ब्रेन स्‍ट्रोक: कहीं लगा न दे आपकी जिंदगी पर ब्रेक

ब्रेन स्‍ट्रोक यानी आज के समय की एक जानलेवा बीमारी। हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को जितनी गंभीरता से लिया जाता है, इसे उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता, जबकि उम्रदराज लोग ही नहीं युवा भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। आकलनों के अनुसार हर छह में से एक व्‍यक्‍ति को जीवन में कभी न कभी ब्रेन अटैक होता ही है। इसका इलाज भी काफी मंहगा होता है। इसलिए जरूरी है कि इसके लक्षणों को पहचानकर तुरंत ही इसका उपचार शुरू कर दिया जाए। 

ब्रेन स्‍ट्रोक

मस्तिष्‍क की लाखों कोशिकाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए कईं रक्‍त कोशिकाएं हृदय से मस्‍तिष्‍क तक लगातार रक्‍त पहुंचाती रहती हैं। जब रक्‍त की आपूर्ति बाधित हो जाती है, तब मस्‍तिष्‍क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं। इसक परिणाम होता है दिमागी दौरा या ब्रेन स्‍ट्रोक। यह मस्‍तिष्‍क में ब्‍लड क्‍लॉट बनने या ब्‍लीडिंग होने से भी हो सकता है। रक्‍त संचरण में रूकावट आने से कुछ ही समय में मस्‍तिष्‍क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं क्‍योंकि उन्‍हें ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई रूक जाती है। जब मस्‍तिष्‍क को रक्‍त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं, तो इसे ब्रेन हमरेज कहते हैं। इस कारण पक्षाघात होना, याददाश्‍त जाने की समस्‍या, बोलने में असमर्थता जैसी स्‍थिति आ सकती है। कईं बार ‘ब्रेन स्‍ट्रोक’  जानलेवा भी हो सकता है। इसे ब्रेन अटैक भी कहते हैं।

इसके लक्षण:

 इसके लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होते हैं। कईं मामलों में तो मरीज को पता ही नहीं चलता कि वह ब्रेन स्‍ट्रोक का शिकार हुआ है। इन्‍हीं लक्षणों के आधार पर डॉक्‍टर पता लगाते हैं कि स्‍ट्रोक के कारण मस्‍तिष्‍क का कौनसा भाग क्षतिग्रस्‍त हुआ है। अक्‍सर इसके लक्षण अचानक दिखाई देते हैं।

इनमें प्रमुख हैं:

  • अचानक संवेदन शून्‍य हो जाना या चेहरे, हाथ या पैर में, विशेष रूप से शरीर के एक भाग में कमजोरी आ जाना।
  • मांसपेशियों का विकृत हो जाना।
  • समझने या बोलने में मुश्‍किल होना।
  • एक या दोनों आंखों की क्षमता प्रभावित होना।
  • चलने में मुश्‍किल, चक्‍कर आना, संतुलन की कमी हो जाना।
  • अचानक गंभीर सिरदर्द होना।

किन्‍हें है अधिक खतरा ?:

  • टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इसका खतरा काफी बढ़ जाता है।
  • हाई ब्‍लड प्रेशर और हाइपर टेंशन के मरीज इसकी चपेट में जल्‍दी आ जाते हैं।
  • मोटापा ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
  • धुम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गेलियों का सेवन ब्रेन अटैक को निमंत्रण देने वाले कारण माने जाते हैं।
  • कोलेस्‍ट्रॉल का बढ़ता स्‍तर और घटती शारीरिक सक्रियता भी इसका कारण बन सकती है।

कारण:

मस्‍तिष्‍क को रक्‍त पहुंचाने वाली नलिकाओं के क्षतिग्रस्‍त होने के करण या उसके फट जाने के कारण ब्रेन अटैक होता है। इन नलिकाओं के क्षतिग्रस्‍त होने का मुख्‍य कारण ‘आर्टियोस्‍क्‍लेरोसिस’ है। इसके कारण नलिकाओं की दीवरों में वसा, संयोजी उतकों, क्‍लॉट, कैल्‍शियम या अन्‍य पदार्थों का जमाव हो जाता है। इस कारण नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे उनके द्वारा होने वाले रक्‍त संचरण में रूकावट आती है या रक्‍त कोशिकाओं की दीवार कमजोर हो जाती है।

उपचार:

लक्षण नजर आते ही मरीज को तुरंत अस्‍पताल ले जाना चाहिए। प्राथमिक स्‍तर पर इसके उपचार में रक्‍त संचरण को सुचारू और सामान्‍य करने की कोशिश की जाती है ताकि मस्‍तिष्‍क की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्‍त होने से बचाया जा सके। कईं अत्‍याधुनिक अस्‍पतालों में थ्रोम्‍बोलिसिस के अलावा एक और उपचार उपलब्‍ध है जिस सोनो थ्रोम्‍बोलिसिस कहते हैं। यह मस्‍तिष्‍क में मौजूद ब्‍लड क्‍लॉट को नष्‍ट करने का एक अल्‍ट्रा साउंड तरीका है। इस उपचार में केवल दो घंटे लगते हैं। इसलिए स्‍ट्रोक अटैक के तीन घंटे के भीतर जो उपचार उपलब्‍ध कराया जाता है उसे ‘गोल्‍डन पीरियड’ कहते हैं।

लाएं सकारत्‍मक बदलाव:

  • तनाव न लें, मनसिक शांति के लिए ध्‍यान लगएं।
  • धुम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
  • नियमित रूप से व्‍यायाम और योग करें।
  • अपना उचित भार बनाए रखें। 
  • हृदय रोगी और मधुमेह के रोगी विशेष सावधानी बरतें। 
  • सोडियम का अधिक मात्रा में सेवन न करें।
  • गर्भ निरोधक गोलियों का कम करें।