उमेश कुमार सिंह
एक सवाल आता कि चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से ज्यादा तेज आखिर क्यों चलता है? कैसे चलता होगा? क्या हमारा भी हो सकता है? आखिर वह क्या गुण है जो हमें भी मिल जाए और आखिर वह क्या रहस्य है जो हम भी जान जाए, तो हमारा दिमाग भी हो सकता है चाचा चौधरी जैसा, यानी हर मुश्किल को इतनी सहजता से लेना और इतनी आसानी से सॉल्व कर देना। शरीर से दुबले पतले एक बुजुर्ग चाचा जी के सामने पहाड़ जैसी विकराल मुसीबतें टिक नहीं पातीं, क्योंकि उनका दिमाग गजब का है। अगर ऐसा दिमाग अपना हो जाए तो मजा आ जाए।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि दिमाग ही दुनिया में हमें सफल बनाने का माध्यम है हमें भगवान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा उपकरण है जैसे शरीर पर काम करने से व्यायाम करने से शरीर मजबूत और शक्तिशाली बन सकता है। अगर दिमाग पर काम किया जाए, दिमाग के व्यायाम किया जाए, दिमाग की मशक्कत की जाए और दिमाग को तेज करने वाले रहस्य ढूँढ कर उन्हें सीखा जाए समझा जाए और दिमाग में रखा जाए तो दिमाग भी शक्तिशाली बन सकता है।
आखिर जिंदगी में हर समस्या का समाधान कौन ढूँढता है दिमाग, जिंदगी में दो ही तो चीजें हैं हमारे पास, समस्या और समाधान है। समस्या एक परिस्थिति है और समाधान एक प्रतिक्रिया है। हमारे सामने स्थिति होती है और हमें उसे प्रतिक्रिया देनी होती है और यह प्रतिक्रिया हम अपने दिमाग की क्षमता के अनुसार देते हैं। हमारा व्यवहार कैसा है हमने क्या सीखा है हमारे दिमाग का आईक्यू लेवल क्या है हमारी समझ कैसी है हमारी प्रतिक्रिया उसी पर निर्भर करती है। और कुल मिलाकर दो तरह की प्रतिक्रिया होती है एक स्वाभाविक और एक नियंत्रित।
स्वाभाविक प्रतिक्रिया हर प्राणी में एक जैसी होती है। जानवर स्वाभाविक प्रतिक्रिया देते हैं पर इंसानों के दिमाग में खूबी है कि वह अपनी प्रतिक्रियाओं को ट्रेंड कर सकता है, उन्हें प्रशिक्षण दे सकता है, उन्हें कंट्रोल कर सकता है और नियंत्रित प्रतिक्रिया दे सकता है, और नियंत्रित प्रतिक्रिया ही सफलता और सुख का सबसे बड़ा रहस्य है, सूत्र है, आधार है।
डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक आप भी बन सकते है चाचा चौधरी जिसके लेखक डा.विनोद शर्मा है। डा. विनोद शर्मा गिनीज विश्व रिकार्डधारी, प्रख्यात स्मृति प्रशिक्षक, विश्वप्रसिद्ध मस्तिष्क विज्ञान विशेषज्ञ, टेड एक्स स्पीकर, ब्रेन साइंस लैब के अविष्कारक और ब्रेनीवुड फाउंडेशन के अध्यक्ष है।
चाचा चौधरी के दिमाग की खासियत यही तो थी कि वह नियंत्रित प्रतिक्रिया देते थे। वह तुरंत विश्लेषण करके, मूल्यांकन करके और उस स्थिति को समझकर सबसे आदर्श, सबसे श्रेष्ठ और सबसे उत्तम प्रतिक्रिया दे सकते थे और यह वह गुण है जो सब में आ जाए या हर कोई सीख ले तो आनंद आ जाए। तो जीवन सरल और अपने अनुकूल हो जाए, जीवन में सुख और खुशियाँ भी हमारे नियंत्रण में आ जाए।
चाचा चौधरी कठिन से कठिन समस्या को आनंद से लेते थे और मुश्किल परिस्थितियों में वह अपने दिमाग का बेहतरीन इस्तेमाल करके समाधान खोजते थे उन्हें अवसर की तरह लेते थे हर बार कुछ ना कुछ सीखते और आगे बढ़ते चले जाते और यह दिमागी प्रतिक्रिया उनके तेज दिमाग का बहुत बड़ा सिंबल बनी और हमेशा यह सुनने को मिला कि चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से ज्यादा तेज चलता है।
कंप्यूटर का काम क्या है सूचनाओं को इकट्ठा करना सूचनाओं को एकत्रित करना और फिर उन्हें प्रक्रिया करके उसे फंक्शन में बदलना यानी वह पहले इनफॉरमेशन को रिसीव करेगा और उसके बाद उसे अलग-अलग सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रतिक्रियाओं में फंक्शन में रिएक्शन में बदलेगा इंसान का दिमाग भी ऐसा ही है वह कई तरह से सूचना इकट्ठी करता है वह हमारे सेंसेज ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से जैसे कि स्पर्श है गंध है। श्रव्य यानी सुनना और दृश्य यानी देखना है या स्वाद है, इन माध्यमों से सूचना इकट्ठी करता है उसके बाद हमारे व्यवहार हमारे आज तक की लर्निंग हमारा आईक्यू लेवल या हमारी सोच और समझ के हिसाब से उन सूचनाओं को प्रक्रिया से गुजारता है, कोई ना कोई प्रतिक्रिया देता है कहीं ना कहीं स्टोर करके उन्हें काम में आने लायक बनाने का आदेश देता है परंतु आपके दिमाग का स्तर कैसा है उस पर आपके फंक्शन और आपकी प्रतिक्रियाएँ बहुत निर्भर करती हैं ।
दिमागी स्तर को शक्तिशाली और तेज बनाने के लिए ही हमें चाचा चौधरी से कई बातें सीखने को मिलती हैं और इस पुस्तक में ऐसी कई बातें जो उनके जीवन से छोटा बच्चा, पढ़ने वाला विद्यार्थी, परिवारजन माता-पिता और एक आम इंसान सीख सकता है को संकलन करने की कोशिश की गई है ।