समुदाय आधारित कार्यक्रमों से एचआईवी संक्रमण को रोका जा सकता है

1 दिसंबर विश्व एड्स दिवस के अवसर पर विशेष

डॉ मनोज कुमार तिवारी 

एचआईवी की पहचान के चार दशक बाद भी यह एक विश्वव्यापी समस्या बना हुआ है। एचआईवी वायरस मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को  कमजोर करता है जब व्यक्ति का  रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाता है तो उसे अनेक अवसरवादी संक्रमण हो जाता है इस स्थिति को एड्स कहते हैं। 

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दुनिया में लगभग  38 मिलियन लोग एचआईवी संक्रमित हैं जिनमें से  लगभग 25.4 मिलियन लोग ए आर टी ड्रग ले रहे हैं। अब तक एचआईवी/ एड्स से लगभग 32.7 मिलियन लोगों की मृत्यु हो चुकी है। प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में लगभग 1.7 मिलियन एचआईवी का नया संक्रमण होता है। दुनिया में कुल संक्रमित मरीजों में लगभग 18 मिलियन बच्चे हैं । भारतवर्ष में कुल एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन है जिसमें से लगभग 880000 महिलाएं हैं तथा बच्चों की संख्या लगभग 145000 है। 2010 से 2019 के बीच एचआईवी संक्रमण की दर में 23% की कमी आई है।

एचआईवी संक्रमण होता है:-

 असुरक्षित यौन संबंध 

 एचआईवी संक्रमित इंजेक्शन के प्रयोग

 एचआईवी संक्रमित रक्त का उपयोग करने 

 एचआईवी संक्रमित मां से बच्चे में

एचआईवी नहीं फैलता है:-

 साथ में रहने से

 साथ में खेलने से 

 कपडों के साझा प्रयोग करने से 

आलिंगन से

 चुंबन से

 मच्छर काटने से

 तालाब/स्विमिंग पूल में नहाने से

एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को छूने से।

बचाव के उपाय:-

 जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें 

असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं 

यौन संबंध बनाते समय नियमित एवं सही तरीके से निरोध का प्रयोग करें 

सदैव नए इंजेक्शन का प्रयोग करें व इंजेक्शन किसी के साथ साझा न करें 

 रक्त का उपयोग एचआईवी जांच के उपरांत ही करें

एचआईवी संक्रमण में सामान्य लक्षण:-

 बुखार 

खांसी 

पतला दस्त 

वजन कम होना 

मुंह में छाले पड़ना 

थकान 

गले में खराश 

कमजोरी 

जोड़ों एवं मांस पेशियों में दर्द 

 शरीर पर लाल चकत्ते

किंतु उपरोक्त लक्षण अन्य बीमारियों में भी हो सकते हैं लक्षण के आधार पर किसी भी व्यक्ति के एचआईवी संक्रमित होने की स्थिति निर्धारित नहीं की जा सकती है, इसके लिए एचआईवी जांच कराना चाहिए सिर्फ रक्त जांच से ही किसी की एचआईवी की स्थिति निर्धारित की जा सकती है। एचआईवी संक्रमण के कई मरीजों में कई वर्षों तक संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं इसके पीछे व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता, खान-पान, जीवन-शैली एवं दवाओं की उपलब्धता इत्यादि का असर पड़ता है।

एचआईवी की जांच सभी सरकारी अस्पतालों में नाको द्वारा संचालित समेकित परामर्श एवं जांच केंद्र (आईसीटीसी) में नि:शुल्क की जाती है व एचआईवी संबंधित परामर्श भी प्रदान किया जाता है। एचआईवी पॉजिटिव आने पर व्यक्ति को इलाज हेतु ए आर टी एवं डॉट सेंटर संदर्भित किया जाता है। व्यक्ति की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है।

 एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी सेंटर* खोले गए हैं जहां पर एचआईवी संक्रमित मरीजों को एंटीरिट्रोवायरल ड्रग नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। ए आर टी सेंटर में चिकित्सक एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को न केवल एचआईवी की चिकित्सा प्रदान करते हैं बल्कि अवसरवादी संक्रमण जैसे- टीबी, खांसी, बुखार, डायरिया इत्यादि का भी इलाज किया करतें हैं। एआरवी ड्रग एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को जीवनभर, सही समय पर एवं सही डोज में खाना होता है। परामर्शदाता उन्हें दवाओं से संबंधित परामर्श के साथ-साथ उन्हें जीवन के सभी पक्षों से संबंधित परामर्श तथा जीवन जीने का कौशल सीखते हैं।

प्रीवेंशन आफ पैरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमीशन सेंटर* (पीपीटीसीटी) मेडिकल कॉलेज एवं जिला चिकित्सालय में नाको द्वारा संचालित किया जाता है जिसमें गर्भवती महिलाओं का नि:शुल्क एचआईवी  जांच किया जाता है  उन्हें परामर्श भी प्रदान किया जाता है। एचआईवी संक्रमित महिलाओं को ए आर टी सेंटर संदर्भित किया जाता है, यदि संक्रमित महिला सही समय पर जांच कराकर नियमित एआरटी की दवा खाए तथा चिकित्सक के देखरेख में प्रसव कराए तो उसके बच्चे को एचआईवी के संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है। एचआईवी संक्रमित महिला से पैदा होने वाले बच्चों को *अर्ली इन्फेंट डायग्नोस्टिक (ईआईडी)* कार्यक्रम के तहत 18 माह तक जांच एवं इलाज की सुविधा भी निःशुल्क प्रदान की जाती है।

नाको द्वारा संचालित *सुरक्षा क्लिनिक* में यौन संचारित रोगों का नि:शुल्क परामर्श तथा दवाईयां प्रदान की जाती हैं। यौन संचारित रोग होने पर एचआईवी के संक्रमण का जोखिम बहुत अधिक बढ़ जाता है।

पोस्ट एक्स्पोज़र प्रोफाइलेक्सीस* (पीईपी) स्वास्थ्य कर्मियों को एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों से एक्स्पोज (रक्त, शारीरक द्रव्य, संक्रमित सुई के संपर्क) होने पर प्रदान की जाती है। पीईपी एक्स्पोज़र होने के 72 घंटे के अंदर शुरू करना होता है तथा यह 28 दिन तक चलता है। पीईपी लेने से एचआईवी का संक्रमण का खतरा समाप्त हो जाता है।

दुनिया के कुछ देशों में प्री एक्स्पोज़र थैरेपी भी प्रदान की जा रही है किंतु भारत में अभी इसको मान्यता प्राप्त नहीं है।

कंडोम* गर्भनिरोध के साधन के साथ-साथ एचआईवी संक्रमण व यौन संचारित रोगों को रोकने का भी कारगर साधन है। कंडोम का सही प्रयोग संभोग के दौरान करने पर व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है पर यह ध्यान रखना चाहिए कि कंडोम के सावधानीपूर्वक प्रयोग किए जाने के बाद भी  संक्रमण के खतरे को पूरी तरह से समाप्त नहीं होता है इसलिए ध्यान रहे संयम एवं वफादारी ही उपाय है।

प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है इस अवसर पर लोगों को एचआईवी संक्रमण से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ एचआईवी से संक्रमित व्यक्तियों के अधिकार तथा उनके लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी प्रदान की जाती है। इस वर्ष विश्व एड्स दिवस का नारा है: *समुदायों को नेतृत्व करने दें* जिसका अभिप्राय है हम सभी ऐसी मान्यताओं को दूर करने और एड्स को समाप्त करने में मदद करने के लिए आवश्यक व्यवहारिक कार्यों के लिए काम करें। यद्यपि की एचआईवी/एड्स के क्षेत्र में अनेक खोज हुए हैं किंंतु वैक्सीन नहीं बनी है तथा इसकी जो भी दवाएं हैं वह इसका इलाज नहीं है। उपलब्ध दवाएं केवल व्यक्ति के जीवन काल को बढाने व गुणवत्ता में सुधार के लिए दी जाती है इसलिए सावधानी जरूरी है और जानकारी ही बचाव है।

डॉ मनोज कुमार तिवारी 
डॉ मनोज कुमार तिवारी
वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर,
आई एम एस, बीएचयू, वाराणसी