गर्मियों में कैसे रहें सेहतमंद

विनीता झा
कार्यकारी संपादक

 गर्मियां में झुलसा देने वाले लू के थपेड़े और सूरज की चमचमाती किरणों की तपन बाहर के साथ-साथ शरीर का तापमान भी बढ़ा देती है, जिससे हमारा शरीर कईं बीमारियों का आसान शिकार हो जाता है। गर्मियों में सिरदर्द से लेकर अपच, डायरिया जैसी कईं स्वास्थ्य समस्याओं का सामना लोगों को करना पड़ता है। अब प्रशन यह उठता है कि अगर गर्मियों से हमारे स्वास्थ्य को इतना खतरा है तो फिर स्वस्थ कैसे रहा जाए।

गर्मियों में होने वाली स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं

आंकड़ों की मानें तो गर्मियों के मौसम में अस्‍पताल में आने वाले लोगों की संख्‍या बाकी दोनों मौसमों के मुकाबले अधिक होती है, इसीलिए इसे बीमारियों का मौसम कहा जाता है। गर्मियों में सेहतमंद रहने के लिए आपको विशेष सावधानियां रखना चाहिए, इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस मौसम में कौन-कौनसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं अधिक होती है और इनसे कैसे निपटा जाए।

ठंडा-गर्म

तापमान मे अचानक बदलाव लाने से ठंडा-गर्म की समस्या हो जाती है।

हम अक्सर गर्मियों मे ऑफिस पहुँच कर या बाहर से घर आ कर गर्मी से आराम पाने के लिए  कम तापमान पर ऐसी चला देते है या फिर एकदम बर्फ का ठंडा पानी पी लेते है जो सेहत के लिए काफी नुक्सानदायक साबित हो सकता है डॉक्टर के अनुसार शरीर में अचानक 7 डिग्री से अधिक बदलाव शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर कर देता है, जिसके कारण बार-बार जुखाम, गला ख़राब होना, वायरल इन्फेक्शन जैसी समस्या हो सकती है।

कैसे बचें

·        धूप से निकलकर तुरंत एसी या ठंडे स्थान पर न जाएं।

·        एसी या ठंडे स्थान से निकलकर तुरंत धूप में न जाएं।

·        गर्मी से आने के बाद तुरंत ठंडा पानी न पिएं।

·        गर्म खाने के साथ चिल्ड पानी न पिएं।

·        फ्रिज में रखी चीजों को सामान्य तापमान पर लाकर खाएं।

डिहाइड्रेशन

    डिहाइड्रेशन गर्मियों की सबसे सामान्‍य समस्‍या मानी जाती है। गर्मियों में बाहरी तापमान बढ़ने से शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है ऐसे में शरीर के ताप को स्‍थिर बनाये रखने के लिये अधिक मात्रा में पसीना निकलता है। अत्‍यधिक पसीना आने के कारण डिहाइड्रेशन की सम हो जाती है। गर्मियों में लगातार एसी में रहने से भी पानी पीने में कम आता है इससे भी डिहाइड्रेशन की समस्‍या हो सकती है।

कैसे बचें

§  तेज धूप और गर्मी में बाहर निकलने से बचें क्योंकि इससे शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, जो डिहाइड्रेशन का कारण बनता है।

§  गर्मियों में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए कमसे कम 3-4 लीटर पानी पिएं।

§  इसके अलावा नारियल पानी, बेल का शरबत, नींबू पानी, आइस टी आदि का सेवन भी करें, इससे शरीर में शीतलता बनी रहती है।

पसीना अधिक आना

पसीना आना एक स्‍वाभाविक बायलॉजिकल प्रक्रिया है। गर्मियों में बाहरी तापमान बढ़ने से शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है ऐसे में शरीर के ताप को स्‍थिर बनाये रखने के लिये अधिक मात्रा में पसीना निकलता है। अत्‍यधिक पसीना आने के कारण डिहाइड्रेशन की समस्‍या हो सकती है इसलिये जरूरी है कि शरीर में जल के स्तर को बनाए रखा जाए।

कैसे बचें

  रसीले फल, मौसमी सब्जियों, दही, छाछ, नींबू पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें।

  तेज गर्मी औक धूप में अधिक समय न बिताएं।

  अत्यधिक शारीरिक श्रम करने से बचें।

  कॉटन या लिनन के हल्के रंग के आरामदायक कपड़े पहनें।  

अपच और भूख न लगना

गर्मियों में बाहरी और आंतरिक तापमान बढ़ने से कईं लोगों को पाचन तंत्र से संबंधित समस्‍याएं हो जाती हैं। तापमान में बढ़ोतरी होने से एंजाइम्‍स की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती है इससे भी खाना ठीक प्रकार से नहीं पचता। तैलीय, मसालेदार भोजन और कैफीन के अधिक मात्रा में सेवन से भी अपच की समस्‍या हो जाती है। गर्म और नम मौसम में सूक्ष्‍मजीव अधिक मात्रा में पनपते हैं, इनसे होने वाले संक्रमण से भी अपच की समस्‍या अधिक होती है। गर्मियों में डिहाइड्रेशन के कारण कब्‍ज की समस्‍या भी हो जाती है।

कैसे बचें

 ताजे, हल्के और सुपाच्य भोजन का सेवन करें।

  कैफीन का अधिक मात्रा में सेवन न करें।

  तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन करें।

  ओवर ईटिंग से बचें।

सिरदर्द

गर्मियों में दिन लंबे और रातें छोटी होने से स्‍लीप पैटर्न गड़बड़ा जाता है इससे भी सिरदर्द हो सकता है। लगातार तेज धूप और गर्मी में रहने से मस्‍तिष्‍क में ऑक्‍सीजन का स्‍तर प्रभावित होता है इससे सिरदर्द और चक्‍कर आते हैं। कईं लोगों में डिहाइड्रेशन सिरदर्द और माइग्रेन का एक प्रमुख कारण बन जाता है।

कैसे बचें

  ढेर सारा पानी पिएं। इसके अलावा बेल का शर्बत, सत्तु, छाछ, नींबू पानी आदि का सेवन भी करें।

  तेज धूप में न निकलें और अगर निकलना आपकी मजबूरी हो तो सनस्क्रीन, गॉगल, हैट, स्कार्फ पहनें बिना न निकलें।

 पूरी नींद लें।

फूड प्वॉयजनिंग

गर्मी के मौसम में बासी खाना खाने, दूषित जल पीने व बाहर के कटे-खुले खाद्य पदार्थों को खाने के कारण फूड प्‍वायजनिंग व अनेक प्रकार के सक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। फूड प्वॉयजनिंग गंभीर होकर घातक भी हो सकता है।

कैसे बचें

·        उबला हुआ या फिल्‍टर किया हुआ पानी ही पिएं।

·        ताजे और स्‍वच्‍छ भोजन का सेवन करें।

·        आवश्‍यकता से अधिक खाना ना खाएं

·        कच्‍ची सब्‍जियों और फलों को ठीक प्रकार से धोकर इस्‍तेमाल करें।

·        सड़क किनारे लगी रहड़ियों और ढाबों पर न खाएं क्‍योंकि इस प्रकार के

भोजन से संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

सन स्ट्रोक

गर्मियों में तापमान बढ़ने से सनस्‍ट्रोक की आशंका काफी बढ़ जाती है। सनस्‍ट्रोक की चिकित्‍सकीय परिभाषा के अनुसार सामान्‍यता हमारे शरीर का तापमान 90-94 डिग्री फेरेनहाइट के बीच रहता है लेकिन जब यह 105 डिग्री फेरेनहाइट से अधिक हो जाता है तो चक्‍कर आने से लेकर कोमा जितने गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इससे किडनी और हार्ट फेलियर भी हो सकता है। सनस्‍ट्रोक से पीड़ित 10 प्रतिशत लोगों की मृत्‍यु हो जाती है। इसे हीट स्‍ट्रोक या लू लगना भी कहते हैं।

कैसे बचें  

  दोपहर में 10 से 4 के बीच बाहर निकलने से बचें।

  सनस्‍क्रीन का उपयोग करें; 30 या इससे अधिक एसपीएफ वाला।

  वेंटिलेशन के लिये रात में खिड़कियां खोलकर सोएं।

  थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें, प्‍यास लगने का इंतजार न करें और उससे अधिक मात्रा में पानी पिएं जितने से आपकी प्‍यास शांत हो।

  रोज ठंडे और साफ पानी से नहाएं। प्राकृतिक रेशों जैसे कॉटन और लिनन से बने कपड़ें पहनें। 

  जब भी धूप में निकलें छाता लेकर निकलें।

जल और खाद्यजनित रोग

डायरिया, टायफाइड और पीलिया को खाद्य और जलजनित रोग माना जाता है। ये दूषित खाद्य पदार्थों और जल के सेवन से होती हैं। वैसे तो ये किसी को कभी भी हो सकती हैं, लेकिन गर्मियों में इनके मामले काफी बढ़ जाते हैं।  

कैसे बचें

·        जब भी जरूरी हो हाथ धोएं।

·        बासी और प्रदूषित खाने के सेवन से बचें।

·        सड़क किनारे लगी रहड़ियों से न खाएं।

·        साफ पानी का सेवन करें।

·        दही का सेवन अधिक मात्रा में करें इससे पाचन तंत्र दुरूस्‍त रहता है।

·        अधपके मांसाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

·        सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धोने के बाद ही उपयोग करें।

माइग्रेन

     गर्मियों में दिन लंबे और रातें छोटी होने से स्‍लीप पैटर्न गड़बड़ा जाता है इससे कईं लोगों में माइग्रेन अटैक की आशंका बढ़ जाती है। लगातार तेज धूप और गर्मी में रहने से मस्‍तिष्‍क में ऑक्‍सीजन का स्‍तर प्रभावित होता है इससे सिरदर्द और चक्‍कर आने की समस्‍या हो सकती है, इससे भी माइग्रेन अटैक ट्रिगर हो सकता है। गर्मियों में डिहाइड्रेशन की आशंका काफी बढ़ जाती है। कईं लोगों में डिहाइड्रेशन माइग्रेन का सबसे बड़ा ट्रिगर है।  माइग्रेन के रोगी रोशनी के प्रति अत्‍यधिक संवेदनशील होते हैं गर्मियों में सूर्य पूरी तेजी से चमकता है जिससे कईं लोगों में माइग्रेन का दर्द शुरू हो जाता है। गर्मियों में प्रदूषण बढ़ने से एलर्जी के मामले बढ़ जाते हैं। एलर्जी भी माइग्रेन का एक ट्रिगर है।

कैसे बचें

एक ऐसा निश्‍चित तरीका नहीं है जिसके द्वारा सिरदर्द या माइग्रेन से पूरी तरह बचा जा सके। लेकिन कुछ आवश्‍यक सावधनियां अपनाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

  सूर्य की सीधी किरणों के संपर्क में आने से बचें।

  एसी से तुरंत गर्म वातावरण में न जाएं, ना ही इसके विपरीत करें।

 तेज धूप में बाहर न निकलें, अगर निकलना आपकी मजबूरी हो तो सनस्‍क्रीन, गॉगल, स्‍कार्फ, छतरी, हैट आदि के बिना न निकलें।

  गर्मियों में अपने खाने और सोने के समय को न बदलें।

शरीर में पानी की कमी न होने दें, तरल पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में करें।

घमौरियां

इसे प्रिक्‍ली हीट या मिलियारिया या स्‍वेट रैश् भी कहते हैं यह स्‍थिति तब होती है जब किसी व्‍यक्‍ति को सामान्‍य से अधिक पसीना आता है और उसकी स्‍वेट ग्‍लैंड बलॉक हो जाती हैं। स्‍वेट ग्‍लैंड के ब्‍लॉक होने से जो पसीना उत्‍पन्‍न होता है वह वाष्‍पीकृत होने के लिये त्‍वचा की सतह पर नहीं आ पाता। इसके कारण सूजन हो जाती है और त्‍वचा पर रैशेज़ पड़ जाते हैं। जिससे त्‍वचा पर मुंहासों के लाल झुंड या छोटे-छोटे फफोले दिखाई देते हैं।

कैसे बचें

 घमौरियों को रोकने के लिये उस स्‍थान पर जाने से बचें जहां अत्‍यधिक पसीना आने की संभावना हो, जैसे कि गर्म और आद्र वातावरण।

  गर्मियों में पंखे, कूलर या एसी का उपयोग करें, ठंडे पानी से नहाएं।

  त्‍वचा को सूखा और ठंडा रखें।

  अगर आप गर्मी में घर से बाहर निकल रहें हैं तो जितना हो सके छाया में रहें, छाता इस्‍तेमाल करें।

  ढीले सूती कपड़े पहनें- पोलिस्‍टर और नायलॉन जैसे सिंथेटिक कपड़े पहनने से बचें, यह उष्‍मा को रोक लेते हैं।

स्किन एलर्जी

सूर्य के प्रकाश, कीड़ों के काटने, पसीने और अत्‍यधिक गर्मी के कारण स्‍किन एलर्जी/रैशेज़ हो सकते हैं। यह समस्‍या तब और बढ़ जाती है जब पहले से ही त्‍वचा से संबंधित कोई समस्‍या या स्‍किन एलर्जी हो। गर्मियों में त्‍वचा के सूखने के कारण भी रैशेज़ पड़ जाते हैं।

कैसे बचें

·        प्रकाश के सीधे संपर्क में आने से बचें।

·        ढेर सारा पानी पिएं।

·        हल्‍के और संतुलित भोजन का सेवन करें।

·        जब भी धूप में निकलें सनस्क्रीन, गॉगल और स्कार्फ का इस्तेमाल करें।   

तथ्‍य और आंकड़े

  फूड प्‍वॉयजनिंग और डिहाइड्रेशन के मामले गर्मियों में सर्दियों की तुलना में 70 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं।

  गर्मियों में डायरिया के मामले सर्दियों की तुलना में पांच गुने अधिक हो जाते हैं।

  सब्‍जियों और फलों में 80-90 प्रतिशत तक पानी होता है।

  मेनेनजाइटिस, चेचक, हिपेटाइटिस ए और टाइफाइट के मामले भी गर्मियों में बाकी मौसमों की तुलना में अधिक होते हैं।

  गलसुआ वाइरस के द्वारा होने वाली अत्‍यंत संक्रामक बीमारी है इसके 90 प्रतिशत मामले गर्मियों में ही देखे जाते हैं।