यदि हमें सबसे पहले शिक्षित करना है तो हमें स्वयं को शिक्षित करना है: भावना अरोड़ा ‘मिलन’

जैसे कि शिक्षा जीवन जीने का सही आधार है और शिक्षा के बिना वास्तव में हमारा जीवन अधूरा है व शिक्षा किसी भी रूप में प्राप्त की जा सकती है – पुस्तकों से, जीवन से, संस्कारों से, परिवार से, समाज से और देश में हर एक छोटा-बड़ा व्यक्ति एक-दूसरे को शिक्षित करता है। इसी क्षेत्र में भागीदारी जन सहयोग समिति ने “नेशनल टीचर्स डे अवार्ड 2024” का आयोजन किया वाईएमसीए टूरिस्ट हॉस्टल, नई दिल्ली जहाँ भारत के विभिन्न राज्यों से अलग-अलग यूनिवर्सिटीज जैसे दिल्ली देश की राजधानी से मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. के. के. अग्रवाल गुरु गोविंद सिंह, आईपी यूनिवर्सिटी के फार्मर वाइस चांसलर,जो कि वर्तमान में साउथ एशिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर है,वे पधारे। हम सभी को उनका स्नेह आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

अलग-अलग यूनिवर्सिटीज से  विविध विभागों के शिक्षाविद, प्रिंसिपल्स और कई प्राध्यापक वहां पर उपस्थित थे इस अवार्ड सेरेमनी में। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में दिल्ली पुलिस से श्री रॉबिन हिबू स्पेशल आईपीएस पुलिस कमिश्नर कार्यक्रम में उपस्थित रहे और उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को वहाँ सभी के साथ शेयर किया और कहा कि कुछ वर्षों पूर्व तक मुझे लगता रहा कि बेटा घर में होना जरूरी है किंतु अपने आप ही मेरा हृदय परिवर्तन हुआ और मैंने महसूस किया कि बेटियाँ सबसे श्रेष्ठ और योग्य संतान हैं।

मैं यह नहीं कहता कि पुत्र अयोग्यता की ओर जा रहे हैं या समाज में इस तरह की जो घटनाएँ हो रही हैं उसके लिए केवल पुरुष वर्ग ही जिम्मेदार है किंतु फिर भी मैं बहुत संतुष्ट हूँ कि मेरे घर में बेटी रूप में धन हमें प्राप्त हुआ,मुझे अत्यंत हर्ष है कि मैं दो-दो बेटियों का पिता हूँ और मुझे इस बात का कतई दुख नहीं कि मेरे पास पुत्र नहीं। दिल्ली राज्य से अन्य कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एवं हाई कोर्ट न्यायाधीश वहाँ पर उपस्थित थीं और विविध यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक प्रिंसिपल्स और विविध विद्यालयों के अध्यापक अध्यापिकाएँ जिन्होंने इस नेशनल टीचर्स डे अवार्ड के नॉमिनेशन में भाग लिया था और सिलेक्ट हुए।

उन सभी को वहाँ पर भागीदारी जन सहयोग समिति के चेयरपर्सन श्रीमान विजय गौड़ सर जी ने एवं उपस्थित मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि एवं अन्य माननीय अतिथि गण के कर कमलों के द्वारा यह सम्मान प्राप्त हुआ और यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि इस नॉमिनेशन का आधार एक डिबेट प्रतियोगिता रही जिसमें अनेकानेक लोगों ने प्रतिस्पर्धा के रूप में भाग लिया और यह डिबेट जिस विषय पर था वह था -‘लीगल अवेयरने बाई एजुकेशन’राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान हेतु दिल्ली राज्य के समर फील्ड्स विद्यालय, कैलाश कॉलोनी से भावना अरोड़ा ‘मिलन’ जी ने भी इस प्रतिस्पर्धा में भाग लिया व उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान यहाँ प्राप्त हुआ,पधारे हुए रिनाउंड अधिकारियों के कर कमलों द्वारा।

वह न केवल एक अध्यापिका हैं बल्कि वह लेखिका और मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं वह विद्यालय की विविध गतिविधियों में और शिक्षा में विद्यार्थियों को मोटिवेट करने के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी विविध छात्रों और बच्चों की सहायता करती हैं, उनका मनोबल बढ़ाती हैं उन्हें तरह-तरह की प्रतियोगिताओं में साहित्यिक मंच पर ले जाकर उन्हें उनकी योग्यता में प्रखरता लाने और आत्मविश्वास बढ़ाने का मौका देती हैं। 

वहां भावना अरोरा ‘मिलन’ जी ने काव्य पाठ भी किया और नारी सशक्तिकरण की बात की और कहा कि कानूनी शिक्षा किस प्रकार से विद्यालय, परिवार में संस्कारों के माध्यम से वैल्यूज के माध्यम से बदलाव ला सकती हैं।

यदि हमें सबसे पहले शिक्षित करना है तो हमें स्वयं को शिक्षित करना है क्योंकि यदि हम मोबाइल चलाते हैं अधिक देर तक तो हमारे बच्चे भी उसी रास्ते पर चलते हैं । यदि हम सुबह उठकर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे के भजन सुनते हैं, नमाज पढते हैं। मंदिर जाते हैं या मस्जिद जाते हैं या गुरुद्वारे जाते हैं या कि चर्च तो वही प्रभाव बच्चों के दिमाग पर पड़ता है तो सबसे पहले हमें स्वयं को बदलना होगा जैसा कि गाँधी जी ने कहा था- ‘कि चीनी किसी को खाने से मना करना है या गलत काम करने से रोकना है तो पहले हमें स्वयं उसी रास्ते पर चलना होगा’ तो यह शुरुआत केवल एक माता-पिता अपने घर से कर सकते हैं, शिक्षक विद्यालय से कर सकते है तभी इन बच्चों का मानसिक रोग समाप्त होगा । शिक्षा के सही मायने लीगल तौर पर समाज के सामने आएँगे और छात्र एक अच्छा बच्चा बनकर परिवार से निकलेगा तभी वह अच्छा छात्र बनेगा और तभी वह बच्चे जाकर समाज के अच्छे नागरिक और राष्ट्र के महापुरुष बनेंगे।

एक बच्चे के श्रेष्ठ कर्मों की नियति और दुष्कर्मो की नियति हम स्वयं लिखते हैं । परिवार का माहौल सही रखिए बच्चों को स्नेह कीजिए  फोन से बाहर निकल कर ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों से बात कीजिए उनमें वह भावनाएँ डालिए है जिससे वह घर से बाहर निकले तो सौ बार गलत काम करने से डरें।

अगर इसी तरह की भावनाएँ हर परिवार में बन पाएँगी तभी जाकर समाज में जो नित्य प्रति दुष्कर्म हो रहे हैं वह समाप्त होंगे ।भागीदारी जन सहयोग समिति जो कि सामाजिक संस्था के रूप में श्रेष्ठ कार्य कर रही है संस्था का उद्देश्य समय-समय पर ऐसे अवेयरनेस कार्यक्रमों को आयोजित करना  जिससे कि सामाजिक जागरूकता उत्पन्न हो। ऐसे अवॉर्ड फंक्शन को भी संस्था आयोजित करती है जिनके माध्यम से समाज में कार्य करने वाले सहयोगी लोग या सहयोगी संस्थाएँ,अधिकारी शिक्षक, प्राध्यापक सभी को एक सकारात्मक सोच मिल सके।

भावना ‘मिलन’ अरोड़ा एडुकेशनिस्ट, लेखिका मोटिवेशनल स्पीकर
भावना ‘मिलन’ अरोड़ा
एडुकेशनिस्ट, लेखिका, मोटिवेशनल स्पीकर