मत्स्य पालन विभाग ने केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रुपाला, राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, सचिव (मत्स्य पालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्य पालन), श्री सागर मेहरा, एमडी, ओएनडीसी श्री टी. कोशी और अन्य सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में आज (19 फरवरी, 2024) नई दिल्ली में डिजिटल कॉमर्स संबंधी ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। श्री परषोत्तम रुपाला ने इस अवसर पर एक पुस्तिका “फ्रॉम कैच टू कॉमर्स, इंक्रीजिंग मार्केट एक्सेस थ्रू डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन” का विमोचन भी किया।
इस सहयोग का उद्देश्य एक डिजिटल मंच प्रदान करना और पारंपरिक मछुआरों, मछली किसान उत्पादक संगठनों, मत्स्य पालन क्षेत्र के उद्यमियों सहित सभी हितधारकों को ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से अपने उत्पाद खरीदने और बेचने के लिए सशक्त बनाना है। ओएनडीसी ई-मार्केटिंग का एक अनूठा मंच है, जो मछुआरों, मछली किसानों, एफएफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और अन्य मछुआरा सहकारी समितियों को एक संरचित तरीके से जोड़कर मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय मंत्री श्री परषोत्तम रुपाला ने एफएफपीओ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की, जिन्होंने ओएनडीसी मंच पर शामिल होने से पहले और बाद के अपने अनुभवों को साझा किया। इसके बाद, एफएफपीओ ने जिंदा मछली परिवहन इकाई के विकास जैसी अपनी सफलता की कहानियों को भी साझा किया। श्री रुपाला ने एफएफपीओ के प्रयासों की सराहना की और भविष्य में मछली उत्पादों के प्रसंस्करण में और अधिक ऑटोमेशन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
श्री परषोत्तम रुपाला ने एमओयू हस्ताक्षर समारोह के दौरान मछुआरों और एफएफपीओ के साथ बातचीत करते हुए मूल्य श्रृंखला और मछली प्रसंस्करण इकाइयों में स्वचालन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि ओएनडीसी के साथ मत्स्य पालन विभाग का यह सहयोग न केवल इन चुनौतियों को संबोधित करेगा, बल्कि यह भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र में डिजिटल वाणिज्य की क्षमताओं को सामने लाने में मदद भी करेगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस सहयोग से मत्स्य पालन उद्योगों को कई लाभ मिलेंगे, जैसे लेन-देन लागत में कमी, बाजार तक पहुंच में वृद्धि, पारदर्शिता में सुधार, प्रतिस्पर्धा और प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि, नवाचार और रोजगार सृजन आदि। इसके अलावा, उन्होंने पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ और अन्य हितधारकों को ई-मार्केट के माध्यम से मछली और मछली उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए डिजिटल मंच प्रदान करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। श्री रुपाला ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह डिजिटल इंडिया पहल को पूरा करने की दिशा में डीओएफ और ओएनडीसी के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन है।
डॉ. एल. मुरुगन ने साझा किया कि ओएनडीसी के साथ मत्स्य पालन विभाग का यह सहयोग क्रांति लाने के लिए एक अभूतपूर्व पहल होगी और यह पहल मूल्यवर्धित मत्स्य पालन से संबंधित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच भी प्रदान करेगी, जो उत्पादकों को उच्च मार्जिन हासिल करने और अपने उत्पाद की पेशकश में विविधता लाने की अनुमति देगी। उन्होंने घरेलू मछली की खपत को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और मछली उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए सभी पारंपरिक मछुआरों, एफएफपीओ को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की डीओएफ की इस पहल से घरेलू मछली की खपत को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।
डॉ. अभिलक्ष लिखी ने डिजिटल कॉमर्स संबंधी ओपन नेटवर्क के विभिन्न इस्तेमालों और विशेषताओं का उपयोग करने के लिए मछुआरों को सशक्त बनाने के लिए क्षमता निर्माण, उनके प्रशिक्षण और उन तक कैसे पहुंच बनाई जाए, इन बातों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि हितधारकों को गुणवत्ता, प्रमाणन, टिकाऊ प्रथाओं के आधार पर अपने उत्पादों को डिफ्रेंशिएट ड अलग करने में भी सक्षम बनाया जाएगा और उनको उनमें से विकल्प चुनने की अनुमति दी जाएगी।
संयुक्त सचिव (मत्स्य पालन), श्री सागर मेहरा ने ओएनडीसी के सहयोग से मत्स्य पालन विभाग की पहल के बारे में प्रकाश डाला और सूचित किया कि डीओएफ ने पीएमएमएसवाई के तहत 2195 एफएफपीओ के गठन का समर्थन किया है और लगभग 35 एफएफपीओ को पहले ही ओएनडीसी के नेटवर्क से जोड़ दिया गया है, जो दस राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल) को कवर करते हैं।
श्री. टी. कोशी ने एक लघु वीडियो के जरिए सहयोग के माध्यम से मछुआरों, एफएफपीओ, मछुआरों की सहकारी समितियों, विक्रेताओं आदि को होने वाले लाभों पर प्रकाश डालते हुए ओएनडीसी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लगभग 3000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) ने विभिन्न नेटवर्क के माध्यम से ओएनडीसी पर पंजीकरण कराया है। इसके अलावा, लगभग 400 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), सूक्ष्म-उद्यमियों और सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों को बाजार में प्रीमियम कीमतों पर नियंत्रण रखने और उपभोक्ता के अनुरूप मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए नेटवर्क पर शामिल किया गया है।
इस अवसर पर मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी, मछुआरे, मछली किसान उत्पादक संगठन, उद्यमी, मछुआरा सहकारी समितियां आदि के 120 हितधारकों ने प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी की। एसएफएसी, नफेड, एनसीडीसी आदि जैसे संबंधित संगठनों से एफएफपीओ जैसे विस्तारित प्रतिभागी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। यह कार्यक्रम एक व्यापक दृष्टिकोण की परिकल्पना करता है जो यह सुनिश्चित करेगा कि छोटे स्तर के मछुआरों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को बाजार के अवसरों तक समान पहुंच मिले, सामाजिक समावेशन और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले।
सरकार मत्स्य पालन क्षेत्र को व्यापक तरीके से बदलने और नीली क्रांति, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और विभिन्न अन्य कार्यक्रमों जैसी योजनाओं एवं पहलों के माध्यम से आर्थिक उत्थान और समृद्धि लाने में हमेशा सबसे आगे रही है। वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ, भारत झींगा उत्पादक में पहला सबसे बड़ा, जलीय कृषि उत्पादक में दूसरा सबसे बड़ा, तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और मछली एवं मत्स्य पालन उत्पादों के निर्यात में चौथा सबसे बड़ा देश है।