नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव ने विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित किया; उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन में भारत के विजन और क्षमताओं पर प्रकाश डाला

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भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव, श्री भूपिंदर सिंह भल्ला ने 15 मई, 2024 को नीदरलैंड के रॉटरडैम में विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में भारत के रणनीतिक विजन और क्षमताओं पर प्रकाश डाला।

श्री भल्ला ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की व्यापक प्रकृति को रेखांकित किया, जिसमें पायलट परियोजनाएं, अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पहलें और कौशल विकास कार्यक्रम जैसे घटक शामिल हैं। “यह समग्र दृष्टिकोण हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में नवाचार, सहयोग और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा, परियोजनाओं के संचालन और अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने पर मिशन का ध्यान हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के लिए एक जीवंत इको-सिस्टम को प्रोत्साहित करने, अत्याधुनिक समाधानों और सर्वोत्तम प्रथाओं के उद्भव को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”

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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव ने नवीकरणीय ऊर्जा सामर्थ्य में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत की स्थिति और देश की नवीकरणीय ऊर्जा की कम लागत पर बल दिया। “प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के साथ, भारत नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेश के लिए एक आकर्षक परिदृश्य प्रस्तुत करता है, जो टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों की ओर परिवर्तन की देश की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।” श्री भल्ला ने राष्ट्रीय ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के निर्बाध एकीकरण के लिए एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में भारत के एकीकृत ग्रिड बुनियादी ढांचे पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिखर सम्मेलन के दर्शकों को बताया कि यह एकीकृत ग्रिड न केवल ग्रिड स्थिरता और विश्वसनीयता को बढ़ाता है, बल्कि यह नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की रणनीतिक जगह, दक्षता को इष्टतम करने और लंबी दूरी के परिवहन और हाइड्रोजन के भंडारण की आवश्यकता को कम करने में भी सक्षम बनाता है।

सचिव ने कहा, भारत में कुशल इंजीनियरों का प्रचुर समूह नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए आधारशिला के रूप में कार्य करता है। “इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) सेवाओं में विश्व स्तरीय विशेषज्ञता के साथ, भारत एक मजबूत प्रतिभा पूल प्रदान करता है, जो दक्षता और सटीकता के साथ परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में सक्षम है। उचित लागत पर कुशल कर्मियों की यह उपलब्धता हरित हाइड्रोजन उत्पादन के वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ाती है।”

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श्री भल्ला ने हरित हाइड्रोजन के अग्रणी निर्यातक के रूप में उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा पर प्रकाश डाला। टिकाऊ ऊर्जा प्रथाओं के प्रति भारत के स्पष्ट विजन और प्रतिबद्धता पर बल देते हुए, उन्होंने वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए राष्ट्र के दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया। “उत्पादन बढ़ाने पर रणनीतिक फोकस के साथ, भारत का उद्देश्य हरित हाइड्रोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में उभरते अवसरों को भुनाना है, जिससे वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में एक प्रमुख देश के रूप में उसकी अपनी स्थिति मजबूत हो सके।”

सचिव ने विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन के प्रतिनिधियों को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के किसी भी पैमाने की मांग को पूरा करने की भारत की क्षमता का आश्वासन दिया, बशर्ते इसके लिए बाजार में पर्याप्त मांग और समर्थन हो। यह आत्मविश्वास भारत की मजबूत नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन रणनीति से उपजा है, जैसा कि इसके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में उल्लिखित है। देश में नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे के तेजी से विस्तार पर प्रकाश डालते हुए, सचिव ने दर्शकों को सूचित किया कि भारत की वर्तमान स्थापित बिजली क्षमता का लगभग 43 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से है, जिसमें 2030 तक 50 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

श्री भल्ला के मुख्य भाषण ने नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व, महत्वाकांक्षा और क्षमताओं को प्रदर्शित किया। उन्होंने बताया कि सामर्थ्य, बुनियादी ढांचे के विकास, कुशल कर्मियों, महत्वाकांक्षा और स्केलेबिलिटी पर बल देने के साथ, भारत वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को आकार देने और वैश्विक स्तर पर टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख देश के रूप में उभरने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य के लिए नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका लक्ष्य भारत में हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विकास और उन्हें अपनाने को बढ़ावा देना है। 2030 तक 50 लाख टन वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य के साथ, यह मिशन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में भारत की महत्वाकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में बहुत प्रगति की है, प्रति वर्ष कुल 412,000 टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहन के लिए निविदाएं प्रदान की हैं। इसके अतिरिक्त, प्रति वर्ष 1,500 मेगावाट की इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता की स्थापना के लिए निविदाएं प्रदान की गई हैं, जिससे बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने की भारत की क्षमता को और बढ़ावा मिलेगा।