नए वर्ष पर मैं वादा करता हूं

-नए वर्ष के आगमन पर विशेष-

आखिर आ ही गई वो घड़ी जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था।  बहुतेरे लोगों का मानना है, कि यह नया वर्ष उनके जीवन में कुछ उपलब्धि जरुर उपलब्ध करायेगा। सामान्य जीवन में कुछ उलट फेर जरुर होगा। प्रायः हम सबकी यह आदत होती है ​कि हर नये वर्ष के आने पर कुछ गंदी आदतों को छोड़ने की कसमें खाते हैं जिसमें कुछ गिने चुने लोग तो सफल हो जाते हैं। अधिकतर पुनः उसी ढर्रे पर चलने लगते हैं, और फिर नये साल में वही वादा दोहराते हैं। कई महानुभाव नये साल पर नया कार्य, धन्धा एवं बिजनेस शुरू करना पसंद करते हैं। हर वर्ग में नये वर्ष के प्रति यह सम्मान पाया जाता है। चाहे वह बच्चे हों, विद्यार्थी, व्यापारी, युवा, बुद्धिजीवी, प्रौढ़, वृद्ध, महिला एवं प्रत्येक लोगों में ऐसी धारणा होती है। कि नये साल के शुभ मुहूर्त में शुरु किया जाने वाला काम हमेशा सफल होता है। तो चलिये हम लोगों की इस संबंध में नये वर्ष के प्रति क्या विचार एवं धारणायें हैं उन्हीं की जुबानी सुनते हैं।

स्थानीय गांधी चौक निवासी तीस वर्षीय गृहणी श्रीमती गौतरहीन यादव कहती हैं कि- “नया साल सबके लिये सुखमय हो। लोग अपने बुरी आदतों को छोडकर अच्छे काम करें यही मेरी भगवान से प्रार्थना है। बाकी अपने लिये क्या कहूं मैं न तो पढ़ी हूं न लिखना जानती हूं। रोज कमाना रोज खाना, यही ढर्रा है! जीवन का। यही सिलसिला मरते दम तक चलना है, ऊपर  वाले से विनती है कि इसे ही कायम रखे। और कोई अपेक्षा नहीं है। जूना बिलासपुर शांति लाज के पास रहने वाली श्रीमती दुज बाई विश्वकर्मा जो आंगन बाड़ी केन्द्र में सहायिका के पद पर कार्य करती हैं, उन्होंने नये वर्ष का स्वागत करते हुये कहा कि- नये साल में हमें सिद्धांत बनाकर काम करना होगा, जिससे हमारा नाम हो। हम अच्छा काम करें। मैं नये वर्ष में सोच रही हूं जहां मैं कमजोर हूं वहीं ज्यादा ध्यान देकर काम करूंगी ताकि मैं उन्नति की ऊंचाई तक पहुंच सकूं।

 फजल बाड़ा में निवासरत पचासी वर्षीय वृद्धा श्रीमती बुधवारा बाई  इस बारे में अपने उम्रानुसार बड़े परिपक्व हैं। वे कहती हैं कि- मेरे लिए नया साल  क्या पुराना साल। मैं इन्हें नहीं जानती। मैं तो सिर्फ घर तक ही सीमित हूं। बस यही जानती हूं कि मेरे घर में सभी बच्चे, बेटा, बहू अच्छे से शांतिपूर्णक रहें। मैं उन सब को हमेशा खुश देखूं। यही मेरे लिये नये वर्ष का सबसे बड़ा उपहार होगा। 

नेवरा (गनियारी) निवासी  अजय पाण्डे का कहना है कि मैं नये वर्ष से नशा करना बिलकुल छोड़ दूंगा। नशा नहीं करना चाहिये यह स्वास्थ्य के लिये नुकसान देह है यही संदेश मैं और अपने उन भाइयों को देना चाहूंगा जो अभी नशा करते हैं। नये साल से मैं नया काम भी शुरु करने वाला हूं, भगवान से आशा है कि उसमें मुझे सफलता प्रदान करें।

 रायपुर निवासी पैंतालिस वर्षीय गोविन्द शर्मा आजाद भारती जो पेशे से आडियो केसेट कार्यक्रम के व्यवसायी हैं। ये दोनों आंखों से अंधे हैं। पर इनका आत्म विश्वास गजब का है। इनके आत्म विश्वास को देखकर तो आंख वाले लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिये। अंधे होने के बावजूद ये अकेले ट्रेन हो या बस में आसपास पूरे छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अपने व्यापार के सिलसिले में घूमते रहते हैं, और अपने व्यापार में तरक्की भी कर रहे हैं। इसी दौरान उनके बिलासपुर आगमन पर हम उन्हें जा पकड़ा। नये वर्ष पर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि- नये साल के आगमन पर हमें अपने घर को जैसे दीपावली आने के पूर्व सजाया जाता है. ठीक वैसे ही लिप पोत कर एवं स्वच्छ साफ कर सजाना चाहिये। सभी परिवार के सदस्यों को हिलमिलकर एक साथ रहना चाहिये। नये साल के पहले दिन भगवान की पूजाकर सादा भोजन (सादा भोजन से इनका मतलब है मांस मटन रहित) करना चाहिये। मैं हमेशा लोगों की यही सलाह देता हूं कि सभी भाईचारे से रहे। यही उन्नति का उत्तम रास्ता है।

 फजल वाड़ा निवासी बसंत यादव ने कहां कि हमें नये साल पर बड़े बुजुगों से आशिवार्द लेना चाहिये। भगवान की श्रद्धा से पूजा कर सभी भाई एवं दोस्तों से गले मिलकर मेल मिलाप को बढ़ावा देना चाहिये। नये साल में जो कुछ लोग हो हुल्लड़ और शराब. पीकर खूले आम मस्ती करते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए।  रेल्वे हिन्दी मीडियम स्कूल की लक्षा बारहवीं की छात्रा कु.सुजाता सिंह ने नये वर्ष की शुभकामना देते हुये कहा कि सभी चाहते हैं कि नया साल हमारे जीवन में खुशियां लेकर आये। वैसे ही मैं भी चाहती हूं कि नया साल हमारे जीवन में खुशियां लेकर आये। मैं चाहती हूं कि नये साल में कुछ ऐसा काम करु जिससे मुझे लगे कि नया साल मेरे लिये अच्छा गुजर रहा है। आगे उन्होंने कहा कि हम सभी को यह प्रण करना चाहिये कि हम नये साल में किसी की बुराई नहीं करेंगे, किसी को अपने से छोटा नहीं समझेंगे। किसी जात-पांत का भेद्भाव नहीं करेंगे। वैसे भी हमारे समाज में कुछ ऐसी समस्याऐं हैं जिनको दूर करना बहुत आवश्यक है जैसे- दहेजप्रथा. संप्रदायवाद, भ्रष्टाचार है जो समाज को ,ऐसी समस्याएं खोखला करती जा रही है। इसलिये हम जहां तक हो सके नये वर्ष में सभी समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिये।

हेमूनगर निवासी. स्वाती सिंह का कहना है कि- मेरी इच्छा है कि मैं इस नये साल में कुछ नया काम करूं। मैं अपनी कुछ बुराईयों को भी दूर करना चाहूंगी। मैं अपने मम्मी, पापा, बहन, भईया, भाभी के साथ अपना व्यवहार अच्छा रखना चाहती हूं। मैं सभी के साथ प्रेम से रहना चाहूंगी। और अपना अधिक से अधिक समय पढ़ाई में लगाऊंगी, बेकार की बातों में ध्यान नहीं दूंगी। मैं चाहती हूं कि नये साल में अपने दोस्तों को उपहार देकर सभी के साथ कही पिकनिक में जाऊं। सभी के साथ खूब मौजमस्ती कर नये साल का स्वागत करूं।

आईये अब कुछ बच्चों से चर्चा करें: 

फजलबाड़ा की शानू रजक कहती है कि- नये साल के पहले दिन से मैं बहुत मेहनत करके पढूंगी और अच्छे नंबरों से पास हाऊंगी। आदर्श, कान्वेंट में चौथी कक्षा की छात्रा कु. संगीता कहती हैं कि- मैं अच्छे से पढूंगी और मम्मी पापा का नाम ऊंचा करूंगी। ग्यारह वर्षीय कु. निशा मांगडी कहती है कि- मैं सभी सहेलियों को ग्रिटिंग कार्ड दूंगी और नये साल की सभी को बधाई दूंगी। चौथी कक्षा, रानी लक्ष्मीबाई स्कूल की दस वर्षीय छात्रा कु. रीमा रजक का कहना है-नये साल में मैं एक जनवरी को डांस करुंगी। सभी संहलियों को नये वर्ष की बधाई दूंगी और बड़ो का आशिर्वाद लेकर नये साल का स्वागत करूंगी। इस दिन घर में केक बनवाकर सभी को खिलाऊंगी। चौधरी मोहल्ले की  सीमा यादव ने बड़ी मासूमियत से कहा कि- मैं तो स्कूल भी नहीं जाती हूं, नया साल क्या होता हैं- मुझे नहीं मालूम। शासकीय पुत्री  शाला में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली ग्यारह वर्षीय कु. किरण ने नये साल के आगमन पर कहा कि- मैं तो अपनी मेडम को ग्रीटिंग कार्ड दूंगी। खूब मन लगाकर पढूंगी। सभी मिलकर केक लायेंगे फिर उसे नये साल के नाम पर काटकर हम सभी मिलकर खाएंगे, और एक दूसरे को बधाई शुभकामनायें देंगें। बारह वर्षीय पांचवी की छात्रा कु. रानी यादव ने कहा- कि- हम बच्चों को आपस में एक दूसरे को फूल भेंट करना चाहिये। ग्रीटिंग कार्ड भी देना चाहिये। किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिये। सभी साथ मिलकर खेलें और रोते हुये लोगों को हंसाना चाहिये। सात वर्षीय सीमा नये साल की शुरुवात खूब तरह-तरह के व्यंजन चाकलेट खाने से करना चाहती है। पढ़ाई से बिलकुल परहेज सिर्फ खेलकूद और मस्ती। सिटी डिस्पेंसरी के पास रहने वाली बारह वर्षीय अनपढ़ समरिन खान का कहना है ,कि- इच्छा तो है कि नया साल खूब धूमधाम से मनाऊं। जैसे खूब मिठाई खाऊं, खूब नाचूं गाऊं, सभी कोई झगड़ा भूलकर एक होते और मिलकर खुशी मनाते तो बहुत अच्छा लगता। पर मैं क्या करूं हम तो बहुत गरीब हैं। रोजी रोटी वाले हैं। कहां से ऐसी खुशियां मना सकते हैं। हमारे लिये क्या नया क्या पुराना सभी दिन एक जैसा ही है। ज्ञानोदय विद्या मंदिर में पांचवी पढने वाले अनुपम सिंह का कहना है। नये साल पर बड़ा सा केक लायेंगे । 31 दिंसबर की शाम से नाच-गाना करेंगे फिर बारह बजे रात को केक काटेंगे। सभी को कार्ड देंगे। घर में सभी बडो को आशिर्वाद लूंगा। मैं इस साल खूब पढ़ाई करुंगा और क्लॉस में पहले नंबर से पास होकर दिखाऊंगा, इसी स्कूल के क्लास में पढ़ रहे दस वर्षीय सक्ति सिंह का कहना है- नये साल पर बहुत सारा फुग्गा फोडूंगा। पूरे कक्षा को सजा दूंगा और मन लगाकर पढ़ूंगा। मम्मी से कुछ नया खाना बनाने को कहूंगा। जिसे घर में सभी के साथ मिलकर खाऊंगा और खुशियां मनाऊंगा। राजेश्वरी सिंह गृहणी का कहना है कि सुबह उठकर नहा धोकर भगवान  की पूजा करुंगी। फिर सब को नये साल की बधाई दूंगी। और नये साल में यही चाहूंगी कि सन्  2223 मेरे लिये परिवार सहित खुशियों से बीते। फूल बाजार में फूलों का व्यवसाय करने वाले युवक बृजेश अग्रहरी व जग्गु कश्यप का कहना है कि- नया साल क्या होता है हमें पता नहीं। कमाई अच्छी हो तो रोज नया साल है वर्ना कंगाली में क्या नया साल। हां ये जरूर है कि नया साल आने के पूर्व से हमारी कमाई बढ़ जाती है। क्रिसमस और नये वर्ष के स्वागत समारोह के लिये फूलों के खूब आर्डर मिलते हैं। तो हमारी भी चांदी रहती है। खूब मनता है नया वर्ष सदर बाजार स्थित भावे रजब अली मेडिकल स्टोर में कार्यरत मोहम्मद अली भारमल का कहना है कि- नया वर्ष जीवन के भागदौड़ और रोजमर्ग की व्यस्तता के बीच खुशियां ढूंढ़ने का एक अच्छा जरिया है। इसी बहाने तो कम से कम हम लोगों से गले मिलते है. सभी से आशिर्वाद ले लेते हैं। थोड़ा नाच गा लेते हैं। उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि हां इस वर्ष आने वाला नया वर्ष जरूर कुछ विशेषता और आकर्षित करने वाला है। यानि एक साथ हमें एक जनवरी को नया दिन, नया साल और नयी उमंगों की सौगात मिलेगी।

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”