हड्डी या जोड़ों की समस्या अब सिर्फ बुजुर्गों में नहीं रही है, बल्कि युवा और मिडिल एज लोगों भी हो रही है शिकायत

ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में हुए एडवांसमेंट इलाज में गेम चेंजर साबित हुए

सोनीपत : ये बात सच है कि आजकल इलाज के एडवांस तौर-तरीके आ गए हैं लेकिन टाइमिंग बहुत इंपोर्टेंट होती है। डॉक्टरों ने जनता से शुरुआती लक्षणों से अवगत होने, स्वस्थ जीवन शैली के महत्व को समझने, स्वस्थ शरीर के वजन को बनाए रखने का आग्रह किया ताकि ऐसे मामलों या संबंधित मुश्किलों को रोका जा सके। ओपीडी लॉन्च के मौके पर विशेषज्ञों ने तकनीक की प्रगति के बारे में भी बताया जिससे न केवल ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में क्रांति आई है, ये रोगियों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक भी रहती है। मैक्स शालीमार बाग ने सोनीपत के अलग-अलग अस्पतालों के साथ मिलकर ऑर्थोपेडिक एंड ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट की ओपीडी सेवा शुरू की है। ये ओपीडी सेवा आज से शुरू हो रही है, जहां मैक्स अस्पताल शालीमार बाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हड्डी की समस्या से जुड़े मरीजों को परामर्श देंगे।

सोनीपत में तीन अलग-अलग स्थानों पर ओपीडी सेवा शुरू की गई है। जनता हॉस्पिटल में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक, रमा हॉस्पिटल में शाम 4 बजे से 6 बज तक और भाटिया हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर गनौर में दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक ओपीडी सेवा रहेगी। ये ओपीडी हर मंगलवार व शनिवार को खुली रहेगी। इस ओपीडी में दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग से डॉक्टर्स आएंगे और मरीजों को देखेंगे। सोनीपत में तीन जगह ये ओपीडी शुरू होने से न सिर्फ स्थानीय हड्डी के रोगियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि आसपास के लोगों भी यहां आकर एक्सपर्ट डॉक्टर्स से परामर्श ले सकेंगे। इससे यहां के लोगों का दूसरे शहरों में जाने का समय तो बचेगा ही, साथ ही पैसों की भी बचत होगी।
मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सत्य नारायण सरोहा व ऑर्थोपेडिक एंड ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मन्नू भाटिया मौजूद रहे। इस मौके पर इन डॉक्टरों ने हड्डी व जोड़ों से जुड़े बढ़ते मामलों के बारे में बताया, साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि समय पर रोग का पता चल जाना कितना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। डॉ. सत्य नारायण सरोहा ने इस मौके पर कहा, ‘’हम जोड़ों के दर्द से जूझने वाले मरीजों का हमेशा बिना ऑपरेशन के इलाज करने की कोशिश करते हैं। दवाईयों, फिजियोथेरेपी, एक्सरसाइज और सावधानियों के जरिए मरीज को ठीक करने के प्रयास किए जाते हैं।

लेकिन जिन मरीजों की हालत गंभीर होती है और उन पर नॉन इनवेसिव मेथड्स का असर नहीं हो पाता है, उनके लिए मिनिमली इनवेसिव ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है। हिप रिप्लेसमेंट और घुटने का रिप्लेसमेंट भी किया जाता है, जिससे मरीज अपनी रूटीन जिंदगी नॉर्मल तरीके से जी पाता है। कूल्हे और घुटने की समस्याओं के उपचार के तरीकों में प्रगति मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं के साथ अत्यधिक अनुकूल है, जिसमें तेजी से रिकवरी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। 3डी और कंप्यूटर नेविगेटेड बाइलेटरल हिप रिप्लेसमेंट और टोटल नी रिप्लेसमेंट जोड़ों की बीमारियों वाले रोगियों के लिए सबसे अच्छा इलाज है।’’
ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में हुए एडवांसमेंट इलाज में गेम चेंजर साबित हुए हैं। जिससे उन मरीजों की क्वालिटी लाइफ बढ़ी है जिन्हें घुटनों और कूल्हों से जुड़ी गंभीर समस्याएं थीं। डॉ. मन्नू भाटिया ने बताया, ‘’हड्डी या जोड़ों की समस्या अब सिर्फ बुजुर्गों में नहीं रही है, बल्कि युवा और मिडिल एज लोगों में भी जोड़ों की शिकायत होने लगी है। खराब लाइफस्टाइल भी इसमें एक बड़ा कारण बन रही है, जिसके चलते युवा आबादी भी जोड़ों के दर्द या इससे जुड़ी अन्य समस्याओं से पीड़ित होने लगे हैं। इस तरह के मामलों में इलाज को लेकर भी नई-नई तकनीक आ गई हैं और कंप्यूटर की मदद से टोटल नी-रिप्लेसमेंट या टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की जा रही हैं, जिससे लोगों की जिंदगी आसान बन रही है।

ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में हाल में जो एडवांस चीज आई है वो है आर्थोप्लास्टी। ये एक ऐसी तकनीक है जिससे रिजल्ट 99.9 प्रतिशत तक सटीक आते हैं और जो ज्वॉइंट लगाए जाते हैं उसकी लाइफ भी लंबी होती है। इस सर्जरी के मदद से स्थायी, दर्द रहित और लचीले ज्वाइटस् रहते हैं जिससे क्वालिटी ऑफ लाइफ भी बेहतर होती है।’’ इस तरह की मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल में भी कम वक्त रहना पड़ता है, जल्दी रिकवरी होती है और पेशंट संतुष्ट भी रहता है। मरीज को जो नए जॉइंट्स लगाए जाते हैं वो बिल्कुल नॉर्मल होते हैं।