम पुर, बुराड़ी, नई दिल्ली में राज्य स्तरीय व्याकरण सूत्र अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता में दिल्ली के गुरुकुलों के छात्रों ने उत्साह से भाग लिया।

प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ.जीतराम भट्ट ने अपने प्रास्ताविक भाषण में कहा कि ‘भारतीय संस्कृति और सभ्यता का संवर्धन करने के लिए गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति सबसे अधिक प्रभावकारी है। अतः भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए गुरुकुल आवश्यक हैं। गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति विश्व की सबसे प्राचीन शिक्षा प्रणाली है।’

डॉ. जीतराम भट्ट ने आगे बताया कि ‘वेद, वेदांग, उपनिषद्, दर्शन, आरण्यक आदि वाङ्मय भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं। इनका संरक्षण गुरुकुलों के माध्यम से ही हो सकता है।’ इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व परीक्षा नियन्त्रक डॉ. गोपीरमण मिश्र ने कहा कि ‘अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों की स्मरण-शक्ति का विकास होता है। विभिन्न विधाओं में अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता आयोजित होती रही हैं।’ कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व प्राचार्य डॉ.भास्करानन्द पाण्डेय ने कहा कि ‘संस्कृत शास्त्र मनुष्य को मनुष्य बनने की शिक्षा देते हैं। गुरुकुलीय प्रणाली के माध्यम से पढ़ा हुआ विद्यार्थी जीवन में कभी उद्दण्ड नहीं हो सकता है।’

सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित हिन्दू महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ.सुनील जोशी ने छात्रों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि ‘संस्कृत में सर्वविध ज्ञान है। गुरुकुलीय छात्रों को सभी विषयों में पारंगत होना चाहिए। ताकि वे समाज में किसी भी क्षेत्र में पिछड़े न रहें।’ प्रतियोगिता में दिल्ली के चौदह गुरुकुलों ने भाग लिया। जिसमें प्रथम स्थान श्रीनिवास संस्कृत विद्यापीठ के छात्र को प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त गुरुकुल किशन गंज, दिल्ली के छात्र को द्वितीय और तृतीय तथा गुरुकुल बक्करवाला के छात्र को चतुर्थ स्थान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति और श्रोता भी उपस्थित थे।

शेखर झा