जीवन में कैसे आत्मविश्वास जगाएं और लक्ष्य पाएं

जब कोई कुछ कह रहा हो तो पूरे ध्यान से सुनें। इससे सामने वाले को आत्मसंतुष्टि मिलती है। साथ ही वह आप के बारे में अच्छा नजरिया बनाता है। अमेरिका के लोकप्रिय राष्टपति अब्राहम लिंकन का कहना था कि काम में जुटना चिंता का बहुत बढिया इलाज है। इस लिए जब भी कोई चिंता सताये तो अपने शारीरिक श्रम में समझदारी से लगायें। श्रम से मस्तिष्क में तनाव नहीं उत्पन्न होता, क्यों कि मांसपेशियों की सक्रियता से तनाव की दिशा बदल जाती है।

प्रसिद् दार्शनिक मार्क्स का कहना था कि हमारे विचारों से ही हमारी जिंदगी बनती है। अगर हमारे विचार सुखद होगे तो हम सुखी रहेंगे। अगर हमारे विचार दुखद होंगे तो हम दुखी रहेंगे। अगर हम असफलता के बारे में सोचेंगे तो हम अवश्य असफल हो जायेंगे। हमारे मानसिक नजरिये का प्रभाव हमारी शारीरिक क्षमता पर भी पड़ता है। हर समस्या के प्रति सकारात्मक व आशावादी नजरिया रखें। याद रखिये ऐसी कोई समस्या नहीं जिसे आप मेहनत, लगन, आस्था और ईश्वर की प्रार्थना से सुलझा न सकें।

आप के दिल में कोई दुख-दर्द हो तो इसे दिल में दबाये न रखें। शायद आपने भी पढ़ा या सुना होगा कि अच्छी तरह रो लेने के बाद मानसिक व भावनात्मक दुखों से राहत मिल जाती है। इजराइली प्रधामंत्री गोल्डा मायर ने एक बार कहा था कि जो लोग दिल खोल कर रो नहीं सकते वे दिल खोलकर कर हंस भी नहीं सकते। हर दिन सुबह बिस्तर छोडने के साथ मन में यह संकल्प दोहरायें कि आज का दिन बहुत अच्छा बीतेगा, क्यों कि मैं अपना सब-कुछ ईश्वर के हाथ में सौंप रहा हूं। जो लोग निराशवादी बातें करते हैं, उनसे दूर रहें और उनके साथ बहुत ज्यादा चर्चा न करें।

आने वाले कल के बारे में विचार कीजिए किंतु चिंता न कीजिए। वास्तव में जिंदगी हर पल जीने के लिए होती है। इस लिए हर दिन और हर घंटे इसे जीना चाहिए। जब आपको नींद नहीं आती तो क्या आप चिंतित हो जाती हैं? याद रखिये अनिद्रा के बारे में चिंता करने से अनिद्रा से ज्यादा नुकसान होता है। शिकागो विश्वविद्यालय में हुई एक रिसर्च के अनुसार नींद की कमी के कारण आज तक कोई नहीं मरा। वैसे प्रकृति ने यह व्यवस्था कर रखी है कि जब नींद आएगी हम अपने आप सो जाएंगे। चिंता कम करने की एक अच्छी दवा है किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात करना। यह तो आप ने भी सुना होगा कि दिल का गुबार निकाल देने से बोझ हल्का हो जाता है और तत्काल राहत मिलती है।

जब भी थकान या चिंता सताये तो फर्श पर लेट जाएं। अगर लेट नहीं सकते तो कुर्सी पर बिल्कुल सीधे बैठिये। गहरी सांसें लीजिये और इसे छोडिये धीरे-धीरे। कोई भी कार्य करें मन लगा कर करें अर्थात् कार्य में दिलचस्पी पैदा करें। इससे थकान कम महसूस होगी और चिंताएं भी कम होंगी। जब तक आप को दिल में यह विश्वास है कि आप सही हैं, तब तक इस बात की चिंता करें कि लोग क्या कहंगे। आप का दिल जो कहता है वही करें, क्यों कि आलोचना तो हर हाल में होगी। कुछ करेंगे तो भी आलोचना होगी और कुछ नहीं करेंगे तो भी होगी।

जिन्हें आप पसंद नहीं करते उनके बारे में बिल्कुल चर्चा न करें, क्यों कि इससे हम अपना ही नुकसान करते हैं। जब भी मौका मिले दिन में दो-तीन बार पांच-दस मिनट की झपकी लें, इससे अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है। डर सबसे शक्तिशाली विचार है, परंतु एक विचार डर से भी शक्तिशाली है वह है आस्था। आस्था ही एक मात्र शक्ति है, जिसके सामने डर टिक नहीं सकता। अगर आप अपने अंदर आस्था भर लें तो डर अपने आप बाहर आ जायेगा।

हर दिन कुछ देर का समय निकालें। इस दौरान किसी से बात न करें। अर्थात् मौन रहें। सिर्फ ईश्वर के बारे में सोचें और ईश्वर ने जो कुछ आप को दिया है उसके लिए उसे धन्यवाद दें। आप अपने लक्ष्य तक तभी पहुंच सकते हैं जब आप को यह मालूम हो कि आप का लक्ष्य हो कि आप का लक्ष्य क्या है? ज्यादातर लोग जिंदगी में कहीं नहीं पहुंच पाते, कारण वे जानते ही नहीं कि वे कहां पहुंचना चाहते हैं।

जिंगदी में सफलता पाने की प्रबल इच्छा है तो अपने काम में पूरे दिल से जुट जायें। आप जो भी कर रहे हों उसमें समर्पण भाव से अपने को डुबों दें। जब आप की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियां पूरी एकाग्रता से सक्रिय हो जाती हैं, तब कोई भी अवरोध आप की राह का रोड़ा नहीं बन सकता। छोटी-मोटी गलतियों या चूकों को गंभीरता से न लें। छोटी-छोटी चूकों को गंभीरता से लेने का मतलब है कि आप के दिमाग में स्थिति का विशखेषण करने की शक्ति कम हो रही है।