“हे ईश्वर इन्हें  क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते यह क्या कर रहे हैं”: यीशु मसीह

‌-29 मार्च गुड फ्राइडे पर विशेष-

प्रतिवर्ष ईस्टर संडे से पहले वाले शुक्रवार के दिन गुड फ्राइडे मनाने का प्रचलन है। आपको बता दें कि गुड फ्राइडे के चालीस दिन पहले से उपवास रखने की प्रथा है। कुछ लोग केवल शुक्रवार को उपवास करते हैं। गुड फ्राइडे के दिन घर में सजावट की वस्तुओं को ढक दिया जाता है। इस दिन कालेपन कपड़े पहनकर चर्च में शोक मनाया जाता है। करीब दो हज़ार साल से पहले  ईसा मसीह यरुशलम में रहकर मानवता के कल्याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश देते थे। सभी लोगों ने उन्हें परमपिता परमेश्वर का दूत मानना शुरू कर दिया। इसी वजह ‌से झूठे और पाखंडी धर्म गुरुओं ने ईसा मसीह के खिलाफ यहूदी शासकों के कान भरने शुरू कर दिए। फिर एक दिन उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर सूली पर चढ़ाए जाने का फरमान जारी कर दिया गया। इससे पहले उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया। ईसा को सूली को कंधों पर उठाकर ले जाने के लिए विवश किया गया। आखिर में उन्हें बेरहमी से मारते हुए उन्हें कीलों से ठोकते हुए सूली पर लटका दिया गया। तब अपने आखिरी समय में यीशु मसीह ने  मर्माहंत‌ होकर कहा था । हे ईश्वर इन्हें माफ करना। क्योंकि यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं…। 

सूली पर लटकाने से पहले कांटों का ताज तक पहना दिया तो भी उनके मुख से सभी के लिए सिर्फ क्षमा और कल्याण के संदेश ही निकले। यह उनके क्षमा की शक्ति की अद्भुत मिसाल मानी गई। प्रभु यीशु के मुख से मृत्यु पूर्व ये मार्मिक शब्द निकले, ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’। 

      ईसाई धर्म के लोग इस त्योहार को काले दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान यीशु मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे। इसी वजह से ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईशु के बलिदान को याद करते हैं। इस दिन को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है। ये दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद ही खास होता है। गुड फ्राइडे के अवसर पर लोग गिरिजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा प्रभु ईशु की याद में उपवास किया जाता है। हर साल अक्सर अप्रैल के महीने में गुड फ्राइडे पड़ता है। इस वर्ष 2024 में यह मार्च के माह में पड़ रहा है।

     गुड फ्राइडे का ईसाई धर्म में काफी महत्व होता है। इस दिन को ईसाई धर्म के अनुयायी शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। गिरजाघर में जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं और उनके दिखाएं गए मार्गपथ पर चलने का संकल्प लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि यरूशलम प्रांत में ईसा मसीह लोगों के मानव जीवन के कल्याण के लिए उपदेश दे रहे थे। जिसे सुनने के बाद लोग उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। लेकिन कुछ धर्मगुरु उनसे चिढ़ते थे और जलते थे। लेकिन ईसा मसीह ने लोगों के दिलों में अलग की जगह बना ली थी। अन्य धर्मगुरुओं द्वारा रोम के शास पिलातुस से शिकायत कर दी। कहां- यह अपने आप को ईश्वर पुत्र बता रहे हैं। शिकायत के बाद उन पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया गया। उन्हें क्रूज पर मृत्युदंड देने का फरमान जारी किया। कीलों की मदद से उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। इतिहास के मुताबिक उन्हें गोलागोथा नामक सूली पर चढ़ाया गया था और इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। 

        ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान यीशु मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे। इसी वजह से ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईशु के बलिदान को याद करते हैं। इस दिन को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है। ये दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद ही खास होता है। गुड फ्राइडे के अवसर पर लोग गिरिजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के लोग व्रत रखते हैं और गिरजाघरों में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं। इस दिन गिरजाघरों में घंटा नहीं बजाया जाता है, बल्कि लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं। साथ ही लोग चर्च में क्रॉस को चूमकर प्रभु यीशु का स्मरण करते हैं। गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के लोग उपवास रखने के साथ ही प्रभु यीशु के उपदेशों का स्मरण करते हैं और उन्हें अपने जीवन में ढालने की कोशिश करते हैं। लोग प्रभु यीशु के बताए प्रेम, सत्य और विश्वास के मार्ग पर चलने की शपथ लेते हैं। इस दिन बहुत से लोग काले रंग के वस्त्र पहनकर प्रभु यीशु के बलिदान दिवस पर शोक भी मनाते हैं। दान-धर्म के कार्य किए जाते हैं। व्रत के बाद मीठी रोटी बनाकर खायी जाती है। गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे को इस्टर संडे मनाया जाता है।

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”