प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज शाम वाराणसी के नमो घाट पर काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का उद्घाटन करेंगे। तमिल प्रतिनिधिमंडल का पहला दल, जिसमें तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से आए छात्र शामिल हैं, आज पवित्र शहर काशी (वाराणसी) पहुंचे, जहां वे काशी तमिल संगमम के 15 दिवसीय दूसरे चरण में भाग लेंगे। इस दल का नाम पवित्र नदी ‘गंगा’ के नाम पर रखा गया है। आज वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचने पर दल के सदस्यों का भव्य स्वागत किया गया। अपने प्रवास के दौरान वे प्रयागराज और अयोध्या भी जाएंगे।
इस कार्यक्रम के दौरान संगमम में भाग लेने के लिए छह अन्य समूह, जिनमें शिक्षक (यमुना), पेशेवर (गोदावरी), आध्यात्मिक (सरस्वती), किसान और कारीगर (नर्मदा), लेखक (सिंधु) तथा व्यापारी व व्यवसायी (कावेरी) शामिल हैं, भी काशी पहुंच रहे हैं।
संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय (ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, आईआरसीटीसी तथा उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों की भागीदारी के साथ; भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय इस आयोजन के लिए नोडल एजेंसी है।
लोगों को आपस में जोड़ने वाले इस कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करना है, जो प्राचीन भारत में शिक्षा और संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्र थे। इसका लक्ष्य साझी विरासत की समझ का निर्माण करते हुए तथा इन दोनों क्षेत्रों के लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करते हुए ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को एक साथ लाना है। इस उत्सव का उद्देश्य दो संस्कृतियों के बीच प्राचीन बौद्धिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कारीगरी संबंधों के बारे में फिर से जानकारी प्राप्त करना और इन्हें सशक्त बनाना है। 15 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान तमिलनाडु और वाराणसी के विभिन्न सांस्कृतिक समूह काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।
इस कार्यक्रम स्थल पर तमिलनाडु और काशी की कला व संस्कृति, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशेष उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल लगाए गए हैं। तमिलनाडु और काशी की संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम भी काशी के नमो घाट पर आयोजित किये जायेंगे। इस कार्यक्रम की पूरी अवधि के दौरान ज्ञान के विभिन्न पहलुओं जैसे साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापार आदान-प्रदान, एडटेक और अगली पीढ़ी की अन्य प्रौद्योगिकियों पर सेमिनार, चर्चा, व्याख्यान आदि आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा, तमिलनाडु और काशी के विभिन्न विषयों/व्यवसायों के विशेषज्ञ और विद्वान तथा इन क्षेत्रों में कार्यरत स्थानीय लोग भी इन आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भाग लेंगे, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में पारस्परिक सीख व अनुभव से व्यावहारिक ज्ञान/नवाचार का एक स्वरूप उभर सके।
तमिलनाडु के प्रतिनिधिमंडल के अलावा इस आयोजन में बड़ी संख्या में काशी के स्थानीय निवासी भी उत्साहपूर्वक भाग लेंगे।