सर्दियों में बढ़ाये अपनी प्रतिरोधक क्षमता

प्रस्तुति : सोनी राय

कहने को तीन बड़े मौसम होते हैं- सर्दी, गर्मी और बरसात। अगर हर मौसम का अपना मजा है तो कहीं न कहीं उसकी कुछ सजा भी उसके साथ जुड़ी होती है। अब बरसात के जाते ही धीरे-धीरे ठंड अपने कदम हमारी ओर बढ़ा रही है। ठंड जिसे हम सर्दी या शीत भी कहते हैं। गर्मी व बरसात के बिल्कुल विपरीत यह मौसम अपने साथ कई खुशियां और मजे लाता है तो साथ में कई तरह की परेशानियां भी पैदा करता है। सर्दी में न तो पसीने की बदबू या चिपचिपाहट सताती है और न ही जानलेवा गर्मी विचलित करती है। सर्दियों में खाने के कई अधिक विकल्प हमारे सामने खुल जाते हैं और खाते समय यह चिंता भी नहीं सताती कि ये पचेगा या नहीं। शायद इसीलिए हर कोई रजाई में छिपने के लिए और रंग बिरंगे खाने का मजा उठाने के लिए सर्दियों का बेसब्री से इंतजार करता है। मगर, सर्दियों के मौसम में लोगों की इम्युनिटी यानी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। बड़े हों या बूढ़े, हर कोई सर्दी खांसी का शिकार तो होता ही है। सबके काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए, सर्दियों का भरपूर मजा उठाने के लिए हमें अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी चाहिए। इसके लिए हमें अपने खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए।

सर्दियों में गरम चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए जैसे सूप, अदरक की चाय आदि। हमें उन चीजों को अपने भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए जो कि बीटाकेरोटीन और विटामिन ए से भरपूर हों। दरअसल, बीटाकेरोटीन शरीर में विटामिन ए को संतुलित करता है और स्वयं भी विटामिन ए में परिवर्तित होता है। इससे शरीर में संक्रमण पैदा होने के खतरे भी बहुत हद तक कम हो जाते हैं। बीटाकेरोटीन के मुख्य स्त्रोत हैं:- गाजर, पालक, भोपला व शकरकंद आदि। इसके अलावा अपने आहार में विटामिन ए व जिंक आदि से भरपूर चीजों को भी शामिल करना चाहिए क्यों कि इससे भी हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और संक्रमण से लडऩे में मदद मिलती है। इसके लिए हमें अपने भोजन में लाल व हरे शिमलामिर्च, हरी मिर्च, संतरा, मौसमी व बेरी आदि का सेवन करना चाहिए।

सर्दियों में गुड़ का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है। गुड़ खाने के बाद शरीर में गर्माहट पैदा होती है। इसमें विटामिन, मिनरल, जिंक आयरन आदि प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है। ठंड लगने के कारण हमारा रक्त संचार धीमा हो जाता है तो गुड़ उसकी गति बढ़ाता है व पाचन प्रक्रिया भी मजबूत करता है। इसलिए गुड़ का सेवन अवश्य करना चाहिए।

सर्दियों में दूध का सेवन करना भी सेहत के लिए लाभप्रद होता है। दूध व दुग्ध उत्पाद विटामिन ए व कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत होते हैं। लेकिन फुल मिल्क दूध की बजाय स्किम्ड दूध ही पीना चाहिए।

सर्दियों में स्वास्थ्यवर्धक ब्रेकफास्ट ही करना चाहिए। अगर दिन की शुरुआत अच्छी होती है तो शरीर को स्फूर्ति व ताकत मिलती है। ब्रेकफास्ट में हम ओट्स या दलिया आदि ले सकते हैं। उसके अलावा कोई भी फल या अगर केला लें तो बहुत ही अच्छी बात है।

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सर्दियों में अदरक व लहसुन का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए क्यों कि इनमें संक्रमण से लडऩे की ताकत होती है। साथ ही इनसे शरीर की रक्षा प्रणाली भी मजबूत बनती है। सर्दियों में सुबह सब्जियों का सूप व फल आदि लेना भी सेहत के लिए अच्छा होता है क्यों कि इनमें प्रचुर मात्रा में एंटी आक्सीडेंट्स होते हैं। लेकिन जंक फूड न के बराबर लेना चाहिए क्यों कि इन्हें बनाने के लिए अक्सर ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि शरीर के लिए अच्छी नहीं होतीं और उनमें फैट भी अधिक होता है।

किसी भी प्रकार का धूम्रपान व शराब का सेवन भी कम से कम करना चाहिए क्यों कि ये शरीर में मौजूद पौष्टिक तत्वों को नष्ट करते हैं। इससे हमारा शरीर ही क्षतिग्रस्त होता है या फिर इसकी रक्षा प्रणाली प्राय:कमजोर हो जाती है।

हमेशा व्यायाम आदि भी करना चाहिए। वाक पर जाना भी अच्छा रहता है क्यों कि शरीर को स्फूर्ति मिलती है और रक्त संचार बना रहता है। साथ ही सर्दियों में औसतन तौर पर हम अधिक तला भुना खाते हैं तो व्यायाम करने से वह सब आसानी से पच जाता है और मोटापा भी नहीं चढ़ता है।

सर्दियों में औसतन छ: से आठ घंटे की नींद ही लेनी चाहिए। दरअसल, सर्दियों में ठंड के चलते हम बिस्तर या रजाई छोडऩे के लिए जल्दी अपने मन को नहीं मना पाते हैं। खासकर, छुट्टी वाले दिन तो हम वैसे भी देर से ही उठते हैं जो कि कहीं न कहीं हमारे शरीर के रुटीन को प्रभावित करता है।

वैसे तो सर्दियों में हमें पानी पीने का मन नहीं करता है और प्यास भी नहीं लगती है। इसीलिए अक्सर लोग पानी कम ही पीते हैं। लेकिन हमें आठ से दस गिलास पानी अवश्य ही पीना चाहिए ताकि हम बीमारियों से दूर रह सकें। हमारे शरीर की गंदगी भी बाहर निकल जाती है।

सर्दियों में हमें बार-बार हाथ धोना चाहिए। खासकर, कुछ भी खाने या पीने से पहले। सर्दियों में ठण्डा पानी बदन पर लगते ही हमारे तन बदन में चिलचिलाहट होने लगती है इसीलिए हम हाथ भी कम धोते हैं। तथा, कीटाणुओं और विषाणुओं का हमला भी अधिक ही होता है।

सर्दियों में हमेशा गरम कपड़े व पूरे बदन के कपड़े पहनें। पैरों, कानों को हमेशा ढक़कर रखें। प्राय: सर्दियों में अगर हम अक्सर बीमार पड़ते हैं तो उसका एक बड़ा कारण होता है पैरों या कान के द्वारा शरीर में ठंड लगना। हम कपड़ों से अपने तन को तो ढक़ लेते हैं लेकिन अपने कान को खुला छोड़ देते हैं। तो ऐसी गलती न करें। हमेशा पैरों में जुराब और कानों में टोपी पहन कर रखें।

सोनी राय
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