गणतंत्र दिवस 

विधान-संविधान के हृदय में  सजा लो,
कर्तव्य को अधिकार सा थोड़ा तो निभा लो​,
—————
जो हो रहे परे सभी दिलों से आजकल रिश्ते,
निभा दायित्व कुछ क़र्ज़ वीरों का चुका लो ।
————————
बेआबरू कर लाज को लांघते हो सब हदें,
माँ के दूध की सड़कों पे यूँ अर्थी न निकालो ।
————————
करते कांड खुले आम औ फिर जेल हो जाते,
अरे! थोड़ा खुद के भीतर बैठे ईमा को जगा लो ।
—————————
 ये देश तुम्हारा है औ गणतंत्र तुम्हीं से है,
छोड़ो लड़ना एक होके सब इसको संभालो ।।

भावना 'मिलन'
भावना अरोड़ा ‘मिलन’
कवयित्री,एडुकेशनिस्ट,
मोटिवेशनल स्पीकर