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राणा सांगा का ये वंशज रखता था राजपूती शानकर स्वतंत्रता का उद्घोषवह भारत का था अभिमान।।मानसिंह ने हमला करके राणा जंगल दियो पठाय सारे संकट क्षण में आ गए घास की रोटी दे खवाय।।हल्दी घाटी रक्त से सन गईअरिदल मच गई चीख-पुकारहुआ युद्ध घनघोर अरावलीप्रताप ने भरी हुंकार।।शत्रु समूह ने घेर लिया था डट गया सिंह सा कर गर्जनसर्प सा लहराता प्रताप चल पड़ा शत्रु का कर मर्दन मानसिंह को राणा ढूंढे चेतक पर बनके असवार हाथी के सिर पर दो टापेंरख चेतक भर कर हुंकार ।।रण में हाहाकार मचो तबराणा की निकली तलवार मौत बरस रही रणभूमि में राणा जले ह्रदय अंगार।। आखंन बाण लगो राणा केरण में न कछु रहो दिखायास्वामी भक्त चेतक ले उड़ गयो राणा के लय प्राण बचाय।।मुकुट लगाकर राणा जी को मन्ना जी दय प्रांण गंवायप्राण त्याग कर घायल चेतक सिधो स्वर्ग सिधारो जाय सौ मूड को अकबर हो गयो।।जीत ना सको बनाफर राय स्वाभिमान कभी नहीं छूटे चाहे तन से प्राण गवाएं ।। – श्रीमती चंद्रिका (रुपा ) सिंह
राणा सांगा का ये वंशज रखता था राजपूती शानकर स्वतंत्रता का उद्घोषवह भारत का था अभिमान।।मानसिंह ने हमला करके राणा जंगल दियो पठाय सारे संकट क्षण में आ गए घास की रोटी दे खवाय।।हल्दी घाटी रक्त से सन गईअरिदल मच गई चीख-पुकारहुआ युद्ध घनघोर अरावलीप्रताप ने भरी हुंकार।।शत्रु समूह ने घेर लिया था डट गया सिंह सा कर गर्जनसर्प सा लहराता प्रताप चल पड़ा शत्रु का कर मर्दन मानसिंह को राणा ढूंढे चेतक पर बनके असवार हाथी के सिर पर दो टापेंरख चेतक भर कर हुंकार ।।रण में हाहाकार मचो तबराणा की निकली तलवार मौत बरस रही रणभूमि में राणा जले ह्रदय अंगार।। आखंन बाण लगो राणा केरण में न कछु रहो दिखायास्वामी भक्त चेतक ले उड़ गयो राणा के लय प्राण बचाय।।मुकुट लगाकर राणा जी को मन्ना जी दय प्रांण गंवायप्राण त्याग कर घायल चेतक सिधो स्वर्ग सिधारो जाय सौ मूड को अकबर हो गयो।।जीत ना सको बनाफर राय स्वाभिमान कभी नहीं छूटे चाहे तन से प्राण गवाएं ।।