परिवार महासंघ की क्षेत्रीय अभिभावक कार्यशाला का बीएचयू में हुआ शुभारम्भ

उत्तर भारत के आठ राज्यों के 200 से अधिक बौद्धिक दिव्यांगजनों के अभिभावक कर रहें हैं सहभागिता

वाराणसी: राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान सिकंदराबाद, बौद्धिक दिव्यांगजनों के अभिभावकों के संगठनों के राष्ट्रीय महासंघ परिवार एवं वाराणसी की बौद्धिक दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं  के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय क्षेत्रीय अभिभावक प्रशिक्षण कार्यशाला का काशी हिन्दू विश्वविध्यालय के प्रो के.एन. उडुपा ऑडिटोरियम में अतिथियों व्दारा दीप प्रज्वलन व बौद्धिक दिव्यांग बच्चों व्दारा गणेश वंदना कर शुभारंभ किया गया। 

कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए पूर्व आयुक्त दिव्यांगजन भारत सरकार डॉ​ कमलेश पांडेय ने कहा कि यदि समाज का सहयोग मिले तो दिव्यांगजन सामान्यजन से अधिक राष्ट्र उत्थान में योगदान देने में सक्षम हैं दिव्यांगजनों की स्थिति में सुधार हेतु अभिभावकों का जागरुक एवं प्रशिक्षित होना महत्वपूर्ण है दिव्यांगजनों के उत्थान में समाज का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि समाज के पास असीमित संसाधन है। जागरूकता ही दिव्यांगजनों की स्थिति में सुधार का सबसे सशक्त माध्यम है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए दिव्यांगजन आयुक्त उत्तर प्रदेश सरकार प्रो. हिमांशु शेखर झा ने कहा कि दिव्यांगजनो के समस्याओं का समाधान जन सहभागिता से करने का प्रयास किया जाएगा दिव्यांगजनों की समस्याओं का समाधान करते समय संवेदनशील रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। निपिड सिकंदराबाद के निदेशक बी वी राजकुमार ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में दिव्यांगजनों की स्थिति में सुधार हेतु सोशल नेटवर्क की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है इसके माध्यम से दिव्यांगजन व उनके अभिभावक एक दूसरे से जुड़कर विभिन्न मंचों के माध्यम से एक दूसरे को मजबूत कर सकते हैं। भारतीय पुनर्वास परिषद के शासी परिषद के सदस्य डॉ योगेश दुबे ने कहां की दिव्यांगजनों को सरकार द्वारा प्रदत्त आरक्षण को भरने के लिए राज्य स्तर पर व्यापक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। परिवार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंकज मारू  ने बताया कि परिवार महासंघ देश के अभिभावक संगठनो का सबसे बड़ा महासंघ है जिसमे देश के 31 राज्यों की 300 से अधिक सदस्य संस्थाओं में 1.4 लाख से अधिक बौद्धिक दिव्यांगजनों के अभिभावक जुड़े हुए है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय आईएमएस के निदेशक डॉ एस एन शंखवार ने कहा कि दिव्यांगजनों का हर तरह से सहयोग किया जाएगा इस अवसर पर दिव्यांगबंधु डॉ उत्तम ओझा ने कहा कि यदि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को ईमानदारी से लागू कर दिया जाए तो दिव्यांगजनों की समस्याएं बहुत हद तक समाप्त हो जाएंगी। हमें हृदय की भाषा समझने की आवश्यकता है। शुभारंभ कार्यक्रम को दो दिव्यांगजन सेल्फ एडवोकेट्स ज्ञानदा एवं शुभम ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में सुदीप गोयल, डॉ तुलसी, डॉ आर ए जोसेफ, डॉ मनोज तिवारी, घनश्याम पांडेय, नमिता सिंह, चंद्रकला रावत, कमलेश, आशीष सेठ ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया।

क्षेत्रीय अभिभावक कार्यशाला के पहले दिन दिव्यांगजनों के अभिभावकों को डॉ सरवन रेड्डी, मुकेश गुप्ता व डॉ आलोक कुमार भुवन द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया तथा डॉ पंकज मारू, डॉ अजय तिवारी व सुदीप गोयल ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को दिव्यांगता के प्रति संवेदित किया।

संस्कृत कार्यक्रम में वाराणसी के विभिन्न संस्थाओं के 65 बौद्धिक दिव्यांग सेल्फ एडवोकेट्स व्दारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिन्हें इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव डॉ संजय राय व अध्यक्ष विजय शाह द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुनीता तिवारी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजय तिवारी द्वारा किया गया।