हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है

अभिषेक मिश्रा

आज़ादी मिलने के लगभग दो साल के बाद हिंदी राजभाषा लागू हुआ जिसके बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा में सभी ने एक मत होकर हिंदी भाषा को राजभाषा घोषित किया गया। इसके बाद से 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मानया जाने लगा। आजकल तो हिंदी दिवस के अवसर पर स्कूल और कॉलेज में प्रतियोगितायों भी की जाती है। हिंदी को बढ़ावा देने के हर स्तर पर पुरजोर कोशिश की जा रही है जिससे आने वाली पढ़ी कही हिंदी से कट न जाये ये हिंदी सिर्फ कागजी राजभाषा बनकर न रह जाये। हिंदी ने भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी के कवियों में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसीदास, सूरदास और मीराबाई जैसे प्रसिद्ध लेखक और कवि शामिल हैं। उनके कार्यों ने भारतीय समाज और संस्कृति की हमारी समझ को आकार दिया है।

डायमंड बुक्स के द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अनेको पुस्तकें प्रकाशित की गयी है, लेकिन इस श्रृंखला में ये कुछ चुंनिंदा पुस्तके है जो हिंदी को सीखना और समझना चाहते हैं उनकी काफी मदद करेगी।

हिंदी स्वयं शिक्षक स्वयं हिदीं सिखें और सुधारें – चित्रा गर्ग

चित्रा गर्ग
चित्रा गर्ग

‘हिन्दी स्वयं शिक्षक’ पुस्तक उन पाठकों के लिए वरदान साबित होगी जिनका हिन्दी में हाथ तंग है। कहने का तात्पर्य यह है कि जिन्हें हिन्दी कम आती है और जाने अनजाने उनसे लिखने-पढ़ने में गलतियाँ होती रहती हैं. जिन्हें कठिन शब्दों को समझने में परेशानी होती है। उन सभी के लिए यह पुस्तक ‘हिन्दी स्वयं शिक्षक’ एक दोस्त, सहयोगी व गाइड बनकर उनकी हिन्दी सुधारने में सहायक सिद्ध होगी। अनेक स्कूली छात्र व अधिकारी अपनी हिन्दी सुधारना चाहते है, पर उन्हें सही शिक्षक या गाइड नहीं मिलता। यह पुस्तक अपने आप में हिन्दी ज्ञान का भंडार है जो आपकी हिन्दी सीखने में दिन-प्रतिदिन सहायता करेंगी।(साभार)

राजभाषा व्यवहार – कुसुमवीर मोहर सिंह दोहरे

इस पुस्तक में आप लोगों को न केवल केंद्र सरकार के कार्यालयों, निगमों, निकायों, उपक्रमों तथा राष्ट्रीयकृत बैंकों में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए उपयोगी होगी बल्कि विश्वविद्यालयों में अध्यापनरत प्रोफेसरों, रीडरों तथा अध्ययनरत छात्रों शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी जो हिंदी के प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं, या शोध कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही राज्य सरकारों के कर्मचारियों तथा आम नागरिकों के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी होगी जिन्हें केंद्र सरकार की राजभाषा नीति जानने, समझने की आवश्यकता महसूस होती है। (साभार)

अंग्रेजी के माध्यम से 30 दिनों में हिंदी सीखें ( 30 दिनों में अंग्रेजी से हिंदी सीखें ) – कृष्ण गोपाल विकल

इन तीन पुस्तकों से आज हिंदी को बहुत ही सरल तरीके से सीख और समझ सकते हैं। राष्ट्र कोई भौगोलिक इकाई ही मात्र नहीं है, उससे अधिक कुछ और है। हमारी धर्म, भाषा, वेशभूषा, परंपरा रीतिरिवाज़ आदि के द्वारा बाहर से अलग दिखाई देने वाला राष्ट्र भीतर से एक ऐसे अंतर धारा से जुड़ा होता है, जो उसके प्राणों को सींच कर उसे सोशलिस्ट बनाता है। अगर ऐसा नहीं होता तो पंजाब के नानक, कश्मीर के ललधर, महाराष्ट्र के एकनाथ, उत्तरप्रदेश के कबीर,असम के शंकरदेव गुजरात के नरसी मेहता,सिंध के एवल, बंगाल के चैतन्य, दक्षिण के कटाचा वेंकटैया तिवरल्लुर सहित अनेक लोगों की साहित्य की भाव भूमि एक नही होती।

जिस प्रकार राष्ट्र भौगोलिक ईकाई से अधिक है, ठीक उसी प्रकार भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम से भी कुछ अधिक है। इसमें पूरे राष्ट्र का जीवन उसकी संस्कृति और सभ्यता संपादित होती है। सीखी हुई दूसरी भाषा की धारणा शक्ति चाहे जितनी समृद्ध हो, वह उतनी नहीं होती कि वह किसी राष्ट्र के जीवन के सभी अंतर्संबंधों को अपने संपूर्ण वैशिष्ट्य के साथ व्यक्त कर सके। अतः राष्ट्र अपने चरित्रगत वैशिष्ट्य को जिस भाषा के माध्यम से अधिक स्पष्ट रूप से उद्भाटित करता है और अधिक से अधिक जन समाज तक पहुंचाता है, दरअसल वही राष्ट्रभाषा होती हैं। इस कसौटी पर हिंदी हमारे देश के लिये एकदम खरी उतरती है। पाठकों आपको यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता होगी कि विश्व का प्रत्येक छटवां व्यक्ति हिंदी में बातचीत करता है। वह इसलिये क्योंकि यह भारत की सामयिक संस्कृति की ‌वाहक है।

हर क्षेत्र, प्रांत, तथा हर वर्ग के लोगों ने इसे सजाया संवारा है। हर भाषा के शब्दों को आत्मसात करने की क्षमता ने इसे व्यापक धरातल प्रदान किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब राजभाषा का प्रश्न सामने आया तो देश के बहुत बड़े भूभाग में बोली जाने वाली और लगभग पूरे देश में समझी जाने वाली देशवासियों के बीच आदान प्रदान की सहज सुलभ भाषा हिंदी को स्वभावत: प्रधान राजभाषा का दर्जा दिया गया, और प्रतिष्ठित किया गया. और तब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के द्वारा यह परिभाषित किया गया कि भारतीय संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।

हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे समृद्ध इतिहास, साहित्य और परंपराओं से जोड़ती है। हिंदी दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है, जो इसे दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बनाता है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है और हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है।